कुछ इत्तेफाक़ है सैयाद आब-ओ-दाने का
...... क़लक़ मेरठी.....
Where was prison where was I, this cage for a bird that could fly.
O captor, it's a matter of chance, about food 'n water at a glance.
रिहा कर दे क़फ़स की क़ैद से घायल परिंदे को
किसी के दर्द को इस दिल में कितने साल पालेगा..... एतबार साजिद.....
Release from the realms of prison, an injured bird O dear!
For how many years , this pain
in heart can you rear?
नहीं इस खुली फ़ज़ा में कोई गोशा-ए-फ़राग़त
ये जहाँ अजब जहाँ है न क़फ़स न आशियाना..... इक़बाल.....
In this open atmosphere, there's no place for rest O dear.
This world is really strange, prison and rest site are out of range.
ज़ब्त करता हूँ तो घुटता है क़फ़स में मिरा दम
आह करता हूँ तो सय्याद ख़फ़ा होता है
..... क़मर जलालवी.....
If I try to control, my breath takes it's toll.
If I heave a deep sigh, captor's anger is on a high.
क़ैद रहता हूँ तो तौहीन है बाल-ओ-पर की
और उड़ जाऊँ तो सय्याद की रुस्वाई है
If I remain within prison, for my wings it's a treason.
If I break out of cage, for the captor it's no praise.
शहर की गलियों और सड़कों पर फिरते हैं मायूसी में
काश कोई 'अनवर' से पूछे ऐसे बे-घर कितने हैं?....अनवर जमाल अनवर....
In city lanes and roads every where, those who roam about
in despair.
From 'Anwar' may ask someone, how many homeless are on run?
रंज-ओ-ग़म ठोकरें मायूसी घुटन बे-ज़ारी
मेरे ख़्वाबों की ये ता'बीर भी हो सकती है
..... अख़्तर शाहजहाँपुरी.....
Grief and pain, kicks and despair, being unhappy and suffocated.
It could well be the explanation of my dream or something so closely related
.
' शकील' इस दर्जा मायूसी शुरू-ए-इश्क़ में कैसी?
अभी तो और भी होना है ख़राब आहिस्ता आहिस्ता..... शकील बदायूनी.....
'Shakeel' at the start of love, why this despair?
Slowly you 'll go from bad to worse in affair.
अजनबी रास्तों पर भटकते रहे
आरज़ूओं का इक क़ाफ़िला और मैं
ताबिश मेहदी.....
Staggering on these streets unknown.
Me and a caravan of desires known.
कभी कभी तो किसी अजनबी के मिलने पर
बहुत पुराना कोई सिलसिला निकलता है
..... मंज़ूर हाशमी.....
Meeting a strange person at times.
An old sequence unfolds at times
हाँ उन्हीं लोगों से दुनिया में शिकायत है हमें
हाँ वही लोग जो अक्सर हमें याद आते हैं
..... राही मासूम रज़ा.....
O yes, I have a blatant lament with those.
Who often in memories are so close.
आन के इस बीमार को देखे तुझ को भी तौफ़ीक़ हुई
लब पे उस के नाम था तेरा जब भी दर्द शदीद हुआ..... इब्न-ए-इंशा.....
Seeing this patient in the race,you too had a divine grace.
On his lips was your name, whenever an intense pain came
आ के पत्थर तो मिरे सहन में दो चार गिरे
जितने उस पेड़ के फल थे पस-ए-दीवार गिरे..... शकेब जलाली.....
Some stones fell in my courtyard.
All fruits fell behind wall
in accord.
आओ तो मेरे सहन में हो जाए रौशनी
मुद्दत गुज़र गई है चराग़ाँ किए हुए
..... अहमद बिलाल इब्न-ए-चमन.....
If you come, in my courtyard there will be light.
It's been long before there had been candle light.
बरसों से इस में फल नहीं आए तो क्या हुआ
साया तो अब भी सहन के कोहना शजर में है..... अख़्तर बस्तवी.....
What if there's been no fruit on this tree.
Shade pervades in courtyard from tree.
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