Saturday, 26 November 2022

REKHTA.. TODAY'S 5 +19 COUPLETS

उसी को जीने का हक़ है जो इस ज़माने में 
इधर का लगता रहे और उधर का हो जाए..... वसीम बरेलवी..... 

In this world only he has the living right. 
Who appears to be of left but 
is really right. 

मुझे दोस्त कहने वाले ज़रा दोस्ती निभा दे 
ये मुतालबा है हक़ का कोई इल्तिजा नहीं है..... शकील बदायूनी..... 

Just justify the friendship, you who call me friend. 
It's not a request but demand of right from this end. 

बोलते क्यूँ नहीं मिरे हक़ में 
आबले पड़ गए ज़बान में क्या 
..... जौन एलिया..... 

Why not speak in my favour? 
On tongue, is there a blister? 

ये ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता 
मैं जब तक घर न लौटूँ मेरी माँ सज्दे में रहती है..... मुनव्वर राना..... 

This is a debt that I can't pay back even by chance. 
Till I return home, my mom is
 in a state of trance. 

मिट्टी की मोहब्बत में हम आशुफ़्ता-सरों ने 
वो क़र्ज़ उतारे हैं कि वाजिब भी नहीं थे 
..... इफ़्तिख़ार आरिफ़..... 

In love of the land, from frenzied men's end. 
Such debts were paid, which weren't truly laid. 

कभी साया है कभी धूप मुक़द्दर मेरा 
होता रहता है यूँ ही क़र्ज़ बराबर मेरा 
..... अतहर नफ़ीस..... 

At times a shady fate, at times a sunny state. 
This is the only way, does my debt state sway. 

इतना सच बोल कि होंटों का तबस्सुम न बुझे 
रौशनी ख़त्म न कर आगे अँधेरा होगा 
..... निदा फ़ाज़ली..... 

Speak a little truth for beauty of lips to remain. 
There will be darkness ahead, so let light remain. 

दुश्मनी लाख सही ख़त्म न कीजे रिश्ता 
दिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिए 
..... निदा फ़ाज़ली..... 

Even if enmity is intense, don't finish relation sense. 
Even if hearts don't meet, let handshake be in street. 

जम्अ' हम ने किया है ग़म दिल में 
इस का अब सूद खाए जाएँगे 
..... जौन एलिया..... 

We have assembled grief in heart. 
Now we will get interest from start. 

अदा हुआ न क़र्ज़ और वजूद ख़त्म हो गया 
मैं ज़िंदगी का देते देते सूद ख़त्म हो गया 
..... फ़रियाद आज़र..... 

The debt was not yet paid, while my life was laid. 
My life was thus spent, paying interest on sum lent. 

कोई तो सूद चुकाए कोई तो ज़िम्मा ले 
उस इंक़लाब का जो आज तक उधार सा है..... कैफ़ी आज़मी..... 

Let someone pay interest, let someone pay the rest. 
Of that revolutionary fervour, which is yet in debt order. 

इक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का अदना ये फ़साना है 
सिमटे तो दिल-ए-आशिक़ फैले तो ज़माना है..... जिगर मुरादाबादी..... 

About this word love trail, it's a very small tale. 
When confined it's lover's heart,when stretched world falls short. 

हम को मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं 
हम से ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नहीं 
..... जिगर मुरादाबादी..... 

World doesn't have the grace, to erase even my face. 
The world is from my end, to
 it I don't extend. 

ज़माना बड़े शौक़ से सुन रहा था 
हमीं सो गए दास्ताँ कहते कहते 
..... साक़िब लखनवी..... 

World was listening with fervour the gist.
 I slept reciting the tale in
 it's midst. 

न समझोगे तो मिट जाओगे ऐ हिन्दोस्ताँ वालो 
तुम्हारी दास्ताँ तक भी न होगी दास्तानों में..... अल्लामा इक़बाल..... 

If you don't understand, you  indians won't stand. 
Your tale won't be there, among those the people care. 

कहानी लिखते हुए दास्ताँ सुनाते हुए 
वो सो गया है मुझे ख़्वाब से जगाते हुए 
..... सलीम कौसर..... 

While telling me a tale, writing stories to regale. 
Awakening me from dream, he slept in self esteem. 

ग़ज़ब किया तिरे वअ'दे पे ए'तिबार किया 
तमाम रात क़यामत का इंतिज़ार किया 
..... दाग़ देहलवी..... 

To believe in your promise was calamity indeed. 
Waiting night long for doom, was my own deed. 

मुझे ज़िंदगी की दुआ देने वाले 
हँसी आ रही है तिरी सादगी पर 
... गोपाल मित्तल..... 

Blessing for life on my behalf. How simple you are, I laugh. 

तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ 
मिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ 
..... अल्लामा इक़बाल..... 

Your extent of love is what I want. 
Look at my simplicity, what I want. 

तिरी अदाओं की सादगी में किसी को महसूस भी न होगा
अभी क़यामत का इक करिश्मा हया के दामन में पल रहा है
..... मुग़ीसुद्दीन फ़रीदी..... 

In your simple style, none will feel for a while. 
Within this shy guile, a deadly feat is to pile. 

आदमी जान के खाता है मोहब्बत में फ़रेब 
ख़ुद-फ़रेबी ही मोहब्बत का सिला हो जैसे..... इक़बाल अज़ीम..... 

Knowingly in love is deceived each man. 
Self deception is reward of what love can. 

ये क्या कि तुम ने जफ़ा से भी हाथ खींच लिया 
मिरी वफ़ाओं का कुछ तो सिला दिया होता..... अब्दुल हमीद अदम..... 

From faithlessness, why did you repeal? 
Some reward of faith was just my appeal. 

सुन रहा हूँ अभी तक मैं अपनी ही आवाज़ की बाज़गश्त 
यानी इस दश्त में ज़ोर से बोलना भी अकारत गया..... अब्बास ताबिश..... 

I am a still listening to echo of my own voice
In this desert was a waste, even raising my voice. 

मदहोशियों से काम लिया है कभी कभी 
हाथ उन का हम ने थाम लिया है कभी कभी..... राज़ लायलपुरी..... 

Perplexities I have used from time to time. 
I have held her hand from time to time. 













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