Tuesday, 22 November 2022

REKHTA.. TODAY'S 5 +9 COUPLETS

 ता-हद्द-ए-इम्कां कोई भी बस्ती न बयाबाँ
आँखों में कोई ख़्वाब दिखाई नहीं देता..... सैयद अमीन अशरफ़.....

To limit of possibility, there's  no dwelling, no desert.
 And in the eyes,there's no dream to insert. 

ख़्वाब की तरह बिखर जाने को जी चाहता है 
ऐसी तन्हाई कि मर जाने को जी चाहता है..... इफ़्तिख़ार आरिफ़..... 

I feel like scattering as a dream. 
Such solitude, death 'll be easy to gleam. 

उठो ये मंज़र-ए-शब-ताब देखने के लिए 
कि नींद शर्त नहीं ख़्वाब देखने के लिए 
..... इरफ़ान सिद्दीक़ी..... 

It's rising to see a glow with the night. 
Sleep is no requisite for dream in sight. 

अब जुदाई के सफ़र को मिरे आसान करो 
तुम मुझे ख़्वाब में आ कर न परेशान करो..... मुनव्वर राना..... 

Now set my parting journey at ease. 
Don't come to disturb in sleep please.

दुनिया पे अपने इल्म की परछाइयां न डाल
ऐ रौशनी फ़रोश ! अंधेरा न कर अभी 
..... साक़ी फ़ारूक़ी..... 

Don't cast shades of your knowledge spell. 
O light seller!  Let there be no darkness to dispel. 

मोहब्बत के लिए कुछ ख़ास दिल मख़्सूस होते हैं 
ये वो नग़्मा है जो हर साज़ पर गाया नहीं जाता..... मख़्मूर देहलवी..... 

Some specific hearts are meant for love to retain. 
This song can't  every musical instrument sing 'n contain. 

वजूद-ए-ज़न से है तस्वीर-ए-काएनात में रंग 
इसी के साज़ से है ज़िंदगी का सोज़-ए-दरूँ..... इक़बाल..... 

Females impart colour to picture of universe. 
 It's instrument plays the sad tune in verse. 

ग़ज़ल उस ने छेड़ी मुझे साज़ देना 
ज़रा उम्र-ए-रफ़्ता को आवाज़ देना 
..... सफ़ी लखनवी..... 

Let me set to music, he has given ghazal call. 
To the times gone by, give a little bit of call. 

वो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन 
उसे इक ख़ूब-सूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा..... साहिर लुधियानवी..... 

A story which  can't reach a proper end. 
Is better  left giving a beautiful  bend. 

ख़मोशी मेरी मअनी-ख़ेज़ थी ऐ आरज़ू कितनी 
कि जिस ने जैसा चाहा वैसा अफ़्साना बना डाला..... आरज़ू लखनवी..... 

O Arzoo ! How meaningful was my silence. 
Anyone could shape a tale with some sense. 

शदीद प्यास थी फिर भी छुआ न पानी को 
मैं देखता रहा दरिया तिरी रवानी को 
..... शहरयार..... 

Even in intense thirst, I didn't touch the water. 
O stream! I looked at the flow of your water. 

पीता हूँ जितनी उतनी ही बढ़ती है तिश्नगी 
साक़ी ने जैसे प्यास मिला दी शराब में 
....., अज्ञात..... 

With the drink is on rise thirst of mine. 
Wine girl has mixed thirst with the  wine. 

होंटों को रोज़ इक नए दरिया की आरज़ू 
ले जाएगी ये प्यास की आवारगी कहाँ 
..... वसीम बरेलवी..... 

Daily there's a desire of new stream on lips. 
Where from will this vagabond thirst get tips? 

किताबों से न दानिश की फ़रावानी से आया है 
सलीक़ा ज़िंदगी का दिल की नादानी से आया है..... फ़सीह अकमल...... 

Neither from books nor abundance of knowledge it's there. 
Proper way of life has come from genuine, simple heart affair. 








No comments:

Post a Comment