फूल ख़ुश्बू से ख़फ़ा हो जैसे
..... इफ़्तिख़ार आज़मी.....
Thus beauty is angry with love now.
Fragrance is angry with flower somehow.
किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ
..... अहमद फ़राज़.....
To how many shall I tell the separation cause.
You are angry with me, come for others cause.
लोग कहते हैं कि तू अब भी ख़फ़ा है मुझ से
तेरी आँखों ने तो कुछ और कहा है मुझ से ..... जाँ निसार अख़्तर.....
People say you are still angry with our ties.
But something else is told by your eyes.
कम नहीं है अफ़सर-शाही से कुछ ताज-ए-गदा
गर नहीं बावर तुझे मुनइम तो दोनों तोल ताज ..... शाह नसीर.....
No way lesser is the crown of beggar than an officer
Why not weigh if you don't agree with the bestower.
इस से बढ़ कर और क्या है सादा-लौही इश्क़ की
आप ने वादा किया और हम को बावर हो गया..... अज्ञात.....
How simple can the love be more than that.
You have promised and I have believed that.
हैं अनासिर की ये सूरत-बाज़ियाँ
शो'बदे क्या क्या हैं इन चारों के बीच
..... मीर तक़ी मीर.....
These are but the element tricks.
What is it that within these flicks
मिरी ख़्वाहिश है कि आँगन में न दीवार उठे
मिरे भाई मिरे हिस्से की ज़मीं तू रख ले
..... राहत इन्दौरी.....
I desire that a wall should not appear.
You take my share of land, brother dear.
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले..... ग़ालिब.....
A thousand desires, each worth dying for.
Many satisfied desires, but yet longing for.
मुझ को ख़्वाहिश ही ढूँडने की न थी
मुझ में खोया रहा ख़ुदा मेरा
..... जौन एलिया.....
I did not possess the longing to search.
Within me was lost my God for search.
विसाल-ए-यार की ख़्वाहिश में अक्सर
चराग़-ए-शाम से पहले जला हूँ
..... आलमताब तिश्ना.....
Often in the desire to meet my love
Much before eve' was ablazed above
अपने घरों के कर दिए आँगन लहू लहू
हर शख़्स मेरे शहर का क़ाबील हो गया
..... हीरानंद सोज़.....
There was blood in each home plot.
Every one controlled my city lot.
काश तुम समझ सकतीं ज़िन्दगी में शायर की ऐसे दिन भी आते हैं
जब उसी के पर्वर्दा चाँद उस पे हँसते हैं फूल मुस्कराते हैं
..... सलाम मछलीशहरी.....
I wish you could realise, in a poet's life such days appear.
When his dependant moons laugh 'n flowers smile in rear.
न रहे तुम जो हमारे तो सहारा न रहा
कोई दुनिया-ए-मोहब्बत में हमारा न रहा
..... बिस्मिल इलाहाबादी.....
When you didn't stay with me, there was no hope.
In this world of love, with no one could I cope.
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