वो इक दिया बुझा के हज़ारों दिए जला गया..... अहमद फ़राज़.....
The terror wind thinks, in which whirlpool it sinks.
He put out a lamp, to keep alit thousands to stamp.
दिया ख़ामोश है लेकिन किसी का दिल तो जलता है
चले आओ जहाँ तक रौशनी मा'लूम होती है..... नुशूर वाहिदी.....
The lamp is silent but alit is someone' s heart.
As far as light is seen, you come on your part.
इलाज ये है कि मजबूर कर दिया जाऊँ
वगरना यूँ तो किसी की नहीं सुनी मैं ने
..... जौन एलिया.....
The only way to cure, is to compel me for sure.
Or else I didn't care, for anyone here or there.
शम'अ की तरह जलें बज़्मगह-ए-आलम में
ख़ुद जलें दीद-ए-अग़यार को बीना कर दें
We should burn like a lamp, on world gathering leave a stamp.
We should burn on our own,but should light up other' s zone.
ऐ शम'अ तिरी उम्र तबीई है एक रात
हँस कर गुज़ार या इसे रोकर गुज़ार दे
O lamp! Your age is defined, within a night it is confined.
You may cry or laugh it out, that's what it's all about.
तुम ने किया न याद कभी भूल कर हमें
हम ने तुम्हारी याद में सब कुछ भुला दिया..... बहादुर शाह ज़फ़र.....
You didn't remember me,
even by mistake didn't see.
In your memory I forgot,
the whole world or quite a lot.
इक सिलसिला हवस का है इंसाँ की ज़िंदगी
इस एक मुश्त-ए-ख़ाक को ग़म दो जहाँ के हैं..... पंडित बृज किशोर चकबस्त.....
It's a sequence of lust, for life of man a first.
For this fistful of dust, pain of both worlds is a must.
ज़िंदगी इक हादसा है और कैसा हादसा
मौत से भी ख़त्म जिस का सिलसिला होता नहीं..... जिगर मुरादाबादी.....
Life is a calamity and what a kind of calamity!
It's sequence isn't over, even with grave dust cover.
कभी कभी तो किसी अजनबी के मिलने पर
बहुत पुराना कोई सिलसिला निकलता है
..... मंज़ूर हाशमी.....
At times meeting a stranger, an old sequence goes further.
उस से हर-दम मोआ'मला है मगर
दरमियाँ कोई सिलसिला ही नहीं
.... जौन एलिया.....
With her, a contact always persists.
No sequence in between
exists.
न इब्तिदा की ख़बर है न इंतिहा मालूम
रहा ये वहम कि हम हैं सो वो भी क्या मालूम..... फ़ानी बदायूनी.....
Neither you are aware of it's start nor end.
A doubt exists that I am, but
it is off hand.
क्या जाने उसे वहम है क्या मेरी तरफ़ से
जो ख़्वाब में भी रात को तन्हा नहीं आता
..... शैख़ इब्राहिम ज़ौक़.....
I don't know about the doubt, from my side to her, about.
Even when coming in dreams, at night no solitude gleams.
इस वहम में वो 'दाग़' को मरने नहीं देते
माशूक़ न मिल जाए कहीं ज़ेर-ए-ज़मीं और..... दाग़ देहलवी.....
'Daagh' is not allowed to die with this doubt.
May not find a dame under earth, near about.
रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है
..... राहत इन्दौरी.....
There are daily some bars, in exhibition of stars.
Mad of course is the moon, travels in dark all so soon.
उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है..... राहत इन्दौरी.....
Her memories are here, O breaths slowly move.
Even heart throbs disturb,
when prayer is in groove.
बुलबुल के कारोबार पे हैं ख़ंदा-हा-ए-गुल
कहते हैं जिस को इश्क़ ख़लल है दिमाग़ का..... मिर्ज़ा ग़ालिब.....
Flowers don't regale, business of the nightingale.
What people call by love name, is a disturbed mind game.
इस वहम से कि नींद में आए न कुछ ख़लल
अहबाब ज़ेर-ए-ख़ाक सुला कर चले गए
..... जोश मल्सियानी.....
With a doubt that sleep might not be disturbed.
My friends laid me under earth, with soil disbursed.
मिलने की तरह मुझ से वो पल भर नहीं मिलता
दिल उस से मिला जिस से मुक़द्दर नहीं मिलता..... नसीर तुराबी.....
The way one should meet, not for a moment does he meet.
The heart has set a date, with whom meeting isn't in fate.
जो मिल गया उसी को मुक़द्दर समझ लिया
जो खो गया मैं उस को भुलाता चला गया
..... साहिर लुधियानवी.....
Whatever was found, I took it as fate bound.
Whatever I had lost, I forgot at every cost.
ज़ख़्म ही तिरा मुक़द्दर है दिल तुझ को कौन संभालेगा
ऐ मेरे बचपन के साथी मेरे साथ ही मर जाना..... ज़ेब गौरी.....
O heart wound is your fate, Who'll look after you O mate?
O my childhood friend! With me this life you end.
दिल पागल है रोज़ नई नादानी करता है
आग में आग मिलाता है फिर पानी करता है..... इफ़्तिख़ार आरिफ़.....
The heart is simply mad, with a new folly is daily clad.
It mingles fire with fire, then waters it in entire.
जुस्तुजू करनी हर इक अम्र में नादानी है
जो कि पेशानी पे लिक्खी है वो पेश आनी है..... इमाम बख़्श नासिख़.....
To keep making search, is a folly on hope perch.
Whatever is written in fate, will come forward on date.
इक मोहब्बत ही पे मौक़ूफ़ नहीं है 'ताबिश'
कुछ बड़े फ़ैसले हो जाते हैं नादानी में
O'Taabish' not only with love are these settled.
Some big decisions are just innocently rattled.
हाए वो नग़्मा जिस का मुग़न्नी
गाता जाए रोता जाए...हफ़ीज़ मेरठी...
The song whose singer brings.
Only tears while he sings!
यूँ भी तिरा एहसान है आने के लिए आ
ऐ दोस्त किसी रोज़ न जाने के लिए आ
..... तालिब बाग़पती.....
Of course it's your favour, you just come to go.
But some day O friend! Just come 'n don't go.
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