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Tuesday, 13 December 2022

चतुष्पदी... रवि मौन

मोहब्बत एक जज़्बा है, जिसे ख़्वाबों ने ढाला है
हसीनों ने अदाओं, शोख़ियों से, इस को पाला है 
याँ बढ़ती उम्र से बढ़ती ख़ुमारी मै की, मैकश की
जुदाई हो, मिलन हो, एक सी प्याले में  हाला है

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