मिरे अंदर का इंसाँ भी ख़फ़ा है इंतिहा है
..... ताहिर अदीम.....
Being angry with me, love! you aren't alone.
The extent is man inside bears angry tone.
ज़रा सा साथ दो ग़म के सफ़र में
ज़रा सा मुस्कुरा दो थक गया हूँ
..... लियाक़त अली आसिम.....
Join me a while in the journey of grief.
I am tired, just smile, however brief.
बिखरे हुए थे लोग ख़ुद अपने वजूद में
इंसाँ की ज़िंदगी का बड़ा बंदोबस्त था
..... इब्राहिम अश्क.....
People were scattered within their own.
Human life was greatly managed alone.
दोस्ती आम है लेकिन ऐ दोस्त।
दोस्त मिलता है बड़ी मुश्किल से
..... हफ़ीज़ होशियारपुरी.....
Friendship is common but O friend.
It's very difficult to get a friend.
आया ये कौन साया-ए-ज़ुल्फ़ - दराज़ में।
पेशानी-ए-सहर का उजाला लिए हुए
..... जमील मज़हरी.....
Who has come in this dense tress shade.
With a glow of morning on forehead made.
राहबर रहज़न न बन जाए कहीं इस सोच में
चुप खड़ा हूँ भूल कर रस्ते में मंज़िल का पता..... आरज़ू लखनवी.....
Guide may not become robber, with this thought in mind.
I am standing alone enroute, forgetting goal in kind.
मैं हवा हूँ कहाँ वतन मेरा
दश्त मेरा न ये चमन मेरा
..... अमीक़ हनफ़ी.....
I am the wind and no land is mine,
Neither a desert, nor garden is mine.
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