Wednesday, 23 November 2022

PAINTED COUPLETS..

मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर
लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया..... मजरूह सुल्तानपुरी.....

I had set all alone towards the goal. 
People  came 'n caravan took it's toll.

मैं फूल चुनती रही और मुझे ख़बर न हुई
वो शख़्स आ के मिरे शहर से चला भी गया.....परवीन शाकिर.....

I was gathering flowers and did not know.
That man came to my city and could go.

न जाने किस की हमें उम्र भर तलाश रही
जिसे क़रीब से देखा वो दूसरा निकला
..... ख़लील-उर-रहमान आज़मी.....

I know not whom I searched life long O dear.
He was different whom I had seen from near.

उसे ख़बर थी कि हम विसाल-ओ-हिज्र इक साथ चाहते हैं
सो उस ने आधा उजाड़ रक्खा है और आधा बना दिया है.... फरहत अहसास...

She knew that I wanted meeting 'n departure at a time. So she raised one half and grazed the other at a time

हाँ ठीक है मैं अपनी अना का मरीज़ हूँ 
आख़िर मिरे मिज़ाज में क्यूँ दख़्ल दे कोई
..... जौन एलिया.....

I am a patient of my ego, well  that is true.
But with my mood what someone else has to do?

तुम्हारा हिज्र मना लूँ अगर इजाज़त हो
मैं दिल किसी से लगा लूँ अगर इजाज़त हो..... जौन एलिया.....

Let me celebrate departure  if you so permit.
Tag my heart with someone if you so permit.

अपने सर इक बला तो लेनी थी
मैंने वो ज़ुल्फ़ अपने सर ली है
..... जौन एलिया.....

Some calamity I had to head.
Well, it's her tress that I led. 

क्या सितम है कि अब तिरी सूरत 
ग़ौर करने पे याद आती है
..... जौन एलिया.....

What a pity that now your face. 
Only when I try, can I trace.

कैसे इक लफ़्ज़ में  बयान करूँ
दिल को किस बात ने उदास किया 
..... कैफ़ भोपाली.....

How to express in one word on my part? 
What's it that has saddened the heart?

शायद किसी की याद का मौसम फिर आ गया
पहलू में दिल की तरह धड़कने लगी है शाम..... ओवैस अहमद दौराँ..... 

Probably weather of  one 's memory had a start. 
Evening is throbbing  by my side like the heart. 

अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूँ 
अब मैं अक्सर मैं नहीं होता तुम हो जाता हूँ.... अनवर शऊर.....

Well seated, suddenly I get lost et all. 
Often I am not I but take your call. 

ये ज़िंदगी भी अजब कारोबार है कि मुझे 
ख़ुशी है पाने की कोई न रंज खोने का
..... जावेद अख्तर.....

This life is a strange business for me now. 
No joy in getting, no pain losing anyhow. 

जुस्तजू जिस की थी उस को तो न पाया हम ने
इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हम ने
..... शहरयार.....

I didn't get what I had searched for.
 By this excuse I could see the world far. 

मिरे सूरज आ ! मिरे जिस्म पे अपना साया कर
बड़ी तेज़ हवा है, सर्दी आज ग़ज़ब की है
..... शहरयार.....

Come my sun! Cover my body with your shade. 
Wind is swift, weather has winter to trade. 

तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं किसी  बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं
..... फ़ैज़ अहमद फ़ैज़.....

When wounds of your  memory start getting healed. 
Under some excuse, these wounds are unsealed. 

ज़ुल्फ़ों में किया क़ैद न अबरू से किया क़त्ल 
तूने तो कोई बात न मानी मिरे दिल की 
.....इमाम बख़्श नासिख़..... 

Neither you captured in tress, nor murdered by eyebrows. 
You do not agree with anything that my heart throws. 

अबरू न सँवारा करो कट जाएगी उँगली 
नादान हो तलवार से खेला नहीं करते 
..... आग़ा शायर क़ज़लबाश..... 

Don't shape your eyebrows, your finger may get hurt. 
You are too young to play 
with sword in a spurt. 

पाँव साकित हो गए 'सरवत' किसी को देख कर 
इक कशिश महताब जैसी चेहरा-ए-दिलबर में थी..... सरवत हुसैन..... 

Seeing someone O Sarvat feet forgot to move. 
An intensity as moon was in her face to prove. 

अमाँ किसे थी मिरे साए में जो रुकता कोई 
ख़ुद अपनी आग में जलता हुआ शजर था मैं..... जमुना प्रसाद राही..... 

Who would feel secure in my shade to retire. 
I was a tree slowly burning in my own fire. 

तुझे सीने से लगा लूँ तुझे दिल में रख लूँ 
दर्द की छाँव में ज़ख़्मों की अमाँ में आ जा..... अज़ीज़ क़ैसी..... 

Let me embrace you, within the heart place you. 
Come in shade of pain, within wounds domain. 

मुझे तो ख़ैर वतन छोड़ कर अमाँ न मिली 
वतन भी मुझ से ग़रीब-उल-वतन को तरसेगा..... नासिर काज़मी..... 

I did not feel secure, leaving native land so pure. 
But nation too would grieve, for immigrant to receive. 





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