Monday, 21 November 2022

REKHTA.. TODAY'S 5 +8 COUPLETS

ग़रज़ कि काट दिए ज़िन्दगी के दिन ऐ दोस्त
वो तेरी याद में हों या तुझे भुलाने में 
..... फ़िराक़ गोरखपुरी.....

I have spent these days of life O friend.
Whether in your memory or attempting it to end.

इसी उम्मीद पे जलती हैं दश्त दश्त आँखें 
कभी तो आएगा उम्र-ए-ख़राब काट के वो
... ... मुसव्विर सब्ज़वारी......

Eyes burn jungle after jungle with the hope. 
Some day he will return after spending life dope.

 दिमाग़ दे जो ख़ुदा गुलशन-ए-मोहब्बत में 
हर एक गुल से तेरे पैरहन की बू आए
..... मुंशी अमीरुल्लाह तस्लीम.....

In the garden of love, if God gives mind. 
Each flower exudes smell of your apparel kind.

तेरा होना न मान कर गोया
तुझ को तस्लीम कर रहा हूँ मैं 
...... राम अवतार गुप्ता मुज़्तर.....

Not  accepting your being there
I am accepting your being there

किस ने भीगे हुए बालों से ये झटका पानी 
झूम कर आई घटा टूट के बरसा पानी
..... आरज़ू लखनवी .....

Who has shaken  tress to  dispel the water.
Zoomed rain clouds, shedding lots of water.

सुर्ख़ी शफ़क़ की ज़र्द हो गालों के सामने 
पानी भरे घटा तिरे बालों के सामने 
...... मुनीर शिकोहाबादी.....

Red of dawn appears pale compared to her cheeks.
Dark clouds  need be watered before tress peaks.

लिपट जाते हैं वो बिजली के डर से 
इलाही ये घटा दो दिन तो बरसे 
.....दाग़ देहलवी .....

She embraces with the lightening fear. 
O God let  dark clouds
 not disappear.

हम भी तस्लीम की ख़ू डालेंगे 
बे-नियाज़ी तिरी आदत ही सही 
..... मिर्ज़ा ग़ालिब.....

I 'll get used to discern. 
Despite her disconcern. 

सुनेगा कौन मेरी चाक-दामानी का अफ़्साना 
यहाँ सब अपने अपने पैरहन की बात करते हैं..... क़लीम आजिज़..... 

Who will listen to my tattered dress tale? 
Each one talks about his dress regale. 

अल्लाह-री जिस्म-ए-यार की ख़ूबी कि ख़ुद-ब-ख़ुद 
रंगीनियों में डूब गया पैरहन तमाम 
..... हसरत मोहानी 

What a beauty of her dress that on it's own. 
Coloured was the apparel all on it's own. 

प्यासो रहो न दश्त में बारिश के मुंतज़िर 
मारो ज़मीं पे पाँव कि पानी निकल पड़े 
..... इक़बाल साजिद..... 

Don't be thirsty in desert waiting for rain O dear. 
Bang foot on ground for
 the water to appear. 

दश्त की धूप है जंगल की घनी रातें हैं 
इस कहानी में बहर हाल कई बातें हैं 
..... जावेद नासिर.....

It's desert sun and dark jungle nights. 
There are many things in this tale sights. 

ये दश्त वो है जहाँ रास्ता नहीं मिलता 
अभी से लौट चलो घर अभी उजाला है 
..... अख़्तर सईद ख़ान..... 

It's that jungle which gives no way. 
Why not return, there's glow yet on home way. 






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