कि लहरें अब तलक सर मारती फिरती हैं साहिल से
What the drowning man told the waves isn't known.
Waves bang their heads against shore on their own.
इक समंदर के प्यासे किनारे थे हम अपना पैग़ाम लाती थी मौज-ए-रवाँ
आज दो रेल की पटरियों की तरह साथ चलना है और बोलना तक नहीं
..... बशीर बद्र.....
We were thirsty ocean shore, our message brought by waves on roar.
Today like two lines of the train, we live together but even talks don't rain.
आँखें आँसू भरी, पलकें बोझल घनी, जैसे झीलें भी हों, नर्म साए भी हों
ये तो कहिए उन्हें कुछ हँसी आ गई, बच गए आज हम डूबते डूबते
..... बशीर बद्र.....
Eyes loaded with tear, dense eyelashes without peer, as if there are lakes in which shades appear
Today she simply happened to smile on her own, I was saved from drowning by this act alone.
न जाने आह कि उन आँसुओं पे क्या गुज़री?
जो दिल से आँख तक आए, मिज़ाँ तक आ न सके
What befell those tears, I know not amidst sighs.
Who didn't reach eyelashes, but left heart for eyes.
लबों तक जो न आए वो मोहब्बत और होती है
फ़साना और होता है हक़ीक़त और होती है
What doesn't reach lips, is love of a different kind.
A story is separate from truth of a different mind.
चश्म-ए-तर बैठे थे हम तुम रू-ब-रू
हाय वो आँसू जो यूँ ही बह गए !
..... रवि मौन.....
We confronted each other with tear filled eyes.
For tears simply shed, I grieve amidst sighs.
कहते हैं उम्र-ए-रफ़्ता कभी लौटती नहीं
जा मय-कदे से मेरी जवानी उठा के ला
..... अब्दुल हमीद अदम.....
It's said age gone by, doesn't return.
Go to bring my youth back from tavern.
उड़ते उड़ते आस का पंछी दूर उफ़क़ में डूब गया
रोते-रोते बैठ गई आवाज़ किसी सौदाई की..... क़तील शफ़ाई......
Flying bird of hope, sank in horizon, couldn't cope.
The griever wept and wept,
till his voice too slept.
पुराने साल की ठिठुरी हुई परछाइयाँ सिमटीं
नए दिन का नया सूरज उफ़ुक़ पर उठता आता है..... अली सरदार जाफ़री.....
Shivering in shadows of old year finally shrank.
New sun of new day arises from horizon to thank.
सूरज के उफ़ुक़ होते हैं मंज़िल नहीं होती
सो ढलता रहा जलता रहा चलता रहा मैं
..... सऊद उस्मानी.....
There's horizon for the sun but there's no goal.
I kept burning 'n sinking and was on roll.
कम से कम मौत से ऐसी मुझे उम्मीद नहीं
ज़िंदगी तू ने तो धोके पे दिया है धोका
..... फ़िराक़ गोरखपुरी.....
At least from death, I have no hope of retort.
O life ! You have deceived me in every sort.
इस उम्मीद पे रोज़ चराग़ जलाते हैं
आने वाले बरसों ब'अद भी आते हैं
..... ज़ेहरा निगाह.....
In this hope, I keep lamps daily aglow.
Even after years, return those who go.
किस से उम्मीद करे कोई इलाज - ए-दिल की
चारागर भी तो बहुत दर्द का मारा निकला..... लुत्फ़ - उर-रहमान.....
From whom to expect treatment of heart?
Healer was seen towing
pain laiden cart.
दुश्मनों की जफ़ा का ख़ौफ़ नहीं
दोस्तों की वफ़ा से डरते हैं
..... हफ़ीज़ बनारसी.....
I am not afraid of disloyal foe trends.
I am very afraid of loyalty of friends.
लर्ज़ां है किसी ख़ौफ़ से जो शाम का चेहरा
आँखों में कोई ख़्वाब पिरोने नहीं देता
..... प्रकाश फ़िक्री .....
Trembling with the fear is evening face.
No dream can be weaved
in eye place.
चटक में ग़ुंचे की वो सौत-ए-जां-फ़ज़ा तो नहीं
सुनी है पहले भी आवाज़ ये कहीं मैंने
..... अख़्तर अली अख़्तर.....
Is breaking open of a bud, a co-wife of pleasant weather?
I have heard this sound elsewhere earlier together.
न सताइश की तमन्ना न सिले की परवा
न सही गर मिरे अश'आर में मअ'नी न सही..... मिर्ज़ा ग़ालिब.....
Neither I care for any reward nor praise.
Immaterial if my couplets no meaning chase.
मैं आप अपनी मौत की तय्यारियों में हूँ
मेरे ख़िलाफ़ आप की साज़िश फ़ुज़ूल है
..... शाहिद ज़की.....
I am preparing for my death on my own.
Your plan to harm me is better left alone.
ये अंजुमन ये क़हक़हे ये महवशों की भीड़
फिर भी उदास फिर भी अकेली है ज़िंदगी
..... नक़्श लायलपुरी.....
This gathering, guffaws, and moon faces crowd.
Still life is sad and solitary to be proud.
वो क्या ज़िंदगी जिस में जोशिश नहीं
वो क्या आरज़ू जिस में काविश नहीं
..... कृष्ण मोहन.....
What's life without a fervour?
What's desire without endeavour?
इतनी काविश भी न कर मेरी असीरी के लिए
तू कहीं मेरा गिरफ़्तार न समझा जाए
..... सलीम अहमद.....
Don't make efforts for being captured by me.
Let not people think, you are
captured by me
तुझ को ऐ सय्याद काविश ही अगर मंज़ूर है
तू चमन में छोड़ दे मुझ को मिरे पर तोड़ कर..... मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी.....
O capturer if it's effort that you want to see.
You break my wings, in garden set me free.
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