Saturday, 5 November 2022

MIR TAQI MIR.. GHAZAL.. MUNH TAKAA HII KARE HAI JIS TIS KAA.....

मुँह तका ही करे है जिस तिस का
हैरती है ये आईना किस का 

It's looking at this or that face. Mirror is surprised with which face? 

शाम से कुछ बुझा सा रहता है 
दिल हुआ है चिराग़ मुफ़लिस का 

It looks burnt out since eve'. 
Heart is lamp at poor man's place. 

दाग़ आँखों से खुल रहे हैं सब
हाथ दस्ता हुआ है नरगिस का

Eyes open wounds off all frills. 
Hand sets daffodils in place. 

फ़ैज़ ऐ अब्र चश्मे तर से उठा
आज दामन वसीअ है इस का

Hail O cloud risen from wet eyes. 
Today, it's hem has the space. 

ताब किस को जो हाले 'मीर' सुने
हाल ही और कुछ है मजलिस का

Who can listen to 'Mir' 's state? 
State of party is out of place. 




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