जाने वाले तू हमें याद बहुत आएगा
..... ओबैदुल्लाह अलीम.....
You may go away from the eyes but where from the heart?
O you who is leaving, will come to the memories from start.
उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है..... राहत इन्दौरी.....
Her memory has arrived,, O breaths go slow.
Even heart throbs disturb,in
a prayer show.
कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब
आज तुम याद बे-हिसाब आए
..... फ़ैज़ अहमद फ़ैज़.....
I was keeping grief of world account.
Your memories crowded beyond any count.
एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमें
और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं
..... फ़िराक़ गोरखपुरी.....
Your memories haven't come to mind since long.
And it's not that I have forgotten you all along.
और क्या देखने को बाक़ी है
आप से दिल लगा के देख लिया
..... फ़ैज़ अहमद फ़ैज़.....
What else is left to be seen.
Tucked with you, heart has been.
तुम्हारा दिल मिरे दिल के बराबर हो नहीं सकता
वो शीशा हो नहीं सकता ये पत्थर हो नहीं सकता..... दाग़ देहलवी.....
Your heart can not be equal to mine.
Yours can't be mirror nor stony be mine.
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ..... अहमद फ़राज़.....
If enmity exists come to give my heart pain.
You come to leave me and go back again.
चराग़ चाँद शफ़क़ शाम फूल झील सबा
चुराईं सब ने ही कुछ कुछ शबाहतें तेरी
..... अंजुम इरफ़ानी.....
Lamps, moon, dawn glow, eve', flowers, lake, breeze.
Stole your look alike to some extent all of these.
सुर्ख़ी शफ़क़ की ज़र्द हो गालों के सामने
पानी भरे घटा तिरे बालों के सामने
..... मुनीर शिकोहाबादी.....
Confronting your cheeks, looks dull glow of dawn.
Against your tress, cloud cover isn't worth drawn.
सूरज हूँ ज़िंदगी की रमक़ छोड़ जाऊँगा
मैं डूब भी गया तो शफ़क़ छोड़ जाऊँगा
..... इक़बाल साजिद.....
I am sun, will leave last breath of life in mind.
Even when set will leave glow of dawn behind.
हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते
..... राहत इन्दौरी.....
Many travellers must have come before me this way.
At least they could remove some stones off the way.
मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी
..... बशीर बद्र.....
Both you and me are travellers on the way.
On a crossing, will meet again some day.
आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा
कश्ती के मुसाफ़िर ने समुंदर नहीं देखा
..... बशीर बद्र.....
He was confined to eyes, didn't get down the heart.
The boat passenger didn't see sea on his part.
रह-ए-क़रार अजब राह-ए-बे-क़रारी है
रुके हुए हैं मुसाफ़िर सफ़र भी जारी है
..... राम अवतार गुप्ता मुज़्तर.....
The way of rest is a strange way of unrest.
Travellers have stopped, journey is on at it's best.
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा
...... गुलज़ार.....
The life was spent in this way.
In caravan, I was alone on way.
अब जुदाई के सफ़र को मिरे आसान करो
तुम मुझे ख़्वाब में आ कर न परेशान करो..... मुनव्वर राना.....
Now set my parting journey at ease.
Do not disturb me in dreams please.
किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िल
कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा
..... अहमद फ़राज़.....
Someone got the goal getting out of home.
Some like me , just continued
to roam.
ज़ाहिद शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर
या वो जगह बता दे जहाँ पर ख़ुदा न हो
..... अज्ञात.....
Let me sit and drink within mosque O priest !
Or tell me where God isn't
there, at least.
ख़ुदा के वास्ते ज़ाहिद उठा पर्दा न काबे का
कहीं ऐसा न हो याँ भी वही काफ़िर-सनम निकले..... मिर्ज़ा ग़ालिब.....
For God's sake, don't raise Kaaba's veil O priest.
May be you find the same infidel here on feast.
ज़ाहिद शराब पीने से काफ़िर हुआ मैं क्यूँ
क्या डेढ़ चुल्लू पानी में ईमान बह गया
..... शैख़ इब्राहिम ज़ौक़.....
O priest why did I become infidel drinking wine?
Was faith washed away by a
few handfuls of wine?
कोई दिन आगे भी ज़ाहिद अजब ज़माना था।
हर इक मोहल्ले की मस्जिद शराब-ख़ाने था..... क़ायम चाँदपुरी.....
There was a strange period some days ahead O priest!
There was a tavern in mosque of each street at least.
घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें
किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाए
..... निदा फ़ाज़ली.....
Let us do it since the mosque is very very far.
Let us make a crying child laugh all the way far.
बुत-ख़ाना तोड़ डालिए मस्जिद को ढाइए
दिल को न तोड़िए ये ख़ुदा का मक़ाम है
..... हैदर अली आतिश.....
Dismantle the mosques and temples on way.
Don't break a heart, as it is house on God's way.
हम को मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं
हम से ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नहीं
...... जिगर मुरादाबादी.....
It's not in world 's capacity that to us it can erase.
We aren't product of this world, world is our craze.
इक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का अदना ये फ़साना है
सिमटे तो दिल-ए-आशिक़ फैले तो ज़माना है..... जिगर मुरादाबादी.....
The word of love has this little story to say.
Confined to lover's heart, stretched to world on way.
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