Wednesday, 17 May 2023

COUPLETS OF VARIOUS POETS

ख़ुदा जाने करेगा चाक चाक किस किस के गरेबाँ को
अदा से उन का चलने में वो दामन को उठा लेना
al
God knows how many robes will be tattered in meanwhile.
Her lifting a little hem, while walking in coquettish style. 


खिलते हैं दिल में फूल तिरी याद के तुफ़ैल 
आति्श-कदा तो देर हुई सर्द हो गया
..... मुज़फ़्फ़र हनफ़ी..... 

With your memory flowers in heart bloom. 
Since long, fireplace is cold as the gloom. 

हम आप क़यामत से गुज़र क्यूँ नही जाते
जीने की शिकायत है तो मर क्यूँ नहीं जाते
..... महबूब ख़िज़ां..... 

Why don't you 'n I pass the doomsday? 
With regrets from life, why not pass away? 

एक हमें आवारा कहना कोई बड़ा इल्ज़ाम नहीं 
दुनिया वाले दिल वालों की जाने क्या क्या कहते हैं 
..... हबीब जालिब..... 

Calling me a vagabond isn't a big lament.
 People on we hearties' ve much to comment. 


सिर्फ़ दरवाज़े तलक जा के ही लौट आया हूँ 
ऐसा लगता है कि सदियों का सफ़र कर आया
..... कैफ़ी विजदानी..... 

I am back from her house gate. 
It's like centuries passed O mate! 

और क्या चाहती है गर्दिश - ए-अय्याम कि हम
अपना घर भूल गए उनकी गली भूल गए 
..... जौन एलिया..... 

What else does world from me want. 
I forgot my home and her lane grant. 

 जो आ के रुके दामन पे 'सबा' वो अश्क नहीं है पानी है
जो पलकों पर ही रुक जाए उस अश्क की क़ीमत होती है 
..... सबा अफ़गानी .....

The tear that drops on hem is just a drop of water later
That one which can  stay on lashes is precious drop to cater. 

 किसी की बज़्म के हालात ने समझा दिया मुझ को
कि जब साक़ी नहीं अपना तो मय अपनी न जाम अपना
     अज़हर इनायती.     

The condition of her group had told it strong to me. 
If wine girl isn't mine, wine 'n cup don't belong to me

क्या ख़बर थी राज़-ए-दिल अपना अयाँ हो जाएगा 
क्या ख़बर थी आह का शोला ज़बाँ हो जाएगा
..... आग़ा शायर क़ज़लबाश..... 

I knew not that heart secret 'll be out soon. 
I knew not, ember of sigh will go over 

अपनी तस्वीर मनाओगे तो होगा अह्सास 
कितना दुश्वार है ख़ुद को कोई चेहरा देना
    .....     मज़हर इनायती.   

If you sketch your own, it will be known. 
How hard it is give a shape to your own? 

अजीब होते हैं आदाब-ए-रुख़सत-ए-महफ़िल
कि वो भी उठ के गया जिसका घर न था कोई 
..... सहर अंसारी..    

The style of leaving the group are so strange. 
He also leaves who lacks home within range 

हुस्न को भी कहाँ नसीब 'जिगर' 
वो जो इक शै मेरी निगाह में है 
.    जिगर मुरादाबादी..... 

 O Jigar even beauty doesn't have it in fate. 
Something that's there in my view mate. 

उस से कुछ ख़ास तअ'ल्लुक भी नहीं है अपना
मैं परेशान हुआ जिस की परेशानी से
..   दिलावर अली आज़र..... 

I have no special connection with him mate. Though I was troubled by his troubled state. 


है मश्क़-ए-सुख़न जारी चक्की की मशक़्क़त भी 
इक तुर्फ़ा तमाशा है 'हसरत' की तबीअत भी
..... हसरत मोहाली..... 

Concurrent are troubles of grinding mill and poetic drill 
Strange is the show with 'Hasrat' 's arms, quill and bow. 

हो गए नाकाम तो पछताएँ क्या 
दोस्तों के सामने शरमाएँ क्या
..... कफ़ अहमद सिद्दीक़ी..... 

If I wasn't a success, why repent? 
Before chums why look so spent? 


. मकाँ शीशे का बनवाते हो 'आज़र' 
बहुत आएँगे पत्थर देख लेना 
....कफ़ील आज़र अमरोहवी

O 'Aazar'you made a glass house high
Just wait and see, many stones 'll fly. 

ज़िन्दगी कम पढ़े परदेसी का ख़त है' इबरत'
ये किसी तरह पढ़ा जाए न समझा जाए
..... इबरत मछलीशहरी.... 

Lif8 is a letter from less read lover abroad
Neither can be read nor taken for fraud. 

हम ने सब को मुफ़लिस पा कर तोड़ दिया दिल का कश्कोल
हम को कोई क्या दे देगा क्यूँ मुँह-देखी बात करें? 
..... अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा..... 

I broke heart's begging bowl, finding poor persons on the whole. 
Who can make an offer to me, why say any thing to please thee? 

कुचल कुचल के न फ़ुटपाथ को चलो इतना
यहाँ पे रात को मज़दूर ख़्वाब देखते हैं 
..... अहमद सलमान..... 

 Don't crush the footpath while you walk. 
Labourers dream here as nights knock. . 

कुछ बे-ठिकाना करती रहीं हिजरतें मुदाम
कुछ वहशतों ने मेरी मुझे दर-ब-दर किया 
.... साबिर ज़फ़र...... 

My migrations kept me homeless, on move. 
My frenzies helped in door to door move. 

ये राह-ए-इश्क़ है आख़िर कोई मज़ाक़ नहीं 
सऊबतों से जो घबरा गए हों घर जाएँ
..... दिल अय्यूबी..... 

It's a love road, not a joke,  just to roam
Those afraid of difficulty, may go home. 



दिल में भरी है ख़ाक में मिलने की आरज़ू
ख़ाकिस्तरी हुआ है. हमारी क़बा का रंग
..... हबीब मूसवी..... 

Desire to meet with dust fils my heart. 
Ashen is now colour of my dress part

मैं तो ग़ज़ल सुना के अकेला खड़ा रहा
सब अपने अपने चाहने वालों में खो. गए
.... कृष्ण बिहारी नूर..... 

I was standing alone after ghazal recital. 
All were lost in their lovers for a revival. 

तुम्हें ख़याल नहीं किस तरह बताएं तुम्हें 
कि साँस चलती है लेकिन उदास चलती है
..... महबूब ख़िज़ां.....

How to tell you, 'cos you just can't think. 
The breath is on move, but in a sad link. 

बस यही सोच के रहता हूं मैं ज़िंदा इस में
ये मोहब्बत है कोई मर नहीं सकता इस में
..... फ़ैज़ान हाशमी.....

Thinking thus, I keep alive in it. 
It's love, can't die, if you dive in it. 
एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमें 
और ह्य भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं 
..... फिराक़ गोरखपुरी.....

Your memory didn't throng, in mind since long. 
But I couldn't forget, you 'd always come along. 


हाँ मैंने ये कौल दिया था जनम जनम पकड़ूँगा हाथ
पिछले पहर रक़ीब की आँखें भीगी देखीं क्या करता ? 
..... रवि मौन..... 

Birth after birth, I'll keep marrying you, I promised so, it's true. 
My rival had tears last night,  what to do
 such was his plight. 

पा के इक तेरा तबस्सुम मुस्कराई कायनात
झूम उट्ठा वो भी दिल जीने से जो बेज़ार था
..... जयकृष्ण चौधरी हबीब..... 

  The whole universe smiled with your smile. 
Even that heart danced which was angry awhile. 

दोस्तों से इस क़दर सदमे उठाए जान पर
दिल से दुश्मन की अदावत का गिला जाता रहा
..... हैदर अली आतिश..... 

Torture of friends on life were so much. 
I forgot what enemies served me as such. 

वो किसी को याद कर के मुस्कराया था उधर
और मैं नादान ये समझा कि वो मेरा हुआ 
..... इक़बाल अशहर..... 

Remembering someone she smiled that way. 
The foolish me thought, she was mine in sway. 

गाहे गाहे की मुलाक़ात ही अच्छी है 'अमीर' 
क़द्र खो देता है हर रोज़ का आना जाना
..... अमीर मीनाई..... 

O'Ameer it's good to meet at distant times. 
Meeting daily, loses goodwill within chimes. 

नमाज़ शुक्र की पढ़ता। है जाम तोड़ के शैख़
वुज़ू के वास्ते लेता है आबरू-ए-शराब
..... मुनीर शिकोहाबादी..... 

Priest performs Friday prayer after breaking wine-cup. 
For hand wash, he takes off wine 's
glorious make-up. 

 एक तुम्हारा होना क्या से क्या कर देता है
बे-ज़ुबान छत दीवारों को घर कर देता है
.....महेश्वर तिवारी..... 

See what can be done by your being here. 
Dumb walls 'n roof' ve become a home here. 

इस ज़िन्दगी में इतनी फ़राग़त किसे नसीब
इतना न याद आ कि तुझे भूल जाएँ हम
...... अहमद फ़राज़..... 

How to get so much rest in the life after all? 
Don't crowd memory to forget you after all. 

नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तजू ही सही
नहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही
..... फ़ैज़ अहमद फ़ैज़..... 

Let search be continued, if goal isn't in sight. 
If meeting isn't possible, let desires  alight.

अज़ल से ता-ब-अबद एक ही कहानी है
इसी से हम को नई दास्ताँ. बनानी है
..... कालीदास गुप्ता रज़ा..   

From beginning to eternity tale is the same
We have to craft a new one within this game. 

अपने नज़दीक दर्द-ए-दिल मैं कहा
तेरे नज़दीक क़िस्सा-ख़्वानी की
..... मीर असर..... 

To myself I narrated the heart pain.
 Before you, it was a new tale again. 

दिल ना-उम्मीद तो नहीं नाकाम ही तो है
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है
..... फ़ैज़ अहमद फ़ैज़..... 

Heart didn't succeed but still had hope. 
Grief eve' is long but yet an eve'to cope

अपनी ज़ुबाँ से कुछ न कहेंगे चुप ही रहेंगे आशिक़ लोग
तुम से तो इतना हो सकता है पूछो हाल बिचारों का
..... इब्न-ए-इंशा..... 

Lovers will always keep quiet, will have nothing to say. 
You can be.courteous 'n ask what have you to say? 

जो भी दे दे वो करम से वही ले ले' नादिर'
माँगने से तो ख़ुदा और ख़फ़ा होता है 
..... नादिर शाहजहाँपुरी..... 

Whatever He offers, you just accept. 
If you ask for, God' ll be angry, reject. 

ये किस ने फ़ोन पे दी साल-ए-नौ की तहनियत मुझ को 
तमन्ना रक़्स करती है तख़य्युल गुनगुनाता है 
..... अली सरदार जारी..... 

Who on phone has said good wishes for new year.
The desires dance and thoughts hum with cheer. 

वे सूरतें इलाही किस मुल्क बस्तियाँ हैं 
अब देखने को जिन के आँखें तरसतियाँ हैं 
..... मोहम्मद रफ़ी सौदा..... 

O God! These faces reside in which state? 
To see them these eyes long for O mate! 

हम से नफ़रत करो कि प्यार करो 
कोई रिश्ता तो उस्तुवार करो 
..... सय्यद शाहिद हुसैन इश्क़ी..... 

Whether you love me or hate. 
Relation must be firm O mate! 

ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आया 

जाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया
  
 
कैसे कह दूँ कि मुलाक़ात नहीं होती है 

रोज़ मिलते हैं मगर बात नहीं होती है 

 
 
उन का ज़िक्र उन की तमन्ना उन की याद 

वक़्त कितना क़ीमती है आजकल
 
 
मेरे हम-नफ़स मेरे हम-नवा मुझे दोस्त बन के दग़ा न दे 

मैं हूँ दर्द-ए-इश्क़ से जाँ-ब-लब मुझे ज़िन्दगी की सज़ा न दे
  
 
कभी यक-ब-यक तवज्जोह कभी दफ़अतन तग़ाफ़ुल 

मुझे आज़मा रहा है कोई रुख़ बदल बदल कर
  
 
मुझे दोस्त कहने वाले ज़रा दोस्ती निभा दे 

ये मुतालबा है हक़ का कोई इल्तिजा नहीं है 

 दिल में है मुलाक़ात के चाहत की दबी आग
मेंहदी लगे हाथों को छुपा कर कहाँ रक्खूँ
..... किश्वर नाहीद..   

Unextinguished fire of meeting desire is there in the heart. 
Hands have hennaed feel, how not to reveal, am novice at art. 

कुछ तो तिरे मौसम ही मुझे रास कम आए
और कुछ मिरी मिट्टी में बग़ावत भी बहुत थी 
..... परवीन शाकिर..... 

I didn't get used to your season's altar 
I was revolutionary from the start so far. 

ख़ूब पर्दा है कि चिलमन से लगे बैठे हैं 
साफ़ छुपते भी नहीं सायने आते भी नहीं 
..... दाग़ देहलनी..... 

What a cover, she is behind a split bamboo curtain.
 Neither fully concealed nor revealed for certain. 

 मैं जब भी उस की उदासी से ऊब जाऊँगी
वो यूँ हँसेगा कि मुझ को उदास कर देगा
..... अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा..... 

Whenever his sadness will bore me. 
He 'll laugh in a way that'll score me. 

जादू है या तिलिस्म तुम्हारी ज़ुबान में 
तुम झूट कह रहे थे मुझे ए' तिबार था
..... बेख़ुद देहलवी..... 

There's some magic in the way you say. 
You were telling lies, I believed anyway. 

देख ज़िंदा से परे रंग-ए-चमन जोश-ए-बहार 
रक़्स करना है तो फिर पाँव की ज़ंजीर न देख
...... मजरूह सुल्तानपुरी..... 

Look beyond the prison, colourful garden, spring in swing. 
If you want to dance, don't look at chains or other thing. 

रास्तो क्या हुए वो लोग कि आते - जाते
 मेरे आदाब पे कहते थे कि जीते रहिए
..... अज़हर इनायती..... 

Where are those who while traversing the route? 
On each salute would bless me with  life cute. 

मैं अपनी प्यास में खोया रहा ख़बर न हुई
क़दम-क़दम पे वो दरिया पुकारता था मुझे 
..... अशफ़ाक हुसैन..... 

I was lost in my thirst, didn't realise. 
On each step river called to 

'बर्क़' उफ़्तादा तो है सल्तनत-ए-आलम में 
ताज-ए-सर इज्ज़ से नक़्श-ए-कफ़-ए-पा होता है

'Barq' in  kingdom of universe is fallen
Modest crowned head is heel fallen. 

ख़्वाब ही ख़्वाब कब तलक देखूँ 
काश तुझ को भी इक झलक देखूँ 
..... ओबैदुल्ला असीम..... 

How long should dreams be seen? 
How I wish your glimpse be seen. 

लहजा तो बदल चुभती हुई बात से पहले
तीर ऐसा तो हो जिस को कि नख़चीर भी चाहे
..... गौहर..... 

Change your style before saying words that pinch. 
The arrow should be such the target must flinch. 

इक ख़्वाब ही तो था जो फ़रामोश हो गया 
इक याद ही तो थी जो भुला दी गई तो क्या 
..... इफ्तिखार आरिफ़.....

What if forgotten it was just a dream. 
A memory can be left as unclaimed beam. 

कुछ ग़म-ए-जानाँ कुछ ग़म-ए-दौराँ दोनों मेरी ज़ात के नाम 
एक ग़ज़ल मंसूब है उस से एक ग़ज़ल हालात के नाम 
... .. मलिकज़ादा मंज़ूर अहमद..... 

Her griefs and griefs of world, both are in my name 
One ghazal is written on her, next on state's fame. 

तू न था तेरी तमन्ना देखने की चीज़ थी
दिल न माना वर्ना दुनिया देखने की चीज़ थी
..... लियाकत अली आसिम...... 

Not you,but your desire was worth looking at. 
Heart didn't allow or world was worth looking at. 

रौशनी बाँटता हूँ सरहदों के पार भी मैं 
हम-वतन इसलिए ग़द्दार समझते हैं मुझे 
..... शाहिद ज़की..... 

I distribute light beyond borders as well. 
My countrymen think I am a traitor swell. 

तुम्हें मनने का मुझको ख़याल क्या आए
कि अपने आप से रूठा हुआ तो मैं भी हूँ 
..... अशफ़ाक हुसैन...... 

How can a thought to be with you come
 in mind? 
I am also angry with myself in each and every kind. 

तू मुझे बनते बिगड़ते हुए अब ग़ौर से देख
वक़्त कल चाक पे रहने दे न रहने दे मुझे 
...... ख़ुर्शीद रिज़वी..... 

You watch me with care how I shape and lose it's feel . 
Tomorrow time may or may not leave me on the wheel. 

 आँखों के ख़्वाब दिल की जवानी भी ले गया 
वो अपने साथ मेरी कहानी भी ले गया 
..... फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी.....

He took my dreams and also youth of heart. 
Along with self, he took my story from start. 



जिन्हें तारीख़ भी लिखते डरेगी
वो हंगामे यहाँ होने लगे हैं 
..... फ़सीह अकमल..... 

The calender will be afraid to record. 
Such incidents here, are in accord. 

सुकून-ए-दिन के लिए इश्क़ तो बहाना था
वगर्ना थक के कहीं तो ठहर ही जाना था
.....फातिमा हसन..... 

Solace of heart was a lovely excuse. 
Exhausted, somewhere, I needed recluse. 

बिंत-ए-हव्वा हूँ मैं ये मिरा जुर्म है
और फिर शायरी तो बड़ा जुर्म है
..... सरवत ज़ेहरा..... 

I am Eve's daughter, it's my crime. 
And poetry is an even bigger crime. 

ये कायनात मेरे सामने है सिम्त-ए-बिसात
कहीं जुनूँ में उलट दूँ न इस जहान को मैं 
..... अख्तर उस्मान..... 

This world before me is a chessboard. 
In frenzy I may even turn it overboard. 

तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
क्या ग़म है जिसको छुपा रहे हो
..... कैफ़ी आज़मी..... 


जबीं पर सादगी नीची निगाहें बात में नरमी 
मुख़ातिब कौन कर सकता है तुम को लफ़्ज़-ए-क़ातिल से ..... हसरत मोहानी..... 

A simple forehead, downcast eyes and talks so soft. 
Who can address you as a murderer, a word so soft. 

ज़ुलेख़ा बे-ख़िरद आवारा लैला बद-मज़ा शीरीं
सभी मजबूर हैं दिल से मोहब्बत आ ही जाती है
..... क़लक मेरठी..... 

Zulekha is senseless, Laila fanatic, Shirin in bad taste. 
All are pawns of heart, as the love takes over in haste. 

नासेह नसीहतें ये किसे याद रहती हैं 
हज़रत अभी किसी से तबीयत लगी नहीं 
..... 
O clergyman! Who remembers these advices by you? 
O man! You haven't fallen in love, still
  long to pursue. 

कल जा के हम ने 'मीर के दर पर सुना जवाब
मुद्दत हुई यहाँ वो ग़रीब-उल-वतन नहीं 
      मीर तक़ी मीर...... 

At' Mir's home. yesterday I could find out. 
Since long Mir isn't there, he has gone out. 

बिछड़ने का हमें इम्कान तो था
मगर अब दिन मुक़र्रर हो गया है
..... विकास शर्मा राज़.... 

There was a chance to part. 
Now the day is fixed on chart. 

लिपट जाते हैं वो बिजली के डर से
इलाही ये घटा कुछ और बरसे

She embraces me afraid of electric spark. 
O God! Shed more water by clouds dark. 

फ़ना का ही है बक़ा नाम दूसरा 'अंजुम' 
नफ़स का आमद-ओ-शुद मौत का तराना है 
..... महावीर प्रसाद अंजुम.... 

Immortality is another name of death. 
There's a song of death in each breath. 

किस ने देखे हैं तेरी रूह के रिसते हुए ज़ख़्म 
कौन उतरा है तिरे क़ल्ब की गहराई में? 
.    रईस अमरोहवी

Who has seen all the seeping wounds of your soul? 
Who has descended depth of your heart as a whole? ...

बनाने वाले शायद तेरा कोई ख़ास मक़सद था
मिरी फूटी हुई तक़दीर से टूटे हुए दिल से.

Well perhaps there was something in Your mind. 
Crafting my broken heart, shattered fate of it's kind. 

ज़िंदगी क्या है अनासिर का ज़हूर-ए-तरतीब
मौत क्या है इन्हीं अजज़ा का परेशां होना
..... पंडित ब्रज नारायण किशोर चकबस्त..... 

Life is when elements organise. 
Death is when these disorganise.

तेरी जुस्तजू की धुन में मैं पहुँच गया वहाँ तक
जहाँ दूसरा अभी तक कोई नक़्श-ए-पा नहीं है 

In your pursuit, I have reached that place. 
Where no foot has ever left it's trace. 

तू बचाए लाख दामन मेरा फिर भी है ये दावा
तेरे दिल में मैं ही मैं हूँ कोई दूसरा नहीं है

 You may try to evade but I still hold the claim. 
In your heart, it's only mine and no other face. 

है निगाह-ए-लुत्फ़ ग़ैरों पर तो बंदा जाए है
ये सितम ओ बे-मुरव्वत किस से देखा जाए है
..... मोमिन..... 

A comforting look on rivals, then I leave. 
Such torture O unloving is hard to perceive. 

है दोस्ती तो जानिब-ए-दुश्मन न देखना
जादू भरा हुआ है तुम्हारी निगाह में 
..... मोमिन..... 

You are a friend, don't look towards foe at all. 
There's magic confined in your look after all. 

निहां है दिल-पज़ीरी जिस के हर हर लफ़्ज़-ए-शीरीं में 
ये किस जान-ए-वफ़ा के हाथ की रंगीं निगारिश है
..... हसरत मोहानी..... 

Where attraction is concealed in each  sweet word. 
Which loyal dame sent such coloured letter forward. 

लिक्खा था अपने हाथ से तुम ने जो एक बार
अब तक हमारे पास है वो यादगार ख़त
..... हसरत मोहाली..... 

The letter which you wrote with your own hand. 
That memorable letter still holds a place grand. 

ले के ख़त उन का किया ज़ब्त बहुत कुछ लेकिन 
थरथराते हुए हाथों ने भरम खोल दिया 
...  जिगर मुरादाबादी..   

With her letter in hand I tried to conceal a lot. 
But my trembling hands exposed the plot. 

भोले बन कर हाल न पूछो बहते हैं अश्क तो बहने दो
जिस से बढ़े बेचैनी दिल की ऐसी तसल्ली रहने दो
.... आरज़ू लखनवी.   

Don't pose you are innocent, let the rolling tears  roll. 
What makes heart more restless, don't this way console. 

उजड़ी हुई आँखों में रौनक़ तेरे दम  से थी
वीरान है हर बस्ती वीराने को क्या कहिए
..... फ़ानी बदायूनी..... 

There was a glitter because of you in my deserted eyes. 
Each settlement is deserted, with which desert hold ties? 

पहुंचूँ मैं किस की कोहना हक़ीक़त को आज तक
'इंशा'. न इस दिल को मिला अपना ही कुछ सुराग़
..... इंशा अल्लाह ख़ां इंशा.....

How can I reach someone ''s truth so old ? 
' Insha'I didn't get trace of my own heart bold. 

मेरी जवानी के गर्म लम्हों पे डाल दे गेसुओं का साया
ये दोपहर कुछ तो मोतदिल हो तमाम माहौल जल रहा है
  . अब्दुल हमीद अदम..... 

On warm moments of my youth cast the  shade of your tress. 
Let this midnoon be a little light, entire area is in fiery stress. 

शबाब नाम है उन जांनवाज़ लम्हों का
जब आदमी को ये महसूस हो जवाँ हूँ मैं 
..... नेआज़ फ़तेहपुरी..... 

Youth is that pleasant moments name. 
When you feel being young in the game. 

ऐ हम-नफ़स न पूछ जवानी का माजरा
मौज-ए-नसीम थी इधर आई उधर गई
..... तिरलोकचंद महरूम..... 

O companion ! Don't ask about youth state. 
It was morning breeze, came 'n went in spate. 


 ये तो इंसानों के टूटे हुए दिल हैं साक़ी
हम से टूटे हुए साग़र नहीं देखे जाते

O winegirl ! These are broken human hearts. 
I can't see the shattered wine-jug parts. 

थी वस्ल में भी फ़िक्र-ए-जुदाई तमाम शब
वो आए भी तो नींद न आई तमाम शब
..... मोमिन ख़ां मोमिन..... 

Even in meeting, there was risk of parting all night. 
She came but the sleep had been smarting all night. 

पूजता हूँ कभी बुत को कभी पढ़ता हूँ नमाज
मेरा मज़हब कोई हिंदू न मुसलमान समझा
...  मातम फ़ज़ल मोहम्मद..... 

At times, I chant Islamic hymns, at others before idols pray. 
Neither Hindus nor Muslims could know my religious spray. 

बरसों से इस में फल नहीं आए तो क्या हुआ 
साया तो अब भी सहन के कोहना शजर में है 
..... अख्तर बस्तवी.... 

Since years, it hasn't given fruits, so what? 
This old tree has given the shade I sought. 



दिल ओ नज़र की बक़ा है फ़क़त मोहब्बत में 
दिल ओ नज़र से कोई और काम मत लेना 
..... फ़व्वाद अहमद..... 

Only in love are immortal eyes and heart. 
 Don't employ these for any other part. 

यूँ तो अब भी है नही रंज वही महरूमी
वो जो इक तेरी तरफ़ से जो इशारा न रहा
..... हबीब अश'अर देहलवी..... 

Although same grief, emptiness still remain. 
A signal from your side failed to sustain. 

ज़र का बंदा हो कि महरूमी का मारा हुआ शख़्स 
जिस को देखो वही औक़ात से निकला हुआ है 
..... तौक़ीर तक़ी..... 

Whether a man is wealthy or deprived of it
Everyone appears to be beyond his bit. 

ये भी इक रंग है शायद मिरी महरूमी का 
कोई हँस दे तो मोहब्बत का गुमाँ होता है 
..... ग़ुलामी मोहम्मद क़ासिर..... 

Probably it's also my deprivational hue. 
When one smiles, love appears to be due. 



इक ख़ुशी हम ने दिल में चाही थी
वो भी ग़म की पनाह में गुज़री
...... शकील बदायूनी..... 

Heartily I had just asked for a joy.
 In grief shade that too did I enjoy. 

ये मेरे इश्क़ की मजबूरियां मआज़ अल्लाह 
तुम्हारा राज़ तुम्हीं से छुपा रहा हूँ मैं 
..... मजाज़ लखनवी..... 

What compulsions in love are there O lord
Concealing your secrets from you on record. 

दुनिया तो चाहती है यूँही फ़ासले रहें
दुनिया के मश्वरों पे न जा उस गली में चल
..... हबीब जालिब..... 

The world wants that the distances remain
Don't listen to it's whims, just go in that lane. 

चमन में रखते हैं काँटे भी इक मक़ाम ऐ दोस्त 
फ़क़त फूलों से ही गुलशन की आबरू तो नहीं 
..... उम्मीद फ़ाज़ली.... 

There's a place for thorns in the garden O friend ! 
The dignity of garden isn't limited to flower trend. 

मिल गई मुझको तो दुनिया से नजात
क़त्ल कर के आप को क्या मिल गया 
..... राज़ रामपुरी ..... 

I am relieved of this world with the move. 
What did you gain in the show, it's groove. 

बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी
लोग बे-वजह उदासी का सबब पूछेंगे
..... कफ़ील आज़र अमरोहवी..... 

The spoken words will spread too far. 
Men 'll ask why are you sad, what for ? 
















भड़काएँ मिरी प्यास को अक्सर तिरी आँखें 
सहरा मिरा चेहरा है समुंदर तिरी आँखें
..... मोहसिन नक़्वी..... 

Your eyes often intensify my existing thirst. 
Your eyes are an oceanm💙fqce desert first

बज़्म-ए-वफ़ा सजी तो अजब सिलसिले हुए 
शिकवे हुए न उन से न हम से गिले हुए 
..... यज़दानी जालंधरी.... 

Strange things happened when loyal's gathering was set. 
Neither I complained nor laments from
 her side wers met. 




हमेशा ख़ून-ए-दिल रोया हूँ मैं लेकिन सलीक़े से
न धब्बा आस्तीं पर है न क़तरा जैब-ओ-दामन पर

I always shed bloody tears but have maintained a style. 
No stain is on cuff, no drop on hem pocket in meanwhile. 

तेरे दामन पर सितारे झिलमिलाते हों फ़लक
मुझ को अपनी माँ की मैली ओढ़नी अच्छी लगी
..... मुनव्वर राना..... 

There may be stars on your hem stretch O yonder sky. 
I always liked the dirty dress of my mom feeling shy. 

दामन पे कोई छींट न ख़ंजर पे कोई दाग़ 
तुम क़त्ल करो हो कि करामात करो हो 
..... कलीम आजिज़

No blood stain is on your dagger, no drop on your hem. 
Whether you perform a magical feat or you murder them. 

काँटों से गुज़र जाता हूँ दामन को बचा कर 
फूलों की सियासत से मैं बेगाना नहीं हूँ 
..... शकील बदायूनी..... 

I pass through the thorns saving core of my dress. 
It's not that  domain of flowers fails to impress. 

 आया ही था ख़याल कि आँखें छलक गईं
आँसू किसी की याद के कितने क़रीब हैं 

A thought was enough for tears to roll. 
With tears, your memory takes it's toll. 

 गर्द-ओ-ग़ुबार याँ का ख़िल'अत है अपने तन को
मर कर भी चाहते हैं ख़ाक-ए-वतन कफ़न को
..... चकबस्त..... 

The dust of this place is a prized dress in hand. 
On my coffin too, I want the soil of mother- land. 

अपने ही ग़म में जो टपके तो है आँसू लेकिन 
ग़ैर के ग़म में जो टपके वो गुहर होता है

It's a tear if it drops in your own grief. 
And a pearl if it's shed for other's relief. 

 शब-ए-फ़िराक़ की तन्हाइयों.से घबरा कर
तुम्हारे मिलने की उम्मीद आँख में पाकर
मचल के आ गए आँखों में दिल को ठुकरा कर
बहुत तलाश किया तुम को हर तरफ़ जा कर
न पाया जब तुम्हें वाँ भी तो ग़म से घबरा कर
टपक के पलकों से अश्कों ने ख़ुदकुशी कर ली

Troubled by solitude of departure at night. 
Hoping to find you in eyes within sight. 
They surfaced in eyes, shunned the heart. 
Searched over 'n again then part by part. 
Not finding grief amassed made to decide.
Tears fell from eyes to commit  suicide. 


अज़ाब होती हैं अक्सर शबाब की घड़ियां 
गुलाब अपनी ही ख़ुशबू से डरने लगते हैं 
..... बद्र वासी..... 

Often agonising are the times of early youth. 
Roses are afraid of fragrance, it's the truth. 

पास से देखा तो जाना किस क़दर मग़्मून हैं 
अन-गिनत चेहरे कि जिन को शादमाँ समझा था मैं 
..... चंद्रभान ख़याल..... 

Getting close I could know how sad are these. 
Many faces which I thought were happy, 
at ease. 

अगर दर्द-ए-मोहब्बत से न इंसां आश्ना होता
न कुछ मरने का ग़म होता न जीने का मज़ा होता
..... चकबस्त..... 

If man wasn't aware about love grief. 
No charm in life, hurt of death 'd be brief. 

बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भूल गया अल्लाह-ताला
गिरी गाज़ा पर ध्यान सुरा में मग्न रहा पीने वाला
शैख बुरा मत मानो इस का साफ़ कहूँ तो मस्जिद को
अभी युगों तक सिखलाएगी ध्यान लगाना मधुशाला 
..... हरिवंश राय बच्चन..... 

With clarinet tune, devotee forgot the Lord
Even lightening the drunkard didn't record. 
Don't mind O priest, for tavern can teach
The mosque for ages, meditational accord

तर-दामनी पे शैख़ हमारी न जाइयो
दामन निचोड़ दें तो फ़रिश्ते वुज़ू करें

 O priest ! Don't talk about my wet cloak. 
If squeezed, for hand-wash, angels 'll flock. 

दामन है तार-तार मुझे कुछ पता नहीं
 कब आ गई बहार मुझे कुछ पता नही 

The hem is in tatters and I don't know. 
The spring has arrived and I don't know. 

इक शक्ल है जो दिल को सताती है आज भी
वो फूल है कि ख़ार मुझे कुछ पता नहीं 

A face still haunts me night and day. 
It's flower or thorn, well I don't know. 

दामन-ए-यार से जा लिपटे हमारे आँसू
गिर के इस तरह सँभलते हैं सँभालने वाले

My tears embraced my beloved's cloack. 
That's how the fallen rise in a stroke. 

गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले
चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले
..... फ़ैज़ अहमद फ़ैज़..... 

Colouring the flowers, let the new spring breeze blow. 
Do come so that the business of garden gets in flow. 

चेहरे पे ख़ुशी छा जाती है आँखों में सुरूर आ जाता है
जब तुम मुझे अपना कहते हो अपने पे ग़ुरूर आ जाता है 

Pleasure on face all along has been, an intoxication in eyes is seen. 
When you call me as your own, a sense of pride on myself  is seen. 

तुम हुस्न की ख़ुद इक दुनिया हो शायद ये तुम्हें मालूम नहीं 
महफ़िल में तुम्हारे आते ही हर शय पे नूर आ जाता है

You are a world of beauty on your own, probably to you it is unknown. 
When you step in a gathering scene, a glow on everything is seen. 

एक मोहब्बत काफ़ी है 
बाक़ी उम्र इज़ाफ़ी है
..... महमूद ख़िज़ां..... 

One love for life is enough
Rest of life is a waste! A bluff. 

आए जो चंद तिनके क़फ़स में सबा के साथ
मैंने उन्हीं को अपना नशेमन समझ लिया 
..... सलाम संदेलवी..... 

Some straws had floated in my cage with the breeze.
I considered these as my nest, a way  of release. 

जहाँ तलक भी ये सहरा दिखाई देता है
मिरी तरह ही अकेला दिखाई देता है 
..... शकेब जलाली..... 

As far as this desert is seen. 
It is lonely, as I have been. 

न इतना तेज़ चले सरफिरी हवा से कहो
शजर पे एक ही पत्ता दिखाई देता है 

Don't blow off the top O wind. 
To fall, last leaf is keen. *
(Word keen also means a desire to meet ancestors or the leaves that fell earlier. ) 

Only one leaf on tree is seen. 

उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में ज़िन्दगी की शाम हो जाए
..... बशीर बद्र..... 

Let glow of your memories be with me in strife. 
Who knows, which lane marks the eve' of life. 

ये सच है जल रहा है क़तरा क़तरा रेत पे अब
ये आब ज़िंदा था, दरिया का साथ छोड़ दिया

फोटा फोटा जोले जाच्चे, तप्तो रेते सत्यो आच्चे
एई जोल जीबन्तो छीलो, नदीर शाथ छेड़े दीलो
(Bengali) 

It's true that it's burning drop by drop on hot sand. 
This water was really alive, left the stream for land. 

. न होगा पाक कभी हुस्न-ओ-इश्क़ का झगड़ा 
ये किस्सा वो है कि जिस का कोई गवाह नहीं 
.    हैदर अली आतिश..... 

Tussle between love 'n beauty will never settle. 
There is simply no evidence for this battle. 

इरादे बाँधता हूँ सोचता हूँ तोड देता हूँ 
कहीं ऐसा न हो जाए कहीं वैसा न हो जाए
..... हफ़ीज़ जालंधरी ..... 

I make plans, think and finally break these. 
It may not happen this way or that way please. 

क्या कहूँ उस से कि जो बात समझता ही नहीं 
वो तो मिलने को मुलाक़ात समझता ही नहीं 
..... फातिमा हसन..... 

What to tell him who understands nothing at all. 
He considers our meeting as no meeting at all. 

 जिन से इंसाँ को पहुँचती है हमेशा तकलीफ़
उन का दावा है कि वो ख़ास ख़ुदा वाले हैं 
..... अब्दुल हमीद अदम..... 

Those who hurt the man every time. 
Claim, they are men of God in prime. 

हज़ार रुख़ तिरे मिलने के हैं न मिलने में। 
किसे फ़िराक़ कहूँ और किसे विसाल कहूँ 
..... रविश सिद्दीक़ी.....

Thousand faces of meeting are when you don't meet. 
What to label separation and what to call the meet? 

कब अपने किए का मुझे इक़रार नहीं है
वो संग उठाए जो गुनहगार नहीं है

 I don't disagree with what I have done. 
First stone from one whose sin is none. 
...
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें
जैसे कुछ सूखे हुए फूल किताबों में मिलें
..... अहमद फ़राज़.... .  

May be parting now, we 'll be dream bound. 
As dried out flowers in books are found. 

ये भी मुमकिन है कहीं रास्ते में मिल जाए
वो एक शख़्स जिसे दोस्त कहना आसां हो
..... अहमद फ़राज़..... 

That person you may, just meet on the way. 
To whom with ease, a friend you can say. 

 दिल वो नगर नहीं कि फिर आबाद हो सके
पछताओगे सुनो हो ये बस्ती उजाड़ के
..... मीर तक़ी मीर..... 

Heart isn't a city that can be rehabilitated. 
Listen to what I say, you 'll regret if it's vacated. 

हुआ है इश्क़ में कम हुस्न-ए-इत्तिफ़ाक़ ऐसा 
कि यार दिल को तो दिल यार को पसंद हुआ 
..... ज़ेबा..... 

In love, such beauty of coincidence is rare. 
Heart likes lover, lover likes the heart-ware. 

सोज़-ए-ग़म दे के मुझे उस ने ये इरशाद किया 
जा तुझे कशमकश-ए-दहर से आज़ाद किया
..... जोश मलीहाबादी..... 

Giving me extreme grief, she passed on an order. 
I am releasing you from dilemna of world disorder. 

गुल के होने की तवक़्क़ो में जिए बैठी है
हर कली जान को मुट्ठी में लिए बैठी है

Hoping to turn in a flower is each bud. 
Ready to sacrifice it's life is each bud. 

Hoping to bloom like a flower in their midst
Each bud is striving with it's life in a fist. 

उन को आँखें दिखा दे टुक साक़ी
चाहते हैं जो बार बार शराब

O winegirl, on them, eyes you train. 
Who ask for wine again 'n again. 

दिल हो गया है ग़म से तिरे दागदार ख़ूब
फूला है क्या ही जोश से ये लाला-ज़ार ख़ूब

My heart is spotted by your grief quite a lot. 
Bed of tulips is blooming in fervor quite a lot


(ये तीनों अश'आर उर्दू की पहली महिला शायर मह लक़ा बाई चन्दा के हैं) 

बरसों ग़म-ए-गेसू में गिरफ़्तार तो रक्खा
अब कहते हो क्या तुम ने मुझे मार तो रक्खा

You made me a captive for years in tress chain. 
And now you claim to have had you slain. 

कुछ बे-अदबी और शब-ए-वस्ल नहीं की
हाँ यार के रुख़सार पे रुख़सार तो रक्खा

No other misconduct was done on meeting night. 
Oh yes! On his cheek I placed my cheek plain. 

(ये दोनों अश' आर मीर तक़ी मीर की लड़की बेग़म लखनवी के हैं) 

जाए है जी नजात के ग़म में 
ऐसी जन्नत गई जहन्नम में 
..... मीर तक़ी मीर..... 



इन हवाओं से मौसम बदलने लगा धूप में प्यार की नर्म चुमकार है
फिर कबूतर के जोड़े के दिल में उठी तिनके चुन चुन के लाने की फ़ितरी चुभन..... बशीर बद्र..... 

The winds have set a change in weather and stealthily kissing is now the sun. Again in paired pigeon hearts, gathering distant straws has naturally begun. 

वो आख़िरी कँपकँपाता जुमला कि इस तअ'ल्लुक को ख़त्म कर दो
बड़े जतन से कहा है उसने,  नहीं किया तो बुरा लगेगा... ज़ुबैर अली ताबिश...  

That final trembling sentence, to let our relations end. 
She said it with a pretence, if not done,
 it 'd offend. 

जब उस की बज़्म में दार-ओ-रसन की बात चली
मैं झट से उठ गया और आगे आ के बैठ गया 
..... ज़ुबैर अली ताबिश..... 

When in her gathering it was floored. 
Gallows and chord are on the board. 
All of a sudden, I just got up. 
Sat in front row to lip the cup. 

 मैं रस्मन कह रहा हूँ फिर मिलेंगे 
ये मत समझो कि वा'दा कर रहा हूँ
..... ज़ुबैर अली ताबिश..... 

As a custom I am saying, we'll meet again. 
Do not consider it as a promise, inane! 

तेरे ख़त आज लतीफ़ों की तरह लगते हैं 
ख़ूब हँसता हूँ जहाँ लफ़्ज़-ए-वफ़ा आता है 
..... ज़ुबैर अली ताबिश..... 

Now your letters  look like jokes. 
I laugh , when word 'loyalty' pokes. 

तुम्हारे ग़म से तौ'बा कर रहा हूँ 
तअ'ज्जुब है मैं ऐसा कर रहा हूँ 
..... ज़ुबैर अली ताबिश..... 

A penitence in name of your pain. 
Surprising, why I take this pain? 

आज तो दिल के दर्द पर हँस कर
दर्द का दिल दुःखा दिया मैंने... ज़ुबैर अली ताबिश... 

Laughing today at pain of heart. 
I could hurt the pain at heart. 

सच्चाई जब हम को मुजरिम ठहराए
आईनों पर हम झुंझलाने लगते हैं 
..... राज़िक अंसारी..... 

When I am held guilty by the truth. 
I fret on mirrors showing the truth. 


न रुकी वक़्त की गर्दिश न ज़माना बदला
पेड़ सूखा तो परिंदों ने ठिकाना बदला
..... ज़ुबैर अली ताबिश..... 

Neither time stopped nor the world ever changed. 
When the tree dried, nesting site, birds changed. 

ऐ मुझ को फ़रेब देने वाले 
मैं तुझ पे यक़ीन कर चुका हूँ 
..... अतहर नफ़ीस..... 

You who handed me the deceit. 
I am convinced with you cheat ! 

हर इक शिकस्त-ए-तमन्ना पे मुस्कराते हैं 
वो क्या करें जो मुसलसल फ़रेब खाते हैं 
..... राज़ मुरादाबादी.... 

As each longing breaks, I smile without fail. 
What 'll he do, who is served deceit trail ? 

शदीद धूप में सारे दरख्त सूख गए
बस इक दुआ का शजर था. जो बे-समर न हुआ। 
     अलीमा इतरत..... 

All trees dried in the intense sun. 
Prayer tree faught war, didn't run. 

मजबूरी जब होठों को सी जाती है
आँसू दिल का दर्द बताने लगते हैं 
..... राज़िक अंसारी..... 

When compulsion seals your lips. 
The tears give heart grief, slips! 


तुम ने कैसा ये रास्ता रक्खा
न मिले हो न फ़ासला रक्खा
   . ओबैदुल्ला शाह..... 

What's this relationship, you maintain? 
Neither you  meet, nor distance retain. 

जमाना हुस्न नज़ाकत  बला जफ़ा शोख़ी
सिमट के आ गए सब आपकी अदाओं में 
..... कालीदास गुप्ता रज़ा..... 

World, beauty, coquettry grace,
 disloyalty, scourge of the race. 
How is it that all could pace, 
together in your stylish face ? 

सच बोलें तो दुनिया होती है नाराज़ 
झूट कहें तो हम हकलाने लगते हैं 
..... राज़िक अंसारी..... 

 If I speak truth, world breaks ties. 
I just stutter while telling the lies. 

Transcreated by..... Ravi Maun..... 

अपने वहशत-ज़दा कमरे की इक अलमारी में 
मेरी तस्वीर अक़ीदत से सजा रक्खी है 


तुम मुझे भूल भी जाओ तो ये हक़ है तुम को 
मेरी बात और है मैंने तो मोहब्बत की है
..... साहिर लुधियानवी..... 


आँधी से कोई कह दे कि औक़ात में रहे 
..... राहत इन्दौरी .....

We are not those leaves,
 that' d snap from  trees.
 Let someone tell the storm, 
to stay within it's norm. 

शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है 
जिस डाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती है 
..... बशीर बद्र..... 

Even that is a moment's show, 
bubble of your fame may blow.
 A branch, on which you alight, 
can break any time, alright! 

न टूट कर इतना हम को चाहो कि रो पड़ें हम
दबी दबाई सी चोट इक इक उभर गई है..... मुसव्विर सब्ज़वारी..... 

Don't like me so much, 
that I cry out as such. 
It has emerged in a shape, 
 each hurt, that I could drape. 

अगर वो आज रात हद्द-ए-इल्तिफ़ात तोड़ दे
कभी फिर उस से प्यार का ख़याल भी न आएगा..... याकूब यावर..... 

lf this night she breaks,
 limits of kindness checks. 
I will never  even think
of loving her for a blink. 

उर्दू है जिस का नाम हमीं जानते हैं 'दाग़' 
हिन्दोस्ताँ में धूम हमारी ज़बाँ की है 
..... दाग़ देहलवी..... 

Urdu is language 's name,
'Daagh' only knows the same. 
Flavour of our language is  such,
in India, it's spread very much . 

कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त 
सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया
..... साहिर लुधियानवी..... 

Who weeps for someone? 
O friend! There's none. 
You weep for your own, 
something that is known. 

किसी बेवफ़ा की ख़ातिर ये जुनूँ 'फ़राज़' कब तक 
जो तुम्हें भुला चुका है उसे तुम भी भूल जाओ
.... अहमद फ़राज़..... 

O 'Faraz' ! Why keep frenzy for 
the faithless one, below par? 
One who has forgotten you, 
well, you forget her too. 

मुख़्तसर ये है हमारी दास्तान-ए-ज़िंदगी 
इक सुकून-ए-दिल की ख़ातिर उम्र भर तड़पा किए.... मुइन अहसन जज़्बी.... 

Well, it is in short, 
tale of my life part. 
I was agonised so strong,
 for peace of heart life long. 

किस किस की ज़बाँ रोकने जाऊँ तिरी ख़ातिर 
किस किस की तबाही में तिरा हाथ नहीं है
..... अहसान दानिश..... 

Whose tongue can I hold ?
For you to be that bold. 
Is not it your trend?  
Ruining lives off hand ! 

आइना देख कर तसल्ली हुई 
हम को इस घर में जानता है कोई 
..... गुलज़ार..... 

It has given me solace, 
seeing in mirror, my face.
 In this home, something small ,  recognises me after alI . 

साफ़ इंकार अगर हो तो तसल्ली हो जाए
झूटे वादों से तिरे रंज सिवा होता है
..... क़ैस हैदरी देहलवी.... 

If you clearly deny,
 my comfort 'll be high. 
It increases my pain, 
 false promise over 'n again. 

क्यूँ 'मुनीर' अपनी तबाही का ये कैसा शिकवा 
जितना तक़दीर में लिक्खा है अदा होता है
..... मुनीर नियाज़ी..... 

O 'Muneer'! Why comment? 
On your ruins, why lament? 
What's written in your fate? 
Is served on your plate. 

ज़िक्र जब होगा मोहब्बत में तबाही का कहीं 
याद हम आएँगे दुनिया को हवालों की तरह
..... सुदर्शन फ़ाकिर..... 

When in love you state, 
about ruins, O dear mate! 
World would simply quote,
remember me from remote. 

लोग चुन लें जिस की तहरीरें हवालों के लिए 
ज़िंदगी की वो किताब-ए-मो'तबर हो जाइए
... अब्दुल मुजाहिद ज़ाहिद... 

People may quote, select, 
 whose writings as a fact. 
Be that reliable book 
of life, which all ' ll look. 


Transcreated by Ravi Maun 

आने वाले जाने वाले हर ज़माने के लिए 
आदमी मज़दूर है राहें बनाने के लिए 
..... हफ़ीज़ जालंधरी..... 

Anytime that comes and goes, 
the world in all it's shows. 
To pave the paths he can,
as labourer is man' s span. 

पेड़ के नीचे ज़रा सी छाँव जो उस को मिली 
सो गया मज़दूर तन पर बोरिया ओढ़े हुए 
..... शारिब मौरान्वी..... 

Where he could find a shade, 
under the tree God made. 
A labourer could just sleep,
 covered by empty sack heap. 

कुचल कुचल के न फ़ुटपाथ को चलो इतना 
यहाँ पे रात को मज़दूर ख़्वाब देखते हैं 
..... अहमद सलमान.....

 As you walk, don't crush, 
stamp footpath in a rush. 
It's where the labourers sleep,
 at night they dream so deep. 

तामीर-ओ-तरक़्क़ी वाले हैं कहिए भी तो इन को क्या कहिए 
जो शीश-महल में बैठे हुए मज़दूर की बातें करते हैं..... ओबैदुर रहमान..... 
They are  builders and progressive men. 
What to say about them, then? 
In their own glass - houses they sit, 
talk about labourers quite a bit. 

उस से यही कहता हूँ वाजिब एहतिराम-ए-इश्क़ है 
अंदर से ये ख़्वाहिश है वो जैसा कहे वैसा करूँ
..... वारिस किरमानी..... 

I tell her that it's just, 
respect for love is a must. 
But it's desire from inside,
 that she orders 'n I abide. 

मिट्टी की मोहब्बत में हम आशुफ़्ता-सरों ने 
वो क़र्ज़ उतारे हैं कि वाजिब भी नहीं थे 
..... इफ़्तिख़ार आरिफ़..... 

We love our land so much, 
that frenetics us, as such. 
Even though it wasn't just, 
paid those debts as a must. 

मिरी ख़्वाहिश है कि आँगन में न दीवार उठे 
मिरे भाई मिरे हिस्से की ज़मीं तू रख ले 
..... राहत इन्दौरी..... 

I wish there be no wall,
 in this courtyard at all. 
Land that's in my share,
brother! Keep it with you, there. 

हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले 
बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले..... मिर्ज़ा ग़ालिब..... 

I have many thousand wishes galore,
 each worth dying for and more. 
I have fulfilled many a desire, 
for many more I still aspire. 

मुझ को ख़्वाहिश ही ढूँडने की न थी 
मुझ में खोया रहा ख़ुदा मेरा 
..... जौन एलिया..... 

I didn't have requisite desire, 
to search for you as if on fire. 
Within me, you were lost, 
O God I didn't pay the cost! 

इक रोज़ छीन लेगी हमीं से ज़मीं हमें 
छीनेंगे क्या ज़मीं के ख़ज़ाने ज़मीं से हम 
..... सबा अकबराबादी..... 

One day land will snatch 
us from us, it's a catch. 
Can we snatch from land, 
it's treasures varied 'n grand? 

ये क्या कि वो जब चाहे मुझे छीन ले मुझ से 
अपने लिए वो शख़्स तड़पता भी तो देखूँ 
..... परवीन शाकिर..... 

What's it that he can snatch,
 me from myself, no match!
 I wish to see him someday, 
agonizing for me, my way. 

ज़िंदगी छीन ले बख़्शी हुई दौलत अपनी 
तू ने ख़्वाबों के सिवा मुझ को दिया भी क्या है..... अख़्तर सईद ख़ान..... 

O life! You can snatch, 
all your grants, each batch! 
What have you given to me 
but  for the dreams I see? 

लोग सदमों से मर नहीं जाते 
सामने की मिसाल है मेरी 
.... अनवर शऊर..... 

From catastrophies, the men,
 don't die now and then. 
One such case is me, 
you can clearly see. 

कहाँ मिलेगी मिसाल मेरी सितमगरी की 
कि मैं गुलाबों के ज़ख़्म काँटों से सी रहा हूँ
..... मोहसिन नक़्वी..... 

Where will it's equal be, 
example of my tyranny. 
I stitch wounds of rose, 
by thorns grown with those. 

मुझे अब मौत बेहतर ज़िन्दगी से 
वो की तुम ने सितमगरी कि तौबा
..... हक़ीर..... 

Death for me is now, 
better than life anyhow. 
Repentance is not enough, 
for your tyrannical stuff. 

चर्ख़ को कब ये सलीक़ा है सितमगरी में 
कोई माशूक़ है इस परदा-ए-ज़नगरी में 
..... मन्नू लाल सफ़ा लखनवी..... 

Skies don't have this style, 
of tyranny all the while. 
Some beloved holds the reins, 
behind helpless lover chains. 

बे-सबब जम'अ तो करता नहीं तीर-ओ-तरकश
कुछ हदफ़ होगा ज़माने की सितमगारी का
..... एजाज़ गुल..... 

No one keeps in store, 
arrows, quiver and more. 
A target for practice is there, 
for the tyranny everywhere. 

इस बार भी दुनिया ने हदफ़ हम को बनाया 
इस बार तो हम शह के मुसाहिब भी नहीं थे
..... इफ़्तिख़ार आरिफ़..... 

This time too world chose, 
me as aim among all those. 
This time I didn't even hold, 
any rank adorned with gold.

अच्छी मिसाल बनतीं ज़ाहिर अगर वो होतीं 
इन नेकियों को हम तो दरिया में डाल आए
.... मुनीर नियाज़ी..... 

Had these been exposed, 
as example could've posed. 
But in the river I threw, 
good deeds, quite a few. 

जुस्तुजू करनी हर इक अम्र में नादानी है 
जो कि पेशानी पे लिक्खी है वो पेश आनी है
..... इमाम बख़्श नासिख़..... 

It's innocence indeed,
 to search for 'n then plead. 
What's written in the fate, 
will be served in your plate. 

क्या मदरसे में दहर के उल्टी हवा बही 
वाइज़ नही को अम्र कहे अम्र को नही 
..... शैख़ ज़हीरुद्दीन हातिम.... 

In this school of universe,
 flows wind in the reverse? 
Preacher calls no as command
'n order as no to reprimand. 

शर्त सलीक़ा है हर इक अम्र में 
ऐब भी करने को हुनर चाहिए 
..... मीर तक़ी मीर..... 

Style's a prerequisite grand, 
for each and every command
Even when you do bad deed, 
perfection is just the need. 

मेरे ख़्वाबों में भी तू मेरे ख़यालों में भी तू 
कौन सी चीज़ तुझे तुझ से जुदा पेश करूँ

You reside in my dreams, 
in thoughts as well, it seems. 
What can be offered to you, 
which is different from you? 

मैं चाहता था कि उस को गुलाब पेश करूँ 
वो ख़ुद गुलाब था उस को गुलाब क्या देता
..... अफ़ज़ल इलाहाबादी..... 

I wanted to present, 
a rose loaded with scent.
 She is herself a rose, 
how can I rose dispose? 

बुरा हो आईने तेरा मैं कौन हूँ न खुल सका
मुझी को पेश कर दिया गया मिरी मिसाल  में
..... अब्दुल अहद साज़..... 

O mirror you are so bad, 
what I am, remained clad. 
I was presented in form, 
as an example of norm. 

मिलती है ग़म से रूह को इक लज़्ज़त-ए-हयात 
जो ग़म-नसीब हैं वो बड़े ख़ुश-नसीब हैं
..... वफ़ा मलिकपुरी..... 

Grief passes on to soul,
 joy of life as a whole. 
Those who are blessed with grief, 
have a very good fortune fief. 

ज़मीं रोई हमारे हाल पर और आसमाँ रोया 
हमारी बेकसी को देख कर सारा जहाँ रोया
..... वहशत रज़ा अली कलकत्वी..... 

Earth cried on my state, 
Sky wept, it was my fate. 
So helpless have I been, 
my equal is not seen. 

ग़ुर्बत की ठंडी छाँव में याद आई उस की धूप 
क़द्र-ए-वतन हुई हमें तर्क-ए-वतन के बाद 
..... कैफ़ी आज़मी..... 

In cold shade of exile, 
sun of her memories pile. 
When I am out of nation, 
so proud I'm about nation. 


Transcreated by Ravi Maun. 















सब ने ग़ुर्बत में मुझ को छोड़ दिया 
इक मेरी बेकसी नहीं जाती

All have left me in exile.
Helplessness keeps it's style . 

आँखें भी हाए नज़अ में अपनी बदल गईं 
सच है कि बेकसी में कोई आश्ना नहीं 
..... ख्वाजा मीर दर्द..... 

Near death, even eyes turned around. 
Love for helpless is not to be found. 





मेरी ग़ुर्बत को शराफ़त का अभी नाम न दे 
वक़्त बदला तो तिरी राय बदल जाएगी 
..... निदा फ़ाज़ली..... 

Don't label my poverty as being noble. 
If time changes , your opinion 'll wobble. 

ग़ुर्बत की ठंडी छाँव में याद आई उस की धूप 
क़द्र-ए-वतन हुई हमें तर्क-ए-वतन के बाद 
..... कैफ़ी आज़मी..... 

In cold shade of exile, 
sun of her memories pile. 
When I am out of nation, 
so proud I'm about nation. 




अश्कों के निशाँ पर्चा-ए-सादा पे हैं क़ासिद 
अब कुछ न बयाँ कर ये इबारत ही बहुत है..... अहसन अला ख़ां..... 

O envoy plain paper bears, 
some imprints of her tears. 
Now don't tell me any more, 
this inscription settles score. 

तू ने यूँ देखा है जैसे कभी देखा ही न था 
मैं तो दिल में तिरे क़दमों के निशाँ तक देखूँ..... अहमद नदीम क़ासमी..... 

This way you have seen, 
as if never earlier seen. 
I am seeing in my heart,
 imprints of your feet chart. 

इस तरह रोज़ हम इक ख़त उसे लिख देते हैं 
कि न काग़ज़ न सियाही न क़लम होता है 
..... वाली आसी..... 

I write to her every day, 
one letter in this way. 
Neither there's any ink,
Nor any pen 'n paper to think. 




आसमानों में फिरा करते हैं फूले फूले
हल्के लोगों के बड़े काम हवा करती है
..... मोहम्मद आज़म..... 

They float puffed up,
 in skies higher up. 
For light hearted snobs, 
wind does their jobs. 

ज़ुल्मत ओ नूर में कुछ भी न मोहब्बत को मिला 
आज तक एक धुँदलके का समाँ है कि जो था..... फ़िराक़ गोरखपुरी..... 

Love didn't get it's right,
 in darkness or light. 
It's the same misty scene,
 as it always had been. 

लाख कहते रहें ज़ुल्मत को न ज़ुल्मत लिखना 
हम ने सीखा नहीं प्यारे ब-इजाज़त लिखना..... हबीब जालिब..... 

You say that I shouldn't write, 
about tyranny and it's plight. 
I have not learnt O dear! 
To write dictates of fear. 

रौशनी के लिए दिल जलाना पड़ा 
कैसी ज़ुल्मत बढ़ी तेरे जाने के बअ'द 
..... ख़ुमार बाराबंकवी..... 

I had to burn the heart, 
to spread light on my part. 
How darkness spread it's zone? 
Simply after you had gone. 

शब-ए-फ़ुरक़त नज़र आते नहीं आसार-ए-सहर
इतनी ज़ुल्मत है रुख़-ए-शम्अ पे भी नूर नहीं..... बर्क़ देहलवी..... 

There's no sign of morning light, 
during the separation night. 
Darkness is so stark in it's place, 
there's no glow on alit candle face. 

जावे भी फिर आवे भी कई शक्ल से हर बार
चक्कर में कहाँ पर वो मज़ा तान में  देखा
..... नैन सुख..... 

Each time It comes 'n goes, 
many a face it shows. 
Where's pleasure of lovely twirl, 
as it was felt in the musical swirl? 

तेरे ख़याल-ए-नाफ़ से चक्कर में किया है दिल 
गिर्दाब से निकल के शनावर  नहीं फिरा
.....शाह नसीर..... 

Heart is stuck in some sort 
of storm in your naval port. 
Swimmer could not surface, 
from whorls of storm face. 

मौज-ए-तूफ़ाँ से निकल कर भी सलामत न रहे 
नज़्र-ए-साहिल हुए दरिया के शनावर कितने..... शौकत परदेसी..... 

They could not be safe still ,
though out of  storm spill. 
Many swimmers at shore
were drowned as never before. 

हम कौन शनावर थे जो यूँ पार उतरते
सूखे हुए होंटों की दुआ ले गई हम को
..... इरफ़ान सिद्दीक़ी..... 

How could I have surfaced,
 as a swimmer I had not faced. 
The prayer of dried out lips, 
had shaped my safety tips. 

खटमलों का चारपाई में था कुछ इतना हुजूम 
वस्ल के अपने सभी अरमान रुख़सत हो गए..... अकबर  इलाहाबादी..... 

There were such a lot
of bed bugs in the cot. 
It switched off the alarm
 of my meeting night charm. 

बाग़बाँ कलियाँ हों हल्के रंग की 
भेजनी हैं एक कम-सिन के लिए 
..... अमीर मीनाई..... 

I need buds of lighter colour
for a young girl yet to flower. 

ये खुला जिस्म खुले बाल ये हल्के मल्बूस 
तुम नई सुब्ह का आग़ाज़ करोगे शायद 
..... अफ़रोज़ आलम..... 

Spread out is the tress,
 open body, light dress. 
You  may set an alarm 
of a new morning charm. 

ऐ मौज-ए-बला उन को भी ज़रा दो चार थपेड़े हल्के से 
कुछ लोग अभी तक साहिल से तूफ़ाँ का नज़ारा करते हैं
..... मुइन अहसन जज़्बी..... 

Listen O calamitous waves ! 
Give them a few gentle shaves. 
Some persons from realms of shore, 
still look at storm uproar. 


Transcreated by Ravi Maun. 

क्या क्या हुआ है हम से जुनूँ में न पूछिए 
उलझे कभी ज़मीं से कभी आसमाँ से हम 
..... मजाज़ लखनवी..... 

Please don't enquire me, 
what happened in frenzy. 
At times I would argue, 
with earth or sky without clue. 

सुब्ह तक रात की ज़ंजीर पिघल जाएगी 
लोग पागल हैं सितारों से उलझना कैसा
..... साक़ी फ़ारूक़ी..... 

It will melt chain of night, 
as there's morning light. 
People are crazy, me or you ,
why with stars 'd one argue? 

हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा
मैं ही कश्ती हूँ मुझी में है समंदर मेरा
..... निदा फ़ाज़ली.....

  I fight with self, each time, 
 it is my fate  sublime. 
I am myself, the boat 
'n sea where it's to float. 

जब भी कश्ती मिरी सैलाब में आ जाती है 
माँ दुआ करती हुई ख़्वाब में आ जाती है 
..... मुनव्वर राना..... 

When ever there's a storm, 
which can displace boat form. 
Mother appears in dream, praying in full esteem. 

मिरे जुनूँ का नतीजा ज़रूर निकलेगा 
इसी सियाह समुंदर से नूर निकलेगा 
..... अमीर क़ज़लबाश....

My frenzy will result, 
definitely in tumult . 
Luminosity will emerge, 
From this dark sea, I urge.

न किसी की आँख का नूर हूँ न किसी के दिल का क़रार हूँ 
जो किसी के काम न आ सके मैं वो एक मुश्त-ए-ग़ुबार हूँ 
..... मुज़्तर ख़ैराबादी..... 

Neither I am glow of any eye, 
nor comfort to heart of a guy. 
That which is of no one's use,
 I am fistful of soil, a refuge. 

तुम हुस्न की ख़ुद इक दुनिया हो शायद ये तुम्हें मालूम नहीं 
महफ़िल में तुम्हारे आने से हर चीज़ पे नूर आ जाता है..... साहिर लुधियानवी..... 

You are a world of beauty on your own,
Probably to you, it is unknown. 
When you appear in a gathering, 
glow on everything is shimmering 

और तो मैं क्या कहूँ, बन आये हो लंगूर-से।
 दाढ़ी मुड़वाओ, में बाज़ आई ख़ुदा के नूर से।..... जान साहब..... 

What else have I to say.
 you look monkey anyway. 
Just trim off the beard,
  I refrain, get it sheered. 

याद उस की इतनी ख़ूब नहीं 'मीर' बाज़ आ 
नादान फिर वो जी से भुलाया न जाएगा 
..... मीर तक़ी मीर.... 

Her memory is not that good, 
O 'Mir'! Refrain, you should. 
O innocent! You won't forget,
 if within heart she can get. 

अगर ग़फ़लत से बाज़ आया जफ़ा की 
तलाफ़ी की भी ज़ालिम ने तो क्या की 
..... मिर्ज़ा ग़ालिब..... 

When she could ignore no more, 
became infidel to the core. 
A redressal in this way, 
the tyrant made my day. 

ज़हर का जाम ही दे ज़हर भी है आब-ए-हयात 
ख़ुश्क-साली की तो हो जाए तलाफ़ी साक़ी..... अज़ीज़ हामिद मदनी..... 

You give me a poison glass, 
poison is life nectar of class. 
O bar-girl! You just serve, redress draught with a swerve. 

तर्क-ए-मय की हुई तलाफ़ी यूँ 
नाम साक़ी का सुब्ह ओ शाम लिया 
..... जलील मानिकपुरी..... 

It was a way to redress,
of drinks period repress. 
I remembered morn to eve',
your name O bar - eve! 

थी नज़र के सामने कुछ तो तलाफ़ी की उमीद 
खेत सूखा था मगर दरिया में तुग़्यानी तो थी..... क़ौसर जायसी..... 

My view could just cope, 
there was redressal hope. 
Though my field was dry,
 but riverine flow was high. 

अब भी इक उम्र पे जीने का न अंदाज़ आया 
ज़िंदगी छोड़ दे पीछा मिरा मैं बाज़ आया 
..... शाद अज़ीमाबादी..... 

A lot of age has gone,
style isn't yet in life tone. 
Don't follow me O life!
 leave me alone in strife. 

पहले इस में इक अदा थी नाज़ था अंदाज़ था 
रूठना अब तो तिरी आदत में शामिल हो गया..... आग़ा शाएर क़ज़लबाश..... 

Earlier there was a style, 
you were coquettish all the while. 
It's a part of your habit now, you get angry anyhow. 

आफ़त तो है वो नाज़ भी अंदाज़ भी लेकिन 
मरता हूँ मैं जिस पर वो अदा और ही कुछ है..... अमीर मीनाई..... 

She is a calamity, 
coquettish, first degree. 
But what I die for,
 is a style beyond par. 

ज़िंदगी एक फ़न है लम्हों को 
अपने अंदाज़ से गँवाने का 
..... जौन एलिया..... 

Life is just a skill, 
for moments to kill. 
The way you can spend, 
in your style, no blend. 

अंदाज़ अपना देखते हैं आइने में वो 
और ये भी देखते हैं कोई देखता न हो 
..... निज़ाम रामपुरी..... 

She gazes at her style, 
in mirror once in a while. 
But she also oversees, 
that no one else sees. 

इक बार तुझे अक़्ल ने चाहा था भुलाना
सौ बार जुनूँ ने तिरी तस्वीर दिखा दी
..... माहिर-उल-क़ादरी..... 

My brain once gave a try,
 to forget you lovely guy. 
Then frenzy held the rein, showed face again 'n again. 

बाद-ए-तर्क-ए-आरज़ू बैठा हूँ कैसा 
मुतमइन 
हो गईं हैं आसाँ हर इक मुश्किल ब-आसानी मेरी
..... तिरलोक चंद महरूम..... 

When I renounced desire, peace engulfed my empire. Each trouble is now gone, 
I sit with ease alone. 

चला जाता हूँ हँसता खेलता मौज-ए-हवादिस से
अगर आसानियाँ हों ज़िन्दगी दुश्वार हो जाए..... असग़र गोंडवी..... 

I move with pleasure 'n ease,
 in a storm of calamities. 
If there's all ease in life, 
to pass it will be a strife. 

ये चमन यूँ ही रहेगा और हज़ारों बुलबुलें
अपनी अपनी बोलियाँ सब बोल कर उड़ जाएँगे..... बहादुर शाह ज़फ़र..... 

This garden will remain as it is, thousands of nightingales will bliss.
Songs will be sung their way, then these will fly away. 

बाहर से चट्टान की तरह हूँ 
अंदर से फ़ज़ा में थरथरी है
..... ज़फ़र इक़बाल..... 

I simulate a rock,
 from outside if you stock. 
I vibrate inside, 
am always on the ride. 


Transcreated by Ravi Maun. 











मैं कि काग़ज़ की एक कश्ती हूँ 
पहली बारिश ही आख़िरी है मुझे 
..... तहज़ीब हाफ़ी..... 

I am only a paper boat 
First rain is last to quote. 


अभी से सुब्ह-ए-गुलशन रक़्स-फ़रमा है निगाहों में 
अभी पूरी नक़ाब उल्टी नहीं है शाम-ए-सहरा ने..... परवेज़ शाहिदी..... 

Even now it is dancing, 
In eyes of garden morning. 
Full veil is still not gone, 
from desert evening zone. 

वक़्त इक ज़र्ब लगाए तो ग़ज़ल होती है 
दर्द अगर दिल में समाए तो ग़ज़ल होती है..... राबिया सुलताना नाशाद..... 

When the time has harmed, only then ghazal is formed. 
When grief settles in heart,  ghazal completes it's  part. 

वही चराग़ बुझा जिस की लौ क़यामत थी 
उसी पे ज़र्ब पड़ी जो शजर पुराना था 
..... इफ़्तिख़ार आरिफ़..... 

That lamp was just blown out, whose flame 'd last doom out. 
That tree which was old, 
was damaged in the cold. 

ग़ज़ब किया तिरे वअ'दे पे ए'तिबार किया 
तमाम रात क़यामत का इंतिज़ार किया 
..... दाग़ देहलवी..... 

It was a calamity on my part,
 to believe your promise from start. 
Whole night I had to  wait, 
as if it was doom's date. 

यारो कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस की क़यामत बाँहों का 
वो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे..... जौन एलिया..... 

O chums! Comment lovely forms, 
about those distressing arms. 
Those who are in her embrace, are likely to leave earth- face. 

भाँप ही लेंगे इशारा सर-ए-महफ़िल जो किया 
ताड़ने वाले क़यामत की नज़र रखते हैं 
..... लाला माधव लाल जौहर..... 

They will surely guess,
 any signal to impress. 
They have extraordinary eyes,
who in the gathering are spies. 

गर क़यामत नहीं ये है तो क़यामत क्या है 
शहर जलता रहा और लोग न घर से निकले..... उम्मीद फ़ाज़ली..... 

If it's not doomsday, 
what is it anyway? 
None came out of house,
 for burning city to douse. 

कभी कभी तो किसी अजनबी के मिलने पर 
बहुत पुराना कोई सिलसिला निकलता है 
..... मंज़ूर हाशमी..... 

At times when you meet,
 a stranger on the street. 
A good old link or chain,
 comes out to remain. 

ज़िंदगी इक हादसा है और कैसा हादसा 
मौत से भी ख़त्म जिस का सिलसिला होता नहीं..... जिगर मुरादाबादी..... 

Life is a mishap, 
this case has no cap. 
This chain does not end,
 when with earth, you blend. 

'शौकत' हमारे साथ बड़ा हादिसा हुआ 
हम रह गए हमारा ज़माना चला गया 
..... शौक़त वास्ती..... 

O 'Shauqat' what happened with me, 
was a disaster of great degree. 
I was simply left alone, 
while my time had gone. 

हादिसा भी होने में वक़्त कुछ तो लेता है 
बख़्त के बिगड़ने में देर कुछ तो लगती है 
..... अमजद इस्लाम अमजद..... 

Some time it does take,
 for a disaster to rake. 
Some time is just spent, 
before the fate gets bent. 

वो आए जाता है कब से पर आ नहीं  जाता
वही सदा-ए-क़दम का है सिलसिला कि जो था ..... उर्फ़ी आफ़ाक़ी..... 

Since long he has to come,
 but just can not come. 
Foot steps sound in fore, continues as before. 

Transcreated by Ravi Maun. 

मैं तो चलता हूँ तेरी याद के साथ 
रास्ता मेरे साथ चलता है 
..... लतीफ़ साहिल..... 

Your memories walk with me. 
The route just  follows me. 

दूसरों पर अगर तब्सिरा कीजिए 
सामने आइना रख लिया कीजिए
..... ख़ुमार बाराबंकवी..... 

When ever on others, you  comment. 
Keep a mirror in your front. 






हादिसा कौन सा हुआ पहले 
रात आई कि दिन ढला पहले 
..... ऐन इरफ़ान..... 



तकिए पे मेरे साँप की तस्वीर बन गई
साया पड़ा था आप की ज़ुल्फ़-ए-दराज़ का.... (लम्बे, सर के बाल) 

On my pillow, a snake- shape was made. 
It was simply your long tress- shade. 

अपने जलने में किसी को नहीं करते हैं शरीक
शाम हो जाए तो हम शम'अ बुझा देते हैं 
..... सबा अकबराबादी..... 

In my burning, I don't want others to stamp. 
When night sets in, I put out 
the lamp. 

दोस्त हर ऐब छुपा लेते हैं 
कोई दुश्मन भी तेरा है कि नहीं ? 
..... बाक़ी सिद्दीक़ी..... 

Friends cover faults of every shade. 
Is or isn't there a foe, you have made? 

आशिक़ सा बद-नसीब कोई दूसरा न हो
माशूक़ ख़ुद भी चाहे तो उस का भला न हो..... हफ़ीज़ जालंधरी..... 

May none be as unfortunate as the lover! 
It won't do him good even if  wanted by lover. 

सज़ा को झेलने वाले ये सौचना है गुनाह
कोई क़ुसूर भी तुझसे कभी हुआ कि नहीं 
..... राज़ यज़दानी..... 

It's a sin for you to think about  penalty in prime. 
Whether or not, you have ever  committed a crime? 

ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने 
लम्हों ने ख़ता की थी सदियों ने सज़ा पाई..... मुज़फ़्फ़र रज़्मी..... 

The eyes of calendar have witnessed such a torture. 
Moments committed crime, centuries suffered thereafter! 

मेरी बाँहों में बहकने की सज़ा भी सुन ले 
अब बहुत देर में आज़ाद करूँगा तुझ को 
...... जौन एलिया .....

Now listen to penalty of losing your senses in my arms. 
You 'll be released after a long time from these charms. 

अंजाम-ए-वफ़ा ये है जिस ने भी मोहब्बत की 
मरने की दुआ माँगी जीने की सज़ा पाई 
.... नुशूर वाहिदी..... 

This penalty of loyalty, every lover had to give. 
You prayed for death, were penalised to live. 

मैं चाहता हूँ कि तुम ही मुझे इजाज़त दो 
तुम्हारी तरह से कोई गले लगाए मुझे 
..... बशीर बद्र..... 

I wish to be permitted for it by you. 
Someone like you may embrace me too. 

तुम्हारा हिज्र मना लूँ अगर इजाज़त हो 
मैं दिल किसी से लगा लूँ अगर इजाज़त हो..... जौन एलिया..... 

Let me celebrate now, 
our parting if you allow. 
I settle heart with a dame, 
if you permit for the same. 

तुम्हारा नाम लिखने की इजाज़त छिन गई जब से
कोई भी नाम लिखता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं..... वसी शाह..... 

Just writing your name,
when I lost right for the same. 
If any name I write now,
 the eyes get wet somehow. 

हुस्न और इश्क़ दोनों में तफ़रीक़ है पर इन्हीं दोनों पे मेरा ईमान है 
गर ख़ुदा रूठ जाए तो सज्दे करूँ और सनम रूठ जाए तो मैं क्या करूँ 
..... ताबिश कानपुरी ..... 

Love and beauty differ a lot, 
but my faith is in their lot. 
If God takes offence, I pray,
when lover sulks, what to say? 

दोस्तों और दुश्मनों में किस तरह तफ़रीक़ हो 
दोस्तों और दुश्मनों की बे-रुख़ी है एक सी..... जान काश्मीरी..... 

How to differentiate? 
In foes 'n friends O mate! 
When they pay no heed,
 are so  similar indeed. 

तफ़रीक़ हुस्न-ओ-इश्क़ के अंदाज़ में न हो 
लफ़्ज़ों में फ़र्क़ हो मगर आवाज़ में न हो 
..... मंज़र लखनवी..... 

Let no difference be in style, between love' n beauty for a while. 
There may be difference in matter,
but not in tone when they chatter. 

उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़ 
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है..... मिर्ज़ा ग़ालिब..... 

A glow appears on my face, when she is face to face. 
But lover thinks this way, patient's getting well by day. 

वो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन 
उसे इक ख़ूब-सूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा..... साहिर लुधियानवी..... 

When it's impossible for a tale to get desired end. 
It's good to leave that with a beautiful bend. 

ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आया 
जाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया 
..... शकील बदायूनी..... 

I cry no end, O love on your end. 
I don't know why, on your name I cry. 

इन में क्या फ़र्क़ है अब इस का भी अहसास नहीं 
दर्द और दिल का ज़रा देखिए यकसाँ  होना..... एम एस मेहदी..... 

I do not feel now, 
their difference anyhow. 
Look at pain 'n heart, 
equality in each part. 

आईना दिल का तोड़ कर कहता है संग-ज़न
दिल तेरा तोड़ कर मुझे अच्छा नहीं लगा
..... सईक़ अनवर सहाब..... 

So says that stone-heart, breaking mirror of my heart. 
I did not feel so good,
 breaking your heart the way I should. 

गुज़रे हैं इश्क़ नाम के ऐ दोस्त इक बुज़ुर्ग 
हम भी









अगर मौजें डुबो देतीं तो कुछ तस्कीन हो जाती 
किनारों ने डुबोया है मुझे इस बात का ग़म है..... दिवाकर राही..... 

If drowned by waves , I could be consoled a bit. 
The grief is being drowned by banks, that's it.

अपनी अना की आज भी तस्कीन हम ने की 
जी भर के उस के हुस्न की तौहीन हम ने की..... इक़बाल साजिद..... 

I satisfied my ego today too,
 to please. 
I humiliated her beauty outright  with ease. 

ख़मोशी से मुसीबत और भी संगीन होती है 
तड़प ऐ दिल तड़पने से ज़रा तस्कीन होती है..... शाद अज़ीमाबादी..... 

Silence makes troubles all the way grave. 
Agonise O heart! It consoles the knave. 

ख़ुदा के वास्ते गुल को न मेरे हाथ से लो 
मुझे बू आती है इस में किसी बदन की सी..... नज़ीर अकबराबादी..... 

Don't take flower from my hand for God's sake. 
From it, I can someone 's body  fragrance take. 

इश्क़ में बू है किबरियाई की 
आशिक़ी जिस ने की ख़ुदाई की 
..... बक़ा उल्लाह' बक़ा'..... 

Love has fragrance of God's grace. 
Who ever loved, had His trace. 

तिफ़्ल में बू आए क्या माँ बाप के अतवार की 
दूध तो डिब्बे का है तालीम है सरकार की 
..... अकबर इलाहाबादी..... 

How can a child ever reflect
 the parental conduct? 
It's fed tinned milk 'n educated as government product. 

जहाँ गुलशन वहाँ गुल है जहाँ गुल है वहाँ बू है
जहाँ तू है वहाँ मैं हूँ कि जहाँ मैं हूँ वहाँ तू है..... क़द्र बिलग्रामी.....

There are flowers in garden and fragrance these contain. 
I am there where you are, where I am, nearby you remain. 

मिट्टी की मोहब्बत में हम आशुफ़्ता-सरों ने 
वो क़र्ज़ उतारे हैं कि वाजिब भी नहीं थे 
...... इफ़्तिख़ार आरिफ़..... 

We distressed heads, in love with the land. 
Have paid the debts that were out of band. 

उस से यही कहता हूँ वाजिब एहतिराम-ए-इश्क़ है 
अंदर से ये ख़्वाहिश है वो जैसा कहे वैसा करूँ..... वारिस किरमानी..... 

I tell her that regard of love is right. 
But want to do it the way she might. 

फ़लक पे चाँद सितारे निकलते हैं हर शब 
सितम यही है निकलता नहीं हमारा चाँद 
..... पंडित जवाहर नाथ साक़ी..... 

Moon and stars appear in sky each night. 
It's torture that my moon is out of sight. 

ऐ काश हमारी क़िस्मत में ऐसी भी कोई शाम आ जाए 
इक चाँद फ़लक पर निकला हो इक चाँद सर-ए-बाम आ जाए 
..... अनवर मिर्ज़ा पुरी..... 

May it be that my fate, such a night can trace. 
One moon is in sky and the other on terrace. 

मत सहल हमें जानो फिरता है फ़लक बरसों 
तब ख़ाक के पर्दे से इंसान निकलते हैं 
..... मीर तक़ी मीर......

 Don't take us easy, sky for years roams around. 
It's  then that the humans emege out of ground. 

मैं ने अपनी ख़ुश्क आँखों से लहू छलका दिया 
इक समुंदर कह रहा था मुझ को पानी चाहिए..... राहत इन्दौरी..... 

I splashed a little blood from my arid eyes. 
A sea was asking for water from the skies|. 

ख़ुश्क ख़ुश्क सी पलकें और सूख जाती हैं 
मैं तिरी जुदाई में इस तरह भी रोता हूँ 
..... अहमद राही..... 

My dried out eyelids wither a little more. 
In your departure, this way I weep to score. 

मोहब्बत में इक ऐसा वक़्त भी दिल पर गुज़रता है 
कि आँसू ख़ुश्क हो जाते हैं तुग़्यानी नहीं जाती..... जिगर मुरादाबादी..... 

In love such a time also passes the heart. 
When tears dry up but flood makes chart. 

ख़ुश्क बातों में कहाँ है शैख़ कैफ़-ए-ज़िन्दगी 
वो तो पीकर ही मिलेगा जो मज़ा पीने में है.... अर्श मल्सियानी.... 

Dry talks O priest, don't give a life, pleasure. 
Only drinks will impart you this pleasure.

पूछते क्या हो जो हाल-ए-शब-ए-तन्हाई था 
रुख़्सत-ए-सब्र थी या तर्क-ए-शकेबाई था
..... शिबली नोमानी.....

What to ask about state of being lonely at night? 
It was a farewell to patience 
or quitting it's plight. 

Transcreated by Ravi Maun. 














ज़िंदगी कितनी मसर्रत से गुज़रती या रब 
ऐश की तरह अगर ग़म भी गवारा होता 
..... अख़्तर शीरानी..... 

O God! Life could be passed in a joyous state. 
If I had accepted pain as well as joy O mate! 

अगर तेरी ख़ुशी है तेरे बंदों की मसर्रत में 
तो ऐ मेरे ख़ुदा तेरी ख़ुशी से कुछ नहीं होता..... हरी चंद अख़्तर..... 

If Your pleasure is based of that of your men.
 O God! Who will care for your pleasure then? 




घर में पहुँचा था कि आई नज्द से आवाज़-ए-क़ैस 
पाँव मेरा एक अंदर एक बाहर रह गया 
..... रियाज़ ख़ैराबादी..... 

As I reached home, from sand dunes, 
came Qais's melancholic tunes. 
One foot remained in home, while other was out to roam. 

नज्द से जानिब-ए-लैला जो हवा आती है 
दिल-ए-मजनूँ के धड़कने की सदा आती है 

Wind that comes towards Laila from the dunes. 
It brings along with, Majnu's heart tunes. 



दोज़ख़-ओ-जन्नत है अब मेरी नज़र के सामने 
घर रक़ीबों ने बनाए उस के घर के सामने 
...पंडित दया शंकर नसीम लखनवी... 

He'll and heaven are in front of my vision plain. 
Rival made his home facing her's  in the lane. 

निशाँ तो तेरे चलने से बनेंगे 
यहाँ तू ढूडता है नक़्श-ए-पा क्या? 
..... नईम सिद्दीक़ी..... 

Footprints will be made by your walking. 
About which footprints are you talking? 

मैं रात सुस्त अनासिर से तंग आ गया था 
मिरी हयात-ए-फ़सुर्दा में रंग आ गया था 
..... ओसामा ज़ाकिर..... 

I Iwas sick of slow elements last night. 
My melancholic life had a colour in sight. 

तू रुके या न रुके फ़ैसला तुझ पर छोड़ा
मैंने दर खोल दिए हैं तिरी आसानी को
..... सादुल्लाह शाह..... 

I have left on your thought, whether you stay or not. 
I have kept my doors ajar, 
for  your ease so far. 

अजनबी रास्तों पर भटकते रहे। 
आरज़ूओं का इक क़ाफ़िला और मैं। 
..... ताबिश मेहदी..... 

We wandered on the  unknown  route. 
Me and a caravan of desires  so cute. 

ऐ दिल वो आशिक़ी के  किधर गए
वो उम्र क्या हुई वो ज़माने किधर गए
...... अख़्तर शीरानी.....

Where are those love tales O heart? 
Where are those worlds 'n my life part? 



एक इक बात में सच्चाई है उस की लेकिन 
अपने वादों से मुकर जाने को जी चाहता है..... कफ़ील आज़र अमरोहवी..... 




इश्क़ ने मंसब लिखे जिस दिन मिरी तक़दीर में 
दाग़ की नक़दी मिली सहरा मिला जागीर में..... बक़ा उल्लाह बक़ा..... 

When love prescribed a post of dignity in my fate. 
It gave scars as cash and the desert as estate. 


जिस्म का कूज़ा है अपना और न ये दरिया-ए-जाँ 
जो लगा लेगा लबों से उस में भर जाएँगे हम..... फरहत अहसास..... 

Neither  this life stream is mine, nor earthen body pot
Whoever puts me to his lips, 
 I would Indwell in that lot. 


साथ हर हिचकी के लब पर उनका नाम आया तो क्या?
जो समझ ही में न आये वो पयाम आया तो क्या?..... आरज़ू लखनवी..... 

 What good is her name on lips if it's with death toll? 
What's in a message that can't be understood at all? 

मय से हूँ महरूम अब भी, जो शरीके-दौर हूँ।
पाए साक़ी से जो ठोकर खाके जाम आया तो क्या?..... आरज़ू लखनवी....

I'm still deprived of wine, though joined round of thine. 
What's a cup kicked by wine- girl? 
If it reaches me after the twirl. 

आफ़त में पडे़ दर्द के इज़हार से हम और।
याद आ गये भूले हुए कुछ उसको सितम और॥

I was involved in catastrophe after exposing the pain. 
She remembered some forgotten tortures again. 

हम ‘आरज़ू’ इस शान से पहुँचे सरेमंज़िल।
ख़ुद लग़्ज़िशेपा ले गई दो-चार क़दम और॥

O 'Arzoo'! I reached the goal with such a grace. 
My swaying moves took me more steps again. 

, जिसमें कैफ़-ए-ग़म नहीं, बाज़ आये ऐसे दिल से हम।
यह भी देना है कोई? मय तो न दी, साग़र दिया॥

If there's no joy of pain, to hell with such a heart. 
Is it a way to give, not wine but goblet to cart. 

‘आरज़ू’ इक रोज़ ढा देता मुझे मेरा ही ज़ोर।
यह भी उसकी कारसाज़ी दिल में जिसने डर दिया॥

O'Arzoo'! One day, I could be crushed by by own. 
It's her way of work, which gave the fear in heart. 

एक दिल में ग़म ज़माने भर का, क्योंकर भर दिया।
ख़ू-ए-हमदर्दी ने कूज़े में समन्दर भर दिया॥

How could grief of a race,  fit within one heart space? 
My habit of helping the man, confined sea in earthen can . 

आँख थी साक़ी की जानिब, हाथ में जामेतिही।
मय तो किस्मत में कहाँ, अश्कों ने साग़र भर दिया॥

Eyes set at wine-girl,  an empty wine-cup in hand. 
Where was wine in fate, tears filled the cup in hand. 

महमाँनवाज़, वादिये-ग़ुरबत की ख़ाक थी।
लाशा किसी ग़रीब का उरियाँ नहीं रहा॥

Hospitable was the sand,
of desert in foreign land. 
Dead body of none there,
 was left to remain bare. 

आँसू बना जबीं का अरक़ ज़ब्ते-अश्क़ से।
बदला भी ग़म ने भेस तो पिन्हाँ नहीं रहा॥

Forehead sweat turned tear, when I had withheld my tear. 
Even when grief disguised face, it could not cover it's trace. 

ज़बाँ का फ़र्क़ हक़ीक़त बदल नहीं सकता।
यह कोई बात नहीं, बुत कहा खुदा नहीं रहा॥

Difference in language didn't change the truth at all. 
It's not worth being said,
isn't it God with idol - face. 

पलक झपकी कि मंज़र खत्म था बर्क़े-तजल्ली का।
ज़रा सी न्यास - ए-दीद, उसका भी यूँ रायगाँ जाना॥

With a blink the whole show, was over for celestial glow. 
The chance to have a  look,
was just lost off the hook. 

समझ ले शमा से ऐ हमनशीं! आदाब-ए-ग़मख्वारी।
ज़बाँ कटवानेवाले का है, मन्सब राज़दाँ होना॥

Learn from the candle O friend,for sympathy of respect. 
Purpose of sharing secrets is cutting tongue to that effect. 

क़रीब-ए-सुबह यह कहकर अज़ल ने आँख झपका दी।
"अरे ओ हिज्र के मारे, तुझे अब तक न ख़्वाब आया"॥



दिल उस आवाज़ के सदके़, यह मुश्किल में कहा किसने।
"न घबराना, न घबराना, मैं आया और शिताब आया॥

कोई क़त्ताल सूरत देख ली मरने लगे उस पर।
यह मौत इक ख़ुशनुमा परदे में आई या शबाब आया॥

मुअम्मा बन गया राज़ेमुहब्बत ‘आरज़ू’ यूँ ही।
वे मुझसे पूछते झिझके, मुझे कहते हिजाब आया॥

जवाब देने के बदले वे शक्ल देखते हैं।
यह क्या हुआ ,मेरे चेहरे को, अर्ज़ेहाल के बाद॥

अदाशनास निगाहों ने ऐसा कुछ देखा।
जवाब की न तमन्ना रही सवाल के बाद॥

नातवां बीमारे-ग़म, उस पर थपेडे मौत के।
बुझ गया आख़िर चिरागे़-सुबह लहराने के बाद॥

सरूरे-शब का नहीं, सुबह का ख़ुमार हूँ मैं।
निकल चुकी है जो गुलशन से वो बहार हूँ मैं॥

करम पै तेरे नज़र की तो ढै गया वह गरूर।
बढ़ा था नाज़ कि हद का गुनहगार हूँ मैं॥

न यह कहो "तेरी तक़दीर का हूँ मैं मालिक।
बनो जो चाहो ख़ुदा के लिए, ख़ुदा न बनो॥

अगर है जुर्मे-मुहब्बत तो ख़ैर यूँ ही सही।
मगर तुम्हीं कहीं इस जुर्म की सज़ा न बनो॥

मिले भी कुछ तो है बेहतर तलब से इस्तग़ना<ref>सन्तोष</ref>।
बनो तो शाह बनो, ‘आरज़ू’! गदा<ref>भिक्षुक</ref> न बनो

हर दाने पै इक क़तरा, हर क़तरे पै इक दाना।
इस हाथ में सुमरन है, उस हाथ में पैमाना॥

कुछ तंगियेज़िन्दाँ से दिलतंग नहीं वहशी।
फिरता है निगाहों में, वीरना-ही-वीराना॥

हुस्ने-सीरत पर नज़र कर, हुस्ने-सूरत को न देख।
आदमी है नाम का गर ख़ू नहीं इन्सान की॥

ध्यान आता है कि टूटा था, ग़लमफ़हमी में अहद।
यादगार इक है तो धुंधली सी मगर किस शान की॥

उठ खडा़ हो तो बगोला है, जो बैठे तो गु़बार।
ख़ाक होकर भी वही शान है, दीवाने की॥

‘आरज़ू’! ख़त्म हक़ीक़त पै हुआ दौरे-मजाज़।
डाली काबे की बिना, आड़ से बुतख़ाने की॥

सबब बग़ैर था हर जब्र क़ाबिले इल्ज़ाम।
बहाना ढूंढ लिया, देके अख्तियार मुझे॥

किया है आग लगाने को बन्द दरवाज़ा।
कि होंट सी के बनाया है राज़दार मुझे॥

नालाँ ख़ुद अपने दिल से हूँ दरबाँ को क्या कहूँ।
जैसे बिठाया गया है, कोई पाँव तोड़ के॥

क्या जाने टपके आँख से किस वक़्त खू़नेदिल।
आँसू गिरा रहा हूँ जगह छोड़-छोड़ के॥

भले दिन आये तो आज़ार बन गया आराम।
क़फ़स के तिनके भी काम आ गए नशेमन के॥

मिटा के फिर तो बनाने पर अब नहीं काबू।
वो सर झुकाए खड़े है, क़रीब मदफ़न के॥

क्यों उसकी यह दिलजोई दिल जिसका दुखाना है।
ठहरा के निशाने को क्या तीर लगाना है॥

अंदाज़े-तग़ाफ़ुल पर दिल चोट तो खा बैठा।
अब उनकी निशानी को, उनसे भी छुपाना है॥

कमताक़तिये-नालाँ अश्कों से मदद ले लें।
बेरब्त कहानी में, पेबन्द लगाना है॥

फिर ‘आरजू’ को दर से उठा, पहले यह बता।
आखिर ग़रीब जाये कहाँ और कहाँ रहे॥
--- --- ---
था शौके़दीद ताब-ए-आदाबे-बज़्मेनाज़।
यानी बचा-बचा के नज़र देखते रहे॥

अहले-क़फ़स का ख़ौफ़ज़दा शौक़ क्या कहूँ?
सूएचमन समेट के पर देखते रहे॥

अलअमाँ मेरे ग़मकदे की शाम।
सुर्ख़ शोअ़ला सियाह हो जाये॥

पाक निकले वहाँ से कौन जहाँ ।
उज़्रख़्वाही गुनाह हो जाये॥

इन्तहाये-करम वो है कि जहाँ।
बेगुनाही गुनाह हो जाये॥

हमारा ज़िक्र जो ज़ालिम की अंजुमन में नहीं / आरज़ू लखनवी

आके क़ासिद ने कहा जो, वही अकसर निकला।
नामाबर समझे थे हम, वह तो पयम्बर निकला॥

बाएगु़रबत कि हुई जिसके लिए खाना-खराब।
सुनके आवाज़ भी घर से न वह बाहर निकला॥

नादाँ की दोस्ती में जी का ज़रर न जाना।
इक काम कर तो बैठे, और हाय कर न जाना॥

नादानियाँ हज़ारों, दानाई इक यही है।
दुनिया को कुछ न जाना और उम्र भर न जाना॥

नादानियों से अपनी आफ़त में फ़ँस गया हूँ।
बेदादगर को मैंने बेदादगर न जाना॥

दिल का जिस शख़्स के पता पाया।
उसको आफ़त में मुब्तला पाया॥

नफ़ा अपना हो कुच तो दो नुक़सान।
मुझको दुनिया से खो के क्या पाया॥

बेकसी में भी गुज़र ही जाएगी।
दिल को मैं और दिल मुझे समझा गया॥

यह मेरी तौबा नतीजा है बुखले-साक़ी का।
ज़रा-सी पी के कोई मुँह ख़राब क्या करता?

यही थी ज़ीस्त की लज़्ज़त यही थी इश्क़ की शान।
शिकायते-तपिशो-इज़्तराब क्या करता॥

मुझे मिटा तो दिया क़ब्ल अहदेपीरी के।
सलूक और दो रोज़ा शबाब क्या करता॥

यह बहरेइश्क का तूफ़ान और ज़रा-सा दिल।
जहाज़ उलट गये लाखों हुबाब क्या करता॥

पड़े न होते जो ग़फ़लत के ‘आरज़ू’! परदे।
खु़दा ही जाने यह जोशेशबाब क्या करता॥

हिम्मते-कोताह से दिल तंगेज़िन्दाँ बन गया।
वर्ना था घर से सिवा इस घर का हर गोशा वसीअ़॥

छोड़ दे दो गज़ ज़मीं, है दफ़्न जिसमें इक गरीब।
है तेरी मश्क़े-ख़िरामेनाज़ को दुनिया वसीअ़॥

है यह सब किस्मत की कोताही वगर्ना ‘आरज़ू’।
बढ़के दामाने-तलब से हाथ है उसका वसीअ़॥

जादह-ओ-मंज़िल जहाँ दोनों हैं एक।
उस जगह से मेरा सेहरा शुरू॥

वक़्त थोडा़ और यह भी तै नहीं।
किस जगह से कीजिये कि़स्सा शुरू॥

देखा ललचाई निगाहों का मआ़ल।
‘आरज़ू’ लो हो गया परदा शुरू॥

जो मेरी सरगुज़िश्त सुनते हैं।
सर को दो-दो पहर यह धुनते हैं॥

कै़द में माजरा-ए-तनहाई।
आप कहते हैं, आप सुनते हैं॥

झूठे वादों का भी यकीन आ जाये।
कुछ वो इन तेवरों से कहते हैं॥

मुझ ग़मज़दा के पास से सब रो के उठे हैं।
हाँ आप इक ऐसे हैं कि ख़ूश होके उठे हैं॥

मुँह उठके तो सब धोते हैं ऐ दीदये-खूंबाज़।
बिस्तर से हम उठे हैं तो मुँह धोके उठे हैं॥

तुम हो कि एक तर्ज़े-सितम पर नहीं क़रार।
हम हैं कि पायेबन्द हरेक इम्तहाँ के हैं॥

हों सर्फ़ तीलियों में क़फ़स के तो ख़ौफ़ है।
तिनके जो मेरे उजड़े हुए आशियाँ के हैं॥

खुद चले आओ या बुला भेजो।
रात अकेले बसर नहीं होती॥

हम ख़ुदाई में हो गए रुसवा।
मगर उनको ख़बर नहीं होती॥

किसी नादाँ से जो कहो जाये।
बात वह मुख़्तसर नहीं होती॥

जब से अश्कों ने राज़ खोल दिया।
चार अपनी नज़र नहीं होती॥

आग दिल में लगी न हो जब तक।
आँख अश्कों से तर नहीं होती

क़फ़स से ठोकरें खाती नज़र जिस नख़्ल तक पहुँची।
उसी पर लेके इक तिनका बिनाए-आशियाँ रख दी॥

सकूनेदिल नहीं जिस वक़्त से इस बज़्म में आये।
ज़रा-सी चीज़ घबराहट में क्या जानें कहाँ रख दी॥

बुरा हो इस मुहब्बत का हुए बरबाद घर लाखों।
वहीं से आग लग उठी यह चिंगारी जहाँ रख दी॥

किया फिर तुमने रोता देख कर दीदार का वादा।
फिर एक बहते हुए पानी में बुनियादे-मकां रख दी॥

दर्देदिल ‘आरज़ू’ दरवाज़ा-ए-काबे से बहत्तर था।
यह ओ गफ़लत के मारे! तूने पेशानी कहाँ रख दी॥

अब मुझ को फ़ायदा हो दवा-ओ-दुआ से क्या?
वो मुँह पे कह गए--"यह मर्ज़ लाइलाज है"॥

इज़्ज़त कुछ और शय है, नुमाइश कुछ और चीज़।
यूँ तो यहाँ खूरोस के सर पर भी ताज है॥

इक जाम-ए-बोसीदा हस्ती<ref>शरीर रूपी गली-सड़ी पोशाक</ref> और रूह अज़ल<ref>प्रारम्भ </ref> से सौदाई<ref>दीवानी</ref>।
यह तंग लिबास न यूँ चढ़ता ख़ुद फाड़ के हमने पहना है॥

हिचकी में जो उखड़ी साँस अपनी घबरा के पुकारी याद उसकी।
"फिर जोड़ ले यह टूटा रिश्ता इक झटका और भी सहना है"॥

मुझे रहने को वो मिला है घर कि जो आफ़तों की है रहगुज़र।
तुम्हें ख़ाकसारों की क्या खबर, कभी नीचे उतरे हो बाम से?

जो तेरे अमल का चराग़ है, वही बेमहल है तो दाग़ है।
न जला के बैठ उसे सुबह से, न बुझा के सो उसे शाम से॥

रहते न तुम अलग-थलग हम न गुज़रते आप से।
चुपके से कहनेवाली बात कहनी पड़ी पुकार के॥

पूछी थी छेड़कर जो बात, कहने न दी वो बात भी।
तुमने खटकती फ़ाँस को छोड़ दिया उभार के॥

आ गई मंज़िले-मुराद, बाँगेदरा को भूल जा।
ज़ाते-खु़दा में यूँ हो महव, नामे-ख़ुदा को भूल जा॥

सबकी पस्न्द अलग-अलग, सबके जुदा-जुदा मज़ाक़।
जिसपै कि मर मिटा कोई, अब उस अदा को भूल जा॥

क्यों किसी रहबर से पूछूँ अपनी मंज़िल का पता।
मौजे-दरिया खु़द लगा लेती है साहिल का पता॥

राहबर रहज़न न बन जाये कहीं, इस सोच में।
चुप खड़ा हूँ भूलकर रस्ते में मंज़िल का पता॥

नैरंगियाँ चमन की तिलिस्मे-फ़रेब हैं।
उस जा भटक रहा हूँ जहाँ आशियाँ न था॥

पाबंदियों ने खोल दी आँखें तो समझे हम।
आकर क़फ़स में बस गए थे आशियाँ न था॥

जो दर्द मिटते-मिटते भी मुझको मिटा गया।
क्या उसका पूछना कि कहाँ था कहाँ न था॥

अब तक वो चारासाज़िए-चश्मेकरम है याद।
फाहा वहाँ लगाते थे, चरका जहाँ न था॥

दो घडी़ को दे-दे कोई अपनी आँखों की जो नींद।
पाँव फैला दूँ गली में तेरी सोने के लिए॥

मिट भी सकती थी कहीं, बेरोये छाती की जलन।
आग को पिघला लिया फाहा भिगोने के लिए॥

जो दर्द मिटने-मिटते भी मुझको मिटा गया।
क्या उसका पूछना कि कहाँ था कहाँ न था॥

अब तक चारासाज़िये-चश्मेकरम है याद।
फाहा वहाँ लगाते थे, चरका जहाँ न था॥

जो कोई हद हो मुअ़य्यन तो शौक़, शौक़ नहीं।
वो कमयाब है जो कमयाब हो न सका॥

बुरी सरिश्त न बदली जगह बदलने से।
चमन में आके भी काँटा गुलाब हो न सका॥
... .... ...

उदू न भी मगर अन्धी ज़रूर थी बिजली।
कि देखे फूल न पत्ते न आशियाँ देखा॥

ज़माने से नाज़ अपने उठवानेवाले।
मुहब्बत का बोझ आप उठाना पड़ेगा॥

सज़ा तो बजा है, यह अन्धेर कैसा?
ख़ता को भी जो ख़ुद बताना पड़ेगा॥

मुहब्बत नहीं, आग से खेलना है।
लगाना पड़ेगा, बुझाना पड़ेगा॥

खुदारा ! न दो बदगुमानी का मौक़ा।
कहलवा के औरों से पैग़ाम अपना॥

हविसकार आशिक भी ऐसा है जैसे--
वह बन्दा कि रख ले ख़ुदा नाम अपना॥

पलक झपकी तो मंज़र ख़त्म था बर्के तजल्ली का
ज़ता(ज़रा) सी न्यामते दीद उसका भी यूँ रायगाँ होना

समझ ले शमा से ऐ हमनशीं! आदाबे-ग़मख्वारी।
ज़बाँ कटवानेवाले का है, मन्सब राज़दाँ होना॥





ये चराग़ जैसे लम्हे यूँही रायगाँ न जाएँ 
कोई ख़्वाब देख डालो कोई इंक़लाब लाओ..... राही मासूम रज़ा..... 

Let not these lamp like moments, simply go  waste. 
Let there be a change, see a dream of your taste. 

जी चाहता है हाथ लगा कर भी देख लें 
उस का बदन क़बा है कि उस की क़बा बदन..... प्रेम कुमार नज़र..... 

It's my heartfelt desire to see her and  also touch. 
Whether her body is a cover 
or attire body as such. 

ज़िंदगी क्या किसी मुफ़लिस की क़बा है जिस में 
हर घड़ी दर्द के पैवंद लगे जाते हैं 
..... फ़ैज़ अहमद फ़ैज़..... 

Is life a tattered poor man 's dress?  
Each time patches of pain impress. 

गहरी ख़मोश झील के पानी को यूँ न छेड़ 
छींटे उड़े तो तेरी क़बा पर भी आएँगे 
..... मोहसिन नक़वी..... 

Don't disturb waters of the deep , silent lake. 
Splash will also reach your attire, in it's make. 

ख़ुशबू-ए-हिना कहना नर्मी-ए-सबा कहना
जो ज़ख़्म मिले तुम को फूलों की क़बा कहना..... कैफ़ अज़ीमाबादी..... 

Call it henna fragrance and delicacy of breeze. 
Call your wounds the attire
 of flowers, please. 

तेरे दिल से अगर उतर जाएँ
तू ही बतला कि हम किधर जाएँ 
..... वज़ाहत नसीम..... 

If I get off your heart. 
You tell which way to part? 

सफ़र का रंग हसीं क़ुर्बतों का हामिल हो 
बहार बन के कोई अब तो हम-सफ़र आए..... गुलनार आफ़रीन..... 

Let the journey colour bear, lovely weight of being near. 
Let some co-traveller swing, now in the season of spring. 

रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई 
तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई 
..... कैफ़ी आज़मी..... 

None comes to live in the world for ever. 
The way you 've left, no one has gone ever. 

अदम से दहर में आना किसे गवारा था 
कशाँ कशाँ मुझे लाई है आरज़ू तेरी 
..... हैदर अली आतिश..... 

Who had wanted to come in the world from void? 
Your desire has brought me where I could not avoid. 

वो हादसे भी दहर में हम पर गुज़र गए 
जीने की आरज़ू में कई बार मर गए 
..... उन्वान चिश्ती..... 

Those mishaps I have gone through in world O dear! 
I have died many times in a desire to live there. 

जिंस-ए-वफ़ा का दहर में बाज़ार गिर गया 
जब इश्क़ फ़ैज़ - ए-हुस्न का हामिल नहीं रहा..... एस ए मेहदी..... 

Quality of loyalty lost it's rate in the mart. 
When love refused gifts of  beauty to cart. 

ग़ज़ब तो ये है मुकबिल खड़ा है वो मेरे
कि जिस से मेरा त'अल्लुक़ है ख़ूँ के रिश्ते का..... ताब असलम.....

Calamity is that he is there to fight.  
Who has with me blood relations tight. 

जिन आँखों में काजल बन कर तैरी काली रात 
उन आँखों में आँसू का इक क़तरा होगा चाँद..... राही मासूम रज़ा..... 

The eyes in which stays as koel, your dark night. 
In those eyes, moon will be
 a tear drop, so light. 

सियाह रात नहीं नाम लेती ढलने का
यही तो वक़्त है सूरज तेरे निकलने का

Dark night is simply unwilling to leave. 
It's the time, sun emerge from it's srell(

बुझती हुई सी एक शबीह ज़ेहन में लिए 
मिटती हुई सितारों की सफ़ देखते रहे

Resembling a dying out flame so farce 
I have kept looking at the dimming stars. 

तेरी बख़्शिश के भरोसे पे ख़ताएँ की हैं 
तेरी रहमत के सहारे ने गुनहगार किया 

On the basis of your grace, 
I have sinned at rapid pace. 
My being sinner you can trace on the belief in your grace. 

याद है अब तक तुझ से बिछड़ने की वो अँधेरी शाम मुझे 
तू ख़ामोश खड़ा था लेकिन बातें करता था काजल..... नासिर काज़मी..... 

I can still recollect, that dark parting night. 
While you stood still,the koel talked alright. 


लड़कियों के दुख अजब होते हैं सुख उस से अजीब 
हँस रही हैं और काजल भीगता है साथ साथ..... परवीन शाकिर....

Griefs of girls are strange and joys stranger yet. 
While she keeps smiling, koel in eyes gets wet. 

पास जब तक वो रहे दर्द थमा रहता है 
फैलता जाता है फिर आँख के काजल की तरह..... परवीन शाकिर..... 

As long as he stays near by,
 the pain is knotted in a tie. 
It then spreads profound,
 like koel in eyes around. 

इस भरोसे पे कर रहा हूँ गुनाह 
बख़्श देना तो तेरी फ़ितरत है 
..... अज्ञात..... 

I am sinning with the ruse. 
It is your habit to excuse. 

ग़म के भरोसे क्या कुछ छोड़ा क्या अब तुम से बयान करें 
ग़म भी रास आया दिल को और ही कुछ सामान करें..... मीराजी..... 

What to tell you that was left, on the belief of grief bereft. 
Even grief now suits the heart, let's look for some other part. 

जिस तरफ़ तू है उधर होंगी सभी की नज़रें 
ईद के चाँद का दीदार बहाना ही सही 
..... अमज़द इस्लाम अमज़द..... 

Where ever will be you, all eyes will view. 
The moon of Eid, 'll be excuse indeed. 

मेरी आँखें और दीदार आप का 
या क़यामत आ गई या ख़्वाब है 
..... आसी ग़ाज़ीपुरी..... 

My eyes and you in full bloom. 
Either it is a dream or doom. 

हम किस को दिखाते शब-ए-फ़ुर्क़त की उदासी 
सब ख़्वाब में थे रात को बेदार हमीं थे 
..... तअशशुक़ लखनवी..... 

Whom to show the sadness of parting night? 
All were in dreams, only I was awake at night. 

उक़ाबी रूह जब बेदार होती है जवानों में 
नज़र आती है उन को अपनी मंज़िल आसमानों में.... अल्लामा इक़बाल..... 

When ever in youth awakens eagle soul. 
They look beyond skies for their goal. 

कुछ ख़बर है तुझे ओ चैन से सोने वाले 
रात भर कौन तिरी याद में बेदार रहा 
..... हिज्र नाज़िम अली ख़ान..... 

Do you have an upkeep , who peacefully sleep? 
With your memory at stake, who was night long awake? 




करने और कहने की बातें किस ने कहीं और किस ने कीं 
करते कहते देखें किसी को हम भी कोई पैमान करें..... मीराजी..... 



भली बुरी जैसी भी गुज़री उन के सहारे गुज़री है 
हज़रत-ए-दिल जब हाथ बढ़ाएँ हर मुश्किल आसान करें 



एक ठिकाना आगे आगे पीछे एक मुसाफ़िर है 
चलते चलते साँस जो टूटे मंज़िल का एलान करें



अब वही करने लगे दीदार से आगे की बात 
जो कभी कहते थे बस दीदार होना चाहिए..... ज़फ़र इक़बाल..... 

Now she is talking beyond the glimpse state. 
One who used to confine it to glimpse state. 





है काएनात को हरकत तेरे ज़ौक़ से 
परतव से आफ़्ताब के ज़र्रे में जान है 
.... मिर्ज़ा ग़ालिब..... 

From your inner taste, the universe has spun. 
From your ray, there's life
 in the grain of sun. 

छोड़ने मैं नहीं जाता उसे दरवाज़े तक
लौट आता हूँ कि अब कौन उसे जाता देखे..... शहज़ाद अहमद..... 

I don't go to see him off to the door. 
I return, who 'll see him going once more? 

आबदीदा हो के वो आपस में कहना अलविदा'अ
उस की कम मेरी सिवा आवाज़ भर्राई हुई
.... परवीन उम्स-ए-मुश्ताक़.....

Teary eyed wishing each other fairwell. 
Hoarse voice of each, mine more in spell. 

दिल में अपने आरज़ू सब कुछ है और फिर कुछ नहीं 
दो जहाँ की जुस्तजू सब कुछ हैऔर
 फिर कुछ नहीं..... जोर्ज पेश शोर..... 

Desire is all I have, and then nothing more. 
Search of both worlds is all, nothing more. 

वस्ल को, करना पड़ गया है चंद रोज़ 
अब मुझे मिलने न आना अब कोई शिकवा नहीं..... अज्ञात....

A delay of few days is essential for meet. 
I have no regret,you don't come to meet. 

एक हंगामे पे मौक़ूफ़ है घर की रौनक़ 
नौहा-ए-ग़म ही सही नग़्मा-ए-शादी न सही..... मिर्ज़ा ग़ालिब..... 

The glory of home is based on furore. 
If not marriage song, then wails to fore. 

अब मुजरिमान-ए-इश्क़ से बाक़ी हूँ एक मैं 
ऐ मौत रहने दे मुझे इबरत के वास्ते 
..... रियाज़ ख़ैराबादी..... 

Out of all love criminals, only I am left. 
O death! Spare me for a lesson as left. 

इक मोहब्बत ही पे मौक़ूफ़ नहीं है 'ताबिश' 
कुछ बड़े फ़ैसले हो जाते हैं नादानी में 
..... अब्बास ताबिश..... 

O 'Taabish'! Everything is not love- based. 
A few big decisions are in ignorance, traced. 

मौक़ूफ़ है क्यूँ हश्र पे इंसाफ़ हमारा
क़िस्सा जो यहाँ का है तो फिर तय भी यहीं हो..... महबूब अज़मि..... 

Why is my decision postponed till the doom?  
Decision should be here, where it did groom. 

चेहरे पे सारे शहर के गर्द-ए-मलाल है
जो दिल का हाल है वही दिल्ली का हाल है..... मलिकज़ादा मंज़ूर अहमद..... 

There's a cloud of regret on whole city face. 
States of Delhi and my heart match in pace. 

न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा 
हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा 
..... राहत इन्दौरी..... 

Neither a co-traveller nor lover will remove. 
The thorn of my foot only I will remove. 

रफ़्ता - रफ़्ता वो हमारे दिल के अरमाँ हो गए
पहले जां फिर भी जान-ए-जां फिर जान-ए-जानां हो गए..... तस्लीम फ़ाज़ली..... 
 
With passage of time, she became longing for my heart. 
From love to lover and then
 the beloved of my heart. 

अज़ल से आज तक सज्दे किए और ये नहीं सोचा 
किसी का आस्ताँ क्यूँ है किसी का संग-ए-दर क्या है..... सबा अकबराबादी..... 

I prayed from origin till now,
 but never thought anyhow. 
Why someone has a home, what's the step to a home? 

अज़ल से क़ाएम हैं दोनों अपनी ज़िदों पे 'मोहसिन' 
चलेगा पानी मगर किनारा नहीं चलेगा 
..... मोहसिन नक़्वी..... 

O 'Mohsin'! From eternity both are steadfast. 
The shores won't move, but water 'd move fast. 

दस्त-ए-जुनूँ ने फाड़ के फेंका इधर-उधर 
दामन अबद में है तो गरेबाँ अज़ल में है 
..... असद अली ख़ान क़लक़..... 

Scattering here and there, frenzied hand tore. 
Shirt is in origin and frill in
 the eternal core. 



अश्क आँखों में ले के रुख़्सत हो 
मेरा मरना हराम करता जा
..... मज़हर इमाम..... 

With tears in eyes,depart..
Forbid death on my part. 

नई सुब्ह पर नज़र है मगर आह ये भी डर है 
ये सहर भी रफ़्ता रफ़्ता कहीं शाम तक न पहुँचे..... शकील बदायूनी..... 

On new morn' there's an eye, but fear still gives a sigh
This morning in passage of time, may form an evening sublime. 

भूले हैं रफ़्ता रफ़्ता उन्हें मुद्दतों में हम 
क़िस्तों में ख़ुद-कुशी का मज़ा हम से पूछिए..... ख़ुमार बाराबंकवी..... 

Gradually I forgot, in times hell of  a lot. 
Piece meal suicide joy,  you ask me and enjoy . 

रफ़्ता रफ़्ता सब तस्वीरें धुँदली होने लगती हैं 
कितने चेहरे एक पुराने एल्बम में मर जाते हैं,,,,, ख़ुशबीर सिंह शाद..... 

Gradually all photos dim with age. 
Many faces die in an old album page. 

सोचता हूँ कि उस की याद आख़िर 
अब किसे रात भर जगाती है 
..... जौन एलिया..... 

I think whom does her memory now? 
Keeps awake night long any how. 

झुक कर सलाम करने में क्या हर्ज है मगर 
सर इतना मत झुकाओ कि दस्तार गिर पड़े..... इक़बाल अज़ीम....

Bowling during wish ,is not bad at all. 
Don't bend so much that turban may fall. 

ग़ज़ब है ये एहसास वारस्तगी का 
कि तुझ से भी ख़ुद को बरी चाहता हूँ
..... हादी मछलीशहरी..... 

Deliverance is a strange feeling too. 
I want myself to be free from you. 

साक़ी हमें क़सम है तिरी चश्म-ए-मस्त की 
तुझ बिन जो ख़्वाब में भी पिएँ मय हराम हो..... वलीउल्लाह मुहिब..... 

O bar-girl! I can promise by your intoxicating eye. 
I won't drink even in dream sans you standing by. 

मैं सो रहा,हूँ तिरे ख़्वाब देखने के लिए 
ये आरज़ू है कि आँखों में रात रह जाए
..... शकील आज़मी..... 

I am sleeping to see you in dream anyway 
Desiring the night in eyes,
you may stay. 

यही  इक फ़र्क है इंसान में और उसकी तुर्बत में 
कि वो है ढेर मिट्टी का ये है तस्वीर मिट्टी की..... मंज़ूर.....

One difference exists between man and his grave. 
That's a heap of soil and soil sketch is this knave. 

दिल मेरा तोड़ दिया उस ने बुरा क्यों मानूँ 
उस का हक़ है कि मुझे प्यार करे या न करे

Why should I feel bad if he has broken  my heart.. 
Whether to love me or not is a right on his part. 

ऐ ख़ुदा दर्द - ए-दिल है बख़्शिश-ए-दोस्त
आब-ओ-दाना नहीं कि तुझ से कहें
..... अहमद फ़राज़..... 

O God, lover's grace is heart grief
It isn't food or water to ask  your fief. 



बुरा न मान 'ज़िया' उस की साफ़-गोई का
जो दर्दमंद भी है और बे-अदब भी नहीं
.... ज़िया जालंधरी..... 

O'Zia'! His being frank of speech, don't mind. 
One who isn't rude and at 
heart, so kind. 

हर एक रात को महताब देखने के लिए 
मैं जागता हूँ तिरा ख़्वाब देखने के लिए 
..... अज़हर इनायती..... 

Every night, in order to look at the moon. 
I keep awake to see your dream soon. 

आशिक़ी में 'मीर' जैसे ख़्वाब मत देखा करो 
बावले हो जाओगे महताब मत देखा करो 
..... अहमद फ़राज़...... 

Don't dream like 'Mir' saheb when in love. 
You will be lunatic, don't look
 at moon above. 

गुल हो महताब हो आईना हो ख़ुर्शीद हो मीर 
अपना महबूब वही है जो अदा रखता हो 
..... मीर तक़ी मीर..... 

Whether it's flower, mirror, moon or sun for a while
My beloved is the one who maintains her style. 

उम्र-ए-दराज़ माँग के लाई थी चार दिन 
दो आरज़ू में कट गए दो इंतिज़ार में 
..... सीमाब अकबराबादी..... 

I had begged for a life four  days long. 
Two were gone in desire, two waiting too long. 

ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता 
अगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता 
..... मिर्ज़ा ग़ालिब..... 

A meeting with the sweet heart, well, it was not so slated. 
Had I  lived any lounger,
' morrow was to be dated. 

माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं 
तू मेरा शौक़ देख मिरा इंतिज़ार देख 
..... अल्लामा इक़बाल..... 

It's agreed for once, I am unworthy of your glance
Just see how much I longed and waited prolonged. 

चले भी आओ मिरे जीते-जी, अब इतना भी 
न इंतजार कराओ कि नींद आ जाए
..... मज़हर इनायती..... 

Please come while I thrive, and so much alive. 
Don't make me wait, lest sleep should take in spate. 

इन्हीं पत्थरों पे चल कर अगर आ सको तो आओ
मिरे घर के रास्ते में कोई कहकशां नहीं है
..... मुस्तफ़ा ज़ैदी..... 

Walking on stones O man! 
Well, come if you can. 
There is no milky-way, 
on my little home way. 

सामने है जो उसे लोग बुरा कहते हैं 
जिस को देखा ही नहीं उस को ख़ुदा कहते हैं..... सुदर्शन फ़ाक़िर..... 

People just call him bad, 
one who confronts, how sad? 
While one who is unseen, 
is said to be God, has been! 

तू शाहीं है परवाज़ है काम तेरा 
तिरे सामने आसमाँ और भी हैं 
..... अल्लामा इक़बाल..... 

You are king vulture, meant to  fly. 
In front of you, is sky after the sky. 

फ़ासले ऐसे भी होंगे ये कभी भी सोचा न था
सामने बैठा था मेरे और वो मेरा न था
..... अदीम हाशमी..... 

Gaps can even be such, I never thought that much. 
He was seated before me, but didn't belong to me. 

रफ़ाक़तों का तवाज़ुन अगर बिगड़ जाए 
ख़मोशियों के तआवुन से घर चला लेना
..... अहमद कमाल परवाज़ी..... 

In the friendships if there is disbalance. 
Keep home with assistance of silence. 





जिगर के दाग़ दिखाने से फ़ाएदा क्या है 
अभी ज़माने के हालात साज़गार नहीं 
..... जयकृष्ण चौधरी हबीब..... 

Showing wounds of heart, to what use? 
State of world isn't favourable  for use.. 

ये पैरहन जो मिरी रूह का उतर न सका 
तो नख़-ब-नख़ कहीं पैवस्त रेशा-ए-दिल था..... फ़हमीदा रियाज़..... 

This apparel that couldn't leave my soul. 
Heart fibres were well knit roll by roll. 

आग थे इब्तिदा-ए-इश्क़ में हम 
अब जो हैं ख़ाक इंतिहा है ये
...... मीर तक़ी मीर..... 

At start of the love I was fire. 
At it's end, I am ash entire. 

ज़ख़्म लगा कर उस का भी कुछ हाथ खुला 
मैं भी धोका खा कर कुछ चालाक हुआ 
..... ज़ैब गौरी..... 

His hand got used after inflicting the wound. 
I became clever being cheated so sound. 

किसी का यूँ तो हुआ कौन उम्र भर फिर भी 
ये हुस्न ओ इश्क़ तो धोका है सब मगर फिर भी..... फ़िराक़ गोरखपुरी.... 

Who can for life be someone 's very own. 
Love' n beauty are treacherous, it's well known. 



ख़ुशी की आरज़ू क्या दिल में ठहरे 
तिरे ग़म ने बिठा रक्खे हैं पहरे
..... कैफ़ अहमद सिद्दीक़ी..... 

How can desire of joy stay in heart? 
Your grief has set guards on each part. 

ज़िंदगी भर के लिए रूठ के जाने वाले 
मैं अभी तक तिरी तस्वीर लिए बैठा हूँ 
..... क़ैसर-उल जाफ़री..... 

You left for life with a sense of dis-ease. 
I am sitting still with your sketch to please. 

समझा है हक़ को अपने ही जानिब हर एक शख़्स 
ये चाँद उस तरफ़ ही गया जो जिथर गया 
.. पंडित दया शंकर नसीम लखनवी.. 

Every person has thought truth to be on his side. 
This moon has gone with the visitor on each side. 

ज़रा सा साथ दो ग़म के सफ़र में 
ज़रा सा मुस्कुरा दो थक गया हूँ 
...... लियाक़त अली आसिम..... 

Join me in this travel of grief. 
I am tired, smile even if brief. 

वो तमाशा - ओ-खेल होली का
सब के तन रख़्त-ए-केसरी है आज
...... फ़ाइज़ दैहलवी..... 

This game of Holi and it's show
On each body is a golden glow. 

इश्क़ में शिकवा कुफ़्र है और हर इल्तिजा हराम 
तोड़ दे कासा-ए-मुराद इश्क़ गदागरी नहीं
..... असर रामपुरी..... 

Love doesn't permit request or laments. 
Love isn't beggary, break desire rents. 

मिरी ज़िंदगी की ज़ीनत हुई आफ़त-ओ-बला से 
मैं वो ज़ुल्फ़-ए-ख़म-ब-ख़म हूँ जो सँवर गई हवा से..... परवेज़ शाहिद...... 

Calamities have added to my life some grace. 
I am that distressed tress, set by wind's pace. 

गुलशन की फ़क़त फूलों से नहीं काँटों से भी ज़ीनत होती है 
जीने के लिए इस दुनिया में ग़म की भी ज़रूरत होती है...... सबा अफ़गान...... 

Not only flowers but thorns too add to garden beauty. 
To survive in this world, grief needs to do it's duty. 

अब आओ मिल के सो रहें तकरार हो चुकी 
आँखों में नींद भी है बहुत रात कम भी है 
..... निज़ाम रामपुरी..... 

Enough of discussion, now let us go to sleep. 
Little of night is left, in eyes there's lot of sleep. 

मुसीबत और लम्बी जिंदगानी 
बुज़ुर्गों की दुआ ने मार डाला 
..... मुज़्तर ख़ैराबादी..... 

Troubles and a life so long. 
I was killed by blessings strong. 

किसे दोस्त अपना बनाएँ हम, किसे दिल का हाल सुनाएँ हम
सभी ग़ैर हैं सभी अजनबी मिरे गाँव में तिरे शहर में..... अब्बास दाना..... 

Who is one, to befriend, with whom  heart state to blend. 
All are rivals all unknown, in your city, village of my own. 

ब-क़द्र-ए-पैमाना-ए-तख़य्युल सुरूर हर दिल में है ख़ुशी का
अगर न हो ये फ़रेब-ए-पैहम तो दम निकल जाए आदमी का
..... जमील मज़हरी..... 

By value of imaginary glass of wine, there's joy in each heart. 
But for this constant deception, would tumble man's life cart. 

आतिश-फ़िशाँ ज़बाँ ही नहीं थी बदन भी था 
दरिया जो मुंजमिद है कभी मौजज़न भी था..... फ़ुज़ैल जाफ़री..... 

Fire-spewing was not only tongue but her body too. 
This frozen stream, as is seen,  was in turbulence too. 

अभी दीवानगी में कुछ कमी महसूस होती है 
अभी ऐ शिद्दत-ए-ग़म ज़िंदगी महसूस होती है..... जिगर बरेलवी..... 

Something is missing in frenzy still. 
O grief peak, some life leak exists still. 

..... 
सर जिस पे न झुक जाए उसे दर नहीं कहते 
हर दर पे जो झुक जाए उसे सर नहीं कहते..... बिस्मिल सईदी..... 

Where head doesn't bend, isn't worth a door. 
Head isn't worth if it bends on each door. 

ग़ैर को तुम न आँख भर देखो 
क्या ग़ज़ब करते हो इधर देखो 
..... मीर हसन..... 

Don't look at the rival in eyes. 
Towards me, divert your eyes. 

तेरी महफ़िल से उठाता ग़ैर मुझ को क्या मजाल 
देखता था मैं कि तू ने भी इशारा कर दिया..... हसरत मोहानी..... 

Rival had no guts to evict me from your meet. 
But you had gestured, I had noticed the feat. 

कल तक तो आश्ना थे मगर आज ग़ैर हो 
दो दिन में ये मिज़ाज है आगे की ख़ैर हो 
..... दाग़ देहलवी..... 

Yesterday you were in love, are an enemy today. 
Such a change in two days, what's to be next day.. 




कब अपने किए का मुझे इक़रार नहीं है 
वो संग उठाए जो गुनहगार नहीं है 

Yes I agree with what I have done. 
First stone by one whose sin is none. 

ये भी मुमकिन है कहीं रास्ते में मिल जाए
वो एक शख़्स जिसे दोस्त कहना आसाँ हो..... अहमद फ़राज़..... 

That person may just meet on the way. 
To whom with ease, a friend you can say. 

ये सच है जल रहा है क़तरा क़तरा रेत पे अब
ये आब ज़िंदा था दरिया का साथ छोड़ दिया 

Making no amend, burning drop wise on sand. 
This water was alive, left stream to strive. 

गूँजती है तिरी हसीं आवाज़
जैसे नादीदा कोई बजता साज़
...... जाँ निसार अख़्तर..... 

Thus echoing is your beautiful voice. 
Playing an unseen instrument of choice. 

किसी बुज़ुर्ग के बोसे की इक निशानी है
हमारे माथे पे थोड़ी सी रौशनी है ना

It's an imprint of an elder's kiss. 
As a light on my forehead bliss. 

बिछड़ते दामनों में फूल की कुछ पत्तियाँ रख दो 
तअल्लुक़ की गिराँबारी में थोड़ी नर्मियाँ रख दो..... ज़ुबैर रिज़वी..... 

Place some flower petals in 
the parting hem.
Bowed with relations, put some softness in them. 

क्या कहूँ मैं कि तुम से क्या है इश्क़ 
जान का रोग है बला है इश्क़ 

What to tell you what is love? 
A calamity, life disease is love. 

ज़हीन’ अल्लाह को मैं देखता हूँ हुस्न-ए-जानाँ में
नज़र ख़ुर्शीद के जलवे मह-ए-कामिल में आते हैं

'Zaheen' I see love in my beloved's beauty. 
I have seen the sun, while 
 moon is on duty. 

कहते हैं आगे था बुतों में रहम 
है ख़ुदा जानिए ये कब की बात
..... मीर तक़ी मीर..... 

Earlier there was mercy in dames. 
God knows when, now in names. 

अपने दीदार की हसरत में तू मुझ को सरापा दिल कर दे
हर क़तरा- ए - दिल को क़ैस बना हर ज़र्रे को महमिल कर दे.. बेदम शाह वारसी.. 

 In order to see you, from head to toe make heart plain
Make Qais out of each drop and dorser of each grain. 

मता-ए-बे-बहा है दर्द-ओ-सोज़-ए-आरज़ूमंदी
मक़ाम-ए-बंदगी दे कर न लूँ शान-ए-ख़ुदावंदी

हिजाब इकसीर है आवारा-ए-कू-ए-मोहब्बत को
मेरी आतिश को भड़काती है तेरी देर-पैवंदी..... इक़बाल..... 

उन का जो फ़र्ज़ है वो अहल-ए-सियासत जानें
मेरा पैग़ाम मोहब्बत है जहाँ तक पहुँचे
..... जिगर मुरादाबादी..... 

Politicians would know what's there in their pan. 
My message is love to reach wherever it can. 

किसी और के तजरबे से कोई फ़ाएदा क्या उठाएँ
मोहब्बत में हर तजरबा ही अलग तरह का तजरबा है

How to benefit from  someone else's move? 
Another experience is in each love move. 

तेरी शर्तों पे ही करना है अगर तुझे क़ुबूल
ये सहूलत तो मुझे सारा जहाँ देता है

If I have to accept you on terms of your own. 
This facility is given by everyone known. 

शायद मुझे किसी से मोहब्बत नहीं हुई
लेकिन यक़ीन सब को दिलाता रहा हूँ मैं

May be none was loved by me. 
But all had believed in me. 

ये अनल-हक़ भी मेरी मैं को गवारा नहीं है
उस की जानिब से सदा आए मैं सरमद हूँ

That I am God isn't acceptable to me. 
Let him say so to be acceptable to me. 

कहियो कि तू ने ख़ूब बनाई है काएनात
लेकिन उसे लिखाई के नंबर न दीजियो

Tell Him what an universe has He made. 
But no marks for the writing be paid. 

वफ़ा इख़्लास क़ुर्बानी मोहब्बत
अब इन लफ़्ज़ों का पीछा क्यूँ करें हम

Faith, sacrifice, love and good deed. 
Why follow these words now indeed ? 

यूँ जो तकता है आसमान को तू
कोई रहता है आसमान में क्या

The way you keep looking at the sky. 
Is someone dwelling in the  sky? 

हर शख़्स से बे-नियाज़ हो जा
फिर सब से ये कह कि मैं ख़ुदा हूँ

Break contact with one and all. 
I am God, then make this call. 

बहुत बेआसरा-पन है सो चुप रह
नहीं है यह कोई मुज़्दा ख़ुदा नईं

Very unsupported! Well keep quiet. 
It's no concern, not God's might. 

तिरे माथे पे ये आँचल बहुत ही ख़ूब है लेकिन
तू इस आँचल से इक परचम बना लेती तो अच्छा था..... मजाज़..... 

This hem on your head looks really nice.
 It 'd be good making flag off it for a price. 

ख़ुदा-ए-बर्तर तिरी ज़मीं पर ज़मीं की ख़ातिर ये जंग क्यूँ है
हर एक फ़त्ह-ओ-ज़फ़र के दामन पे ख़ून-ए-इंसाँ का रंग क्यूँ है

O God above all, why on your land, there's fight for the land. 
On the hem of each victor, is human blood painted grand. 

जैसे वर्क़-ए-गुल पर अंगारा कोई रख दे
यूँ दस्त-ए-हिनाई पर आँसू अभी टपका है
..... बशीर बद्र..... 

As if amber is placed on 
the petal bands.
 A tear has dropped on hennaed hands. 

अपनी ख़ुशी में मेरे भी ग़म को निबाह लो
इतना हँसो कि आँख से आँसू निकल पड़ें

Mingle my pain in your cheer O dear! 
Then laugh a lot for the tear to appear. 

शबनम समझ के तुम ने उन की हँसी उड़ाई
फूलों को आ रहे थे जब मौत के पसीने 

You laughed and called these drops of dew. 
When flowers perspired , death time was due. 

ये नर्म नर्म घास ये फूलों भरी ज़मीं 
इक दिन बहा था ख़ू़न का दरिया यही ं कहीं..... ज़फ़र इक़बाल..... 

This silk soft grass, this flower rich land! 
Blood stream flowed once on this sand. 

तुम्हारा हुस्न आराइश तुम्हारी सादगी ज़ेवर 
तुम्हें कोई ज़रूरत ही नहीं बनने सँवरने की..... असर लखनवी..... 

Your beauty is adornment, your simplicity an ornament. 
For you there's no need, for any make up to give heed. 

तिरी आरज़ू तिरी जुस्तुजू में भटक रहा था गली गली 
मिरी दास्ताँ तिरी ज़ुल्फ़ है जो बिखर बिखर के सँवर गई..... बशीर बद्र..... 

I was roaming from lane to lane in your search 'n desire. 
My story is your tress, which 
in distress got set it entire. 

अपने सर इक बला तो लेनी थी 
मैं ने वो ज़ुल्फ़ अपने सर ली है 
..... जौन एलिया..... 

I needed a calamity to head. 
So set her tress on my head. 

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक 
कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक..... मिर्ज़ा ग़ालिब..... 

For a sigh to be effective, it needs a life time. 
Who can last till  control of your tress sublime? 

बिखरी हुई वो ज़ुल्फ़ इशारों में कह गई
मैं भी शरीक हूँ तिरे हाल-ए-तबाह में 
..... जलील मानिकपुरी..... 

That distressed tress, could in signs express. 
Me too played a role, in your ruin as a whole. 

दिल में किसी के राह किए जा रहा हूँ मैं 
कितना हसीं गुनाह किए जा रहा हूँ मैं 
.... जिगर मुरादाबादी..... 

I am making a way in some one's heart. 
What a beautiful sin it's on
 my part. 

कोई समझे तो एक बात कहूँ 
इश्क़ तौफ़ीक़ है गुनाह नहीं 
..... फ़िराक़ गोरखपुरी..... 

If one understands, I have to say in this din. 
Love is a gift of Almighty and not a sin. 

यूँ ज़िंदगी गुज़ार रहा हूँ तिरे बग़ैर 
जैसे कोई गुनाह किए जा रहा हूँ मैं 
..... जिगर मुरादाबादी..... 

Without you I am passing life this way. 
As if it's a sin being commited each day. 

हुआ है तुझ से बिछड़ने के बा'द ये मा'लूम 
कि तू नहीं था तिरे साथ एक दुनिया थी 
..... अहमद फ़राज़..... 

It was only after parting with you, that I knew. 
With you was a whole world and not only you. 

दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँ 
बाज़ार से गुज़रा हूँ ख़रीदार नहीं हूँ 
..... अकबर इलाहाबादी..... 

 I am in the world, but not desirous of it. 
I have passed market, not purchasing a bit. 

सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ 
ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ..... ख्वाजा मीर दर्द..... 

O lost one! Roam around the world, this life will not last. 
Even if the life is there, this youth just will not last. 

शबाब-ए-हुस्न है बर्क़-ओ-शरर की मंज़िल है 
ये आज़माइश-ए-क़ल्ब-ओ-नज़र की मंज़िल है..... ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ..... 

It's the zenith of beauty, electricity and spark's goal. 
As if it's the goal of heart 'n perception in trial role. 

दुनिया ओ आख़िरत में तलबगार हैं तिरे 
हासिल तुझे समझते हैं दोनों जहाँ में हम 
..... हैदर अली आतिश..... 

Whether it's this world or that, I am a seeker of you. 
Only thing worth having in both  these worlds is you. 

हमें आख़िरत में 'आमिर' वही उम्र काम आई 
जिसे कह रही थी दुनिया ग़म-ए-इश्क़ में गँवा दी..... आमिर उस्मानी..... 

O 'Aamir'! Only that life came to save me in next. 
Which the world said I wasted in love context. 

काम आई कोह कन की मशक़्क़त न इश्क़ में
पत्थर से जूए शीर के लाने ने क्या किया
..... मिर्ज़ा रफ़ी सौदा..... 

Hard labour of Farhad in love went waste. 
Milky river in stones also was not chaste. 

वो गो कुछ न सुनती,न कहती उसे
कन अंखियों से पर देख रहती उसे
..... मौलवी मीर हसन..... 

She would neither listen nor had anything to say
From corner of her eyes, she would look his way. 

ऐ सनम जिस ने तुझे चाँद सी सूरत दी है 
उसी अल्लाह ने मुझ को भी मोहब्बत दी है..... हैदर अली आतिश..... 

My love! One who gave you such moon face. 
That same God gave me love
 in it's place. 










वो अक़्ल-मंद कभी जोश में नहीं आता 
गले तो लगता है आग़ोश में नहीं आता 
..... फरहत अहसास.....

That wise person is never in zeal. 
Necks but gives no embrace feel. 

इक अदा मस्ताना सर से पाँव तक छाई हुई 
उफ़ तिरी काफ़िर जवानी जोश पर आई हुई..... दाग़ देहलवी..... 

A fanatic style extending from toes to head. 
O your infidel youth is in such
 a zeal ahead. 

नशा पिला के गिराना तो सब को आता है 
मज़ा तो तब है कि गिरतों को थाम ले साक़ी..... अल्लामा इक़बाल..... 

Everyone knows to intoxicate, let fall. 
O wine girl! The joy is to hold during fall. 

भरे मकाँ का भी अपना नशा है क्या जाने 
शराब-ख़ाने में रातें गुज़ारने वाला 
..... वसीम बरेलवी..... 

There's a sense of pride of full house in it's own. 
But to one who spends night in tavern, is unknown. 

कुछ उसूलों का नशा था कुछ मुक़द्दस ख़्वाब थे 
हर ज़माने में शहादत के यही अस्बाब थे 
..... हसन नईम..... 

There were intoxicating principles and dreams so pure. 
In every age, martyrdom rules were same for sure. 

अजब नशा है तिरे क़ुर्ब में कि जी चाहे 
ये ज़िंदगी तिरी आग़ोश में गुज़र जाए 
..... एतबार साजिद..... 

Strange pride is in your nearness, you desire. 
To spend in your embrace 
this life entire. 

न हो कि क़ुर्ब ही फिर मर्ग-ए-रब्त बन जाए 
वो अब मिले तो ज़रा उस से फ़ासला रखना..... इफ़्तिख़ार नसीम..... 

See to it that nearness doesn't become a way to meet. 
Maintain some distance if you come across that cheat. 

न तेरा क़ुर्ब न बादा है क्या किया जाए 
फिर आज दुख भी ज़ियादा है क्या किया जाए..... अहमद फ़राज़..... 

Neither you nor wine is near, now what to do O dear? 
Today the pain is too much, now what to do  as such? 

क्या असर था जज़्बा-ए-ख़ामोश में 
ख़ुद वो खिंच कर आ गए आगोश में 
..... शकील बदायूनी..... 

In silent feeling what tremendous effect ! 
She was drawn to an  embracial contact ! 

जाती है धूप उजले परों को समेट के 
ज़ख़्मों को अब गिनूँगा मैं बिस्तर पे लेट के..... शकेब जलाली..... 

Folding it's shining wings, sunlight is gone. 
Now I 'd count wounds, 
in a bed of own. 

ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं 
तुम ने मिरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा 
.....बशीर बद्र .....

Have I inherited these flowers O pal? 
You haven't seen my thorn bed
at all. 

इक रात चाँदनी मिरे बिस्तर पे आई थी 
मैं ने तराश कर तिरा चेहरा बना दिया 
..... अहमद मुश्ताक..... 

Moonlight came to my bed one night. 
I carved to shape as your face, alright. 

क़मर अफ़शां चुनी है रुख़ पे उसने इस सलीक़े से
सितारे आसमां से देखने को आए जाते हैं
..... क़मर जलालवी.....

O'Qamar' on her face, gold dust is set in a way. 
Stars of the sky are coming to watch and stay. 

फिर देखिए अंदाज़ ए गुल अफ़शानी ए गुफ़्तार
रख दे कोई पैमाना ए सहबा मिरे आगे
..... मिर्ज़ा ग़ालिब..... 

Watch how to scatter a flowery speech . 
Just keep a jug of wine within my reach. 

नींद तो दर्द के बिस्तर पे भी आ जाती है 
उन के आग़ोश में सर हो ये ज़रूरी तो नहीं..... ख़ामोश ग़ाज़ीपुरी..... 

Even in a bed of pain, one can surely sleep. 
In her lap, it isn't  essential for head to keep. 

हमें भी नींद आ जाएगी हम भी सो ही जाएँगे 
अभी कुछ बे-क़रारी है सितारो तुम तो सो जाओ..... क़तील शफ़ाई..... 

Sleep will come to me, I 'll also fall asleep. 
There's a little unease, stars you can sleep. 

















आदतन तुम ने कर दिए वादै
आदतन हम ने एतबार किया 
..... गुलज़ार..... 

You promised as a matter of habit. 
I believed as a matter of habit. 

क्यूँ पशेमाँ हो अगर वादा वफ़ा हो न सका
कहीं वादे भी निभाने के लिए होते हैं 
.....इबरत मछलीशहरी..... 

Why repent for the promise 
unkept. 
Are the promises meant to
 be kept? 

वो तितलियों की तरह मुझ से और दूर हुआ 
बढ़ाया जिस की तरफ़ हाथ दोस्ती के लिए..... इबरत मछलीशहरी..... 

Like butterflies more distance between us grew. 
To whom ever a friendIy hand
I extended anew. 

सुबूत है ये मोहब्बत की सादा-लौही
 का
कि उसने वादा किया हमने ए'तबार किया 
.....जोश मलीहाबादी..... 

This is the proof of simple natured love. 
I believed his promise over
 and above. 

हम क्या करें अगर न तिरी आरज़ू करें 
दुनिया में और भी कोई तेरे सिवा है क्या 
..... हसरत मोहानी..... 

What should I do, if not desire you.
 Beside you, is there someone else too? 

काम अब कोई न आएगा बस इक दिल के सिवा 
रास्ते बंद हैं सब कूचा-ए-क़ातिल के सिवा 
..... अली सरदार जाफ़री.....

Now there's nothing of use but for heart. 
All but murderer's lane are shut from start. 
दिल वो जगह नहीं कि फिर आबाद हो सके
पछताओगे सुनो हो ये बस्ती उजाड़ के 
..... मीर तक़ी मीर..... 

Heart isn't a site, that can be rehabilitated.
 Listen well that you 'll regret, 
if it's vacated. 

कब अपने किए का मुझे इक़रार नहीं है 
वो संग उठाए जो गुनहगार नहीं है 

When didn't I agree with what I have done? 
First stone from the one, whose fault is none. 

ये सच है जल रहा है क़तरा क़तरा रेत पे अब
ये आब ज़िंदा था, दरिया का साथ छोड़ दिया 

Making no ammend, burning dropwise on sand. 
This water was alive, left the stream to strive. 

मैं हूँ वो नंग-ए-ख़ल्क़ कि कहती फिरे है ख़ाक
इस को बना के क्यूँ मिरी मिट्टी ख़राब की?..... जियाउद्दीन ज़िया..... 

I am so downtrodden, dust goes places to tell in name. 
Why shaped him out of me 
and put my name to shame? 

मुफ़्त बदनाम है शब-ए-तीरा
रोज़-ए-रौशन में क्या नहीं होता? 

Why blame for nothing dark night? 
What isn't done in broad day light? 

बैठ जाते हैं जहाँ छाँव घनी होती है 
हाय क्या चीज़ ग़रीब-उल-वतनी होती है? 

Whereever there's shade I sit, cease to roam. 
In this foreign land, how I long for the home! 

ज़मीं के लाल-ओ-गुल का जिन्हें ख़याल नहीं 
वो लोग चाँद सितारों की बात करते हैं! 

Those who spare the people and flowers that swoon.
How dare do they talk about the stars and  moon? 

एक गुस्ताख़ी करूँगा, वो भी मर जाने के बाद 
यार तुम पैदल चलोगे, मैं जनाज़े पर सवार 

After death O chum I 'll be rude once, but so neat. 
While I 'll be on shoulders, you
would walk on street. 

अजल! ठहर न कर इस दर्जा शर्मसार मुझे 
लगा न दे कोई इल्ज़ाम-ए-इंतजार मुझे

O death! Don't wait, lest I  should be ashamed. 
Someone waited for me, it shouldn't be framed. 


मैं बहुत खुश था कड़ी धूप के सन्नाटे में 
क्यूँ तिरी याद का बादल मेरे सर पर आया
..... अहमद मुश्ताक..... 

I was very happy in silent, intense sun instead. 
Why did cloud of your memory cover my head? 

एक वो हैं कि जिन्हें अपनी ख़ुशी ले डूबी
एक हम हैं कि जिन्हें ग़म ने उभरने न दिया 

He is the one, who was drowned in pleasure . 
I am the one, who didn't surface pain treasure. 

एक सन्नाटा दबे-पाँव गया हो जैसे 
दिल से इक ख़ौफ़ सा गुज़रा है बिछड़ जाने का..... गुलज़ार..... 

As if softfooted silence has bypassed the part. 
A fear of your departure has crossed the heart. 


आँख भर आई किसी से जो मुलाक़ात हुई
ख़ुश्क मौसम था मगर टूट के बरसात हुई
..... मंज़र भोपाली..... 

Eyes got misty, meeting someone.
Weather was dry, 


न कोई खिड़की न दरवाज़ा वापसी के लिए 
मकान-ए-ख़्वाब में जाने के सैकड़ों दर हैं
..... शहरयार..... 

There's neither window, nor door to be back.
To dream house are hundred ways to pack. 

वो ख़ार ख़ार है शाख़-ए-गुलाब की मानिंद 
मैं ज़ख़्म ज़ख़्म हूँ फिर भी गले लगाऊँ उसे..... अहमद फ़राज़..... 

She is thorny, like a branch of rose. 
I am wounded, yet in embracive pose. 

जिस ज़ख़्म की हो सकती हो तदबीर रफ़ू की
लिख दीजियो यारब उसे क़िस्मत में उदू की

A wound worth mending is not for me. 
It's for my rival O God! Give it to thee. 

गर्दिश-ए-वक़्त भी आगे मुझे ले जा न सकी
तुम जहाँ छोड़ गए थे, मैं वही हूँ अब तक

The storms of time could no movement instil. 
Where you had left me, I am rooted still. 

कल न हो ये कि मकीनों को तरस जाए ये घर
दिल के आसेब का हर एक से चर्चा न करो..... बशीर बद्र..... 

This house may long to have anyone at all. 
Don't talk about troubles of heart to all. 

मुँह तका ही करे है जिस तिस का 
हैरती है ये आईना किस का? 
..... मीर तक़ी मीर..... 

To look at every face it's keen. 
Whose face has this mirror seen? 

शाम ही से बुझा सा रहता है 
दिल हुआ है चिराग़ मुफ़लिस का 

My heart is a poor man's lamp. 
Since eve' going out of scene. 

खिल के गुल कुछ तो बहार-ए-जाँ-फ़िज़ाँ दिखला गए
हसरत तो उन ग़ुन्चों पे है जो बिन खिले मुरझा गए 

I share their pleasure when flowers bloom. 
Dying buds dent my heart 
with gloom. 

इक ज़ख़्म था जो वक़्त के हाथों से भर गया 
क्या पूछते हैं आप किसी मेहरबाँ की बात? 

It was a wound, got healed
 with time. 
Why ask about benefactor's tale in prime? 

उन सब का भी शुक्रिया जिन ने छोड़ा साथ
वक़्त पड़ा तो मैं भी बढ़ा नहीं पाऊँगा हाथ..... रवि मौन......

 Thanks to all those, who had left me alone. 
When needed they can't find me help prone. 


ऐ सबा लाला-ए-कमज़र्फ़ से इतना कह दे 
दिल की तौहीन है दाग़ों का नुमाया होना 

To soft tulip flowers, a beauty when seen. 
Tell O breeze! Showing off heart spots is mean. 

कर काँपत पतहा लिखत जल भर आवत नैन
कोरो कागद हाथ दे मुख हीं कहियो बैन

Writing to him hand trembles, in eyes tears appear. 
Say what I have told, give paper blank to my dear. 

नासिहा तू ही बता, तूने तो देखे होंगे 
कैसे होते हैं वो ख़त जिनके जवाब आते हैं 

दुनिया की अंजुमन से उकता गया हूँ यारब
क्या लुत्फ़ अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया हो..... इक़बाल..... 

I am bored with assemblies of world, their part. 
What good is the gathering for a doused heart? 

Getting answers when written, which letters have been. 
O postman! Tell me, you must have seen. 

जो ठोकर ही नहीं खाते वो सब कुछ हैं मगर वाइज़
वो जिन को दस्त-ए-रहमत ख़ुद उठा ले और होते हैं.. पंडित हरि चंद अख़्तर.. 

O priest! Who don't stumble, are definitely well taught. 
But those upheld by His hand are a different story lot. 

इसी तलाश-ओ-तजस्सुस में खो गया हूँ मैं 
अगर नहीं हूँ तो क्यूँ कर, जो हूँ तो क्या हूँ मैं? 

In this pursuit, I am totally lost. 
Who am I and if not, at what cost? 

आगे बढ़े न क़िस्सा-ए-ज़ुल्फ़-ए-बुताँ से हम
सब कुछ कहा मगर न खुले राज़दाँ से हम
..... मौलाना हाली..... 

I didn't get ahead of the story of tress. 
Said all, but secret was still in
 a mess. 

जिन से इंसाँ को पहुँचती है हमेशा तकलीफ़
उन का दावा है कि वो अस्ल ख़ुदा वाले हैं 

Those who hurt humans all the time. 
Claim, they are close to God sublime. 

अगर बख़्शे ज़ह-ए-किस्मत, न बख़्शे तो शिकायत क्या 
सर - ए-तस्लीम ख़म है जो मिज़ाज-ए-यार में आए..... आतिश..... 

If she spares, it's my fate, if not, complaint I won't be make. 
My head is bent to accept the decision my lover 'll take. 

अगर मरते हुए लब पर न तेरा नाम आएगा 
तो मैं मरने से बाज़ आया, मेरे किस काम आएगा.... . शाद अज़ीमाबादी..... 

While dying, if on lips, won't come your name. 
Then why should I die, of what good it became. 

ज़िक्र उन के लब का था, फूल पर नज़र गई 
पंखुड़ी गुलाब की रश्क से बिखर गई 

We were talking about her lips, O those ! 
With envy, scattered the petals of rose. 

अगर दर्द-ए-मोहब्बत में न इंसाँ आश्ना होता
न कुछ मरने का ग़म होता न जीने का मज़ा होता 

To the agony of love, if human heart couldn't train. 
There would be no pleasure in life, 'n in death no pain. 

वतन की ख़ाक से मर कर भी हम को उन्स बाक़ी है
मज़ा दामान-ए-मादर का है इस मिट्टी के दामन में..... चकबस्त..... 

Even after death there remains love for dust of land. 
There's love of mother' s lap in the hem of this sand. 

इक सिलसिला हवस का है इंसाँ की ज़िंदगी 
इस एक मुश्त-ए-ख़ाक को ग़म दो जहाँ के हैं 

Human life is a chain of lusty desires at hand. 
There are sorrows of two worlds for this fistful of sand. 

लोग दरियाओं पे क्यूँ जान दिए देते हैं 
तिश्नगी का तो तअल्लुक़ ही नहीं पानी से
..... असलम महमूद..... 

Why do people in streams commit suicide? 
Strong desire 'n water aren't related any side. 

दिल की बर्बादी का क्या मज़कूर है
ये नगर सौ मर्तबा लूटा गया 
..... मीर तक़ी मीर..... 

How ruined is my heart, why talk in vain? 
This city was plundered again and again. 

मैं आ गया हूँ वहाँ तक तिरी तमन्ना में 
जहाँ से कोई भी इम्कान-ए-वापसी न रहे
..... महमूद गज़नी..... 

I have come that far in your desire. 
No chance of return is there to acquire. 

दिन कटा फ़रियाद से और रात ज़ारी से कटी 
उम्र कटने को कटी पर कितनी ख़्वारी से कटी..... दुल्हन बेग़म..... 

Day was consumed by request and night by cry. 
Thus life was consumed but how disgraced a try? 

छलके हुए थे जाम परेशाँ थी ज़ुल्फ़-ए-यार 
कुछ ऐसे हादसात से घबरा के पी गया
..... साग़र सिद्दीक़ी..... 

Overflowed were the cups, distressed the tress. 
Such were the calamities,
 I drank to address. 

कुछ तो होते हैं मोहब्बत में जुनूँ कै आसार
और कुछ लोग भी दीवाना बना देते हैं 

Basic traits of insanity exist
 in love in vain. 
People add some more to make lovers insane. 

यही काँटे तो कुछ ख़ुद्दार हैं सहन-ए-गुलिस्ताँ में 
जो शबनम के लिए दामन को फैलाया नहीं करते 

Only thorns in the garden maintain self respect. 
Don't stretch the garb for
 dew drops to collect. 

हमसरी उन लबों की करता है
तुम ने सुन लीं गुलाब की बातें ! 

Being at par with lips like those! 
Did you listen to audacity
 of rose? 

सुने जाते न थे तुम से मेरे दिन रात के शिकवे 
कफ़न सरकाओ मेरी बेज़ुबानी देखते जाओ 

You were bored by my grumbling day 'n night. 
Lift shroud from face, 
see, I can be quiet. 

रंज तो ये है कि वो अहद-ए-वफ़ा टूट गया 
बे-वफ़ा कोई भी हो, तुम न सही, हम ही सही

What hurts is breach in bond of our trust. 
If you weren't faithless, well I did it first. 

यूँ मुस्कुराए जान सी कलियों में पड़ गई
यूँ लब कुशा हुए कि गुलिस्ताँ बना दिया 

The smile sprang life in buds
 to bloom. 
The lips then parted, made garden zoom. 

वक़्त के साथ हर इक चीज़ बदल जाती है 
ठोकरें खा के भी इंसाँ मगर इंसाँ न हुआ 

In this universe so diverse, with time things crumble. 
Man stumbles and grumbles, but still can't be humble. 

ये तस्वीरें बज़ाहिर तो बहुत ख़ामोश रहती हैं 
मगर अहल-ए-नज़र देखें तो दिल की बात कहती हैं 

These murals exhibit, always appear to be mum. 
But for gifted observers, have hearty tune to hum. 

बेहोश हुए मूसा चेहरे की तजल्ली से
इस पर्दादारी में भी पर्दा नज़र आता है
..... प्रिंसिपल नक़्वी नय्यर..... 

Moses got unconscious with glow of His face. 
A veil unveiled, had left another in place. 

न बचा बचा के तू रख इसे तिरा आईना है वो आईना 
जो शिकस्ता हो तो अज़ीज़तर है निगाह-ए-आईनासाज़ में.... . इक़बाल.....

Don't spare it from mishap,  your mirror is such an app. 
If shattered, it is dearer,
 in the eyes of its maker. 

बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं 
तुझे ऐ ज़िन्दगी हम दूर से पहचान लेते हैं 
..... फ़िराक़ गोरखपुरी..... 

I discern her footsteps from quite far. 
O life!  I recognise you from afar. 


मेरी ख़्वाहिश है कि आँगन में न दीवार उठे 
मेरे भाई मिरे हिस्से की ज़मीं तू रख ले 
..... राहत इन्दौरी..... 

There be no wall in courtyard, I so desire. 
O brother!  My share of land, you acquire. 

आज तक याद है वो शाम-ए-जुदाई का समाँ 
तेरी आवाज़ की लर्ज़िश तिरे लहजे की थकन..... अज़ीम मुर्तज़ा..... 

I remember even today condition of departure eve'. 
Your trembling voice and exhausted style to perceive. 

हम को किस के ग़म ने मारा ये कहानी फिर सही 
किस ने तोड़ा दिल हमारा ये कहानी फिर सही..... मसरूर अनवर..... 

Whose grief has killed me, let this tale be told later. 
Who has broken my heart, let that tale be told later. 

बहुत से लोग थे मेहमान मेरे घर लेकिन 
वो जानता था कि है एहतिमाम किस के लिए..... परवीन शाकिर..... 

Many guests were there in my home to fill room. 
But he knew that this set up was for whom. 

मिरा ज़मीर बहुत है मुझे सज़ा के लिए 
तू दोस्त है तो नसीहत न कर ख़ुदा के लिए..... शाज़ तमकनत..... 

Enough is my conscience to give me a sentence. 
By God if you are friend, do 
not advise to mend. 

जो पढ़ा है उसे जीना ही नहीं है मुमकिन 
ज़िन्दगी को मैं किताबों से अलग रखता हूँ..... ज़फ़र सहबाई..... 

It isn't possible to live that what's read. 
I separate my life from the books instead. 

इस रास्ते के नाम लिखो एक शाम और 
या इसमें रौशनी का करो इंतजाम और 
..... दुश्यंत कुमार..... 

Write one more eve' for this route. 
Or light it up some more O
 cute! 

वो बेवफ़ा जो राह में टकरा गया कहीं 
कह दूँगी मैं भी साफ़ कि पहचानती नहीं 
..... अंजुम..... 

If ever, that faithless crossed my way. 
You are unknown to me, I 'll clearly say. 

पत्थर है तेरे हाथ में या कोई फूल है 
जब तू क़ुबूल है तिरा सब कुछ क़ुबूल है

Whether in your hand it's a flower or stone. 
Accepting you is to accept
 all in a tone. 

ज़ख़्म और पेड़ ने एक साथ दुआ माँगी है 
देखिए पहले यहाँ कौन हरा होता है

Wound 'n tree have accessed, both asked to be blessed. 
Who first goes green,
 it's  yet to be seen. 

जाने किस की थी ख़ता याद नहीं 
हम हुए कैसे जुदा याद नहीं 
..... सूफ़ी तबस्सुम..... 

Whose was the fault, I don't recollect. 
How did we part, I don't recollect. 

पुकारा जब मुझे तन्हाई ने तो याद आया 
कि अपने साथ बहुत मुख़्तसर रहा हूँ मैं 
..... फ़ारिग़ बुखरी..... 

When loneliness called, I could  recollect. 
With the self, I had very short connect. 

कुछ तो तन्हाई की रातों में सहारा होता
तुम न होते न सही ज़िक्र तुम्हारा होता
..... अख़्तर शीरानी..... 

Lonely nights could get some support. 
Even without you, your talk could court. 

क़लम में ज़ोर जितना है जुदाई की बदौलत है 
मिलन के बाद लिखने वाले लिखना छोड़ देते हैं..... शुजा ख़ावर..... 

It's departure that attributes power to pen. 
After meeting, writers drop it there and then. 

तन्हाई में करनी तो है इक बात किसी से
लेकिन वो किसी वक़्त अकेला नहीं होता 
..... अहमद मुश्ताक़.

In solitude , I have to him something to tell. 
The trouble is that he is
 never in lonely spell. 

वो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन
उसे इक ख़ूब- सूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा..... साहिर लुधियानवी..... 

A tale that can not reach it's end. 
Is good to be quit with a lovely bend. 

उस को भी हम से मोहब्बत हो ज़रूरी तो नहीं 
इश्क़ ही इश्क़ की क़ीमत हो ज़रूरी तो नहीं..... सबा अकबराबादी..... 

It's not essential with me, she is also in love. 
It's not essential, love is to be paid with love. 

अब मुझ को एहतमाम से कीजे सुपुर्द - ए-ख़ाक
उक्ता गया हूँ जिस्म का मलबा उठा के मैं 
..... दिलावर अली आज़र...

Now with get up, hand me over to the soil. 
I am bored bearing brunt of the body spoil. 

मिलूंगा ख़ाक में इक रोज़ बीज की मानिंद
फ़ना पुकार रही है मुझे बक़ा के लिए 
..... शाज़ तमकनत..... 

One day I'll mingle with soil
 as a seed. 
The death is calling me for survival need. 

दोस्ती आप से लाज़िम है मगर इस के लिए 
सारी दुनिया से अदावत हो ज़रूरी तो नहीं

It's necessary for us to be friends but for that. 
It's not essential, with world,
 to be against love. 

अल्लाह रे उस गुल की कलाई की नज़ाकत
बल खा गई जब बोझ पड़ा रंग - ए-हिना का..... अमीर मीनाई..... 

O God!  How delicate is that flowery wrist?
 With weight of henna colour,
 it got a twist. 

जाम-ए-मय तौबा-शिकन तौबा मिरी जाम-शिकन 
सामने ढेर है टूटे हुए पैमानों का 

Wine cup shatters promise, my promise breaks wine cups. 
Confronting me is a heap of those broken wine cups. 



कौन गुज़रा है यहाँ से कि मोअ'त्तर है हवा 
जानी-पहचानी सी लगती है पवन की ख़ुशबू..... प्रोफ़ेसर महमूद आलम..... 

Who has passed this way that fragrant is wind. 
It appears well known, this fragrance of wind. 

रोक सको तो पहली बारिश की बूँदों को तुम रोको
कच्ची मिट्टी तो महकेगी है मिट्टी की मजबूरी..... मोहसिन भोपाली..... 

With hold the drops of first rain if you can. 
Raw soil 'll be fragrant, no other way it can. 

ये मेरा दिल है कि मंज़र उजाड़ बस्ती का 
खुले हुए हैं सभी दर मकीं नहीं आता
..... शहरयार..... 

Is it my heart or a scene of ruined village part? 
No resident is seen, doors
 are open to screen . 

बस्ती में अपनी हिन्दू मुसलमाँ जो बस गए 
इंसाँ की शक्ल देखने को हम तरस गए 
..... कैफ़ी आज़मी..... 

In our residential site, Hindus, Muslims set their might. 
Now to see a human face, I have longed to trace. 

अनोखी वज़्अ' है सारे ज़माने से निराले हैं 
ये आशिक़ कौन सी बस्ती के या-रब रहने वाले हैं..... इक़बाल..... 

Their style is unique, incomparable technique. 
O God! Which is the lane, 
where lovers remain? 

देखने के लिए इक चेहरा बहुत होता है 
आँख जब तक है तुझे सिर्फ़ तुझे देखूँगा
शहरयार 

One face is enough, to see really enough. 
Till these eyes last, only on 
you 'll be cast. 

किसी को काँटों से चोट पहुँची किसी को फूलोँ ने मार डाला। 
जो बच गए इन मुसीबतों से उन्हें उसूलों ने मार डाला 

Some were hurt by the thorns, some by flowers got hurt. 
Spared by these troubles, were done with principles curt. 

जिस ज़ख़्म की हो सकती हो तदबीर रफ़ू की 
लिख दीजियो या रब उसे क़िस्मत में अदू की..... मिर्ज़ा ग़ालिब..... 

A wound that's repairable anyway O mate ! 
Almighty ! Prescribe it in
 rival's fate.

बे-नाम से इक ख़ौफ़ से दिल क्यूँ है परेशाँ 
जब तय है कि कुछ वक़्त से पहले नहीं होगा..... शहरयार..... 

Why is the heart worried about an unknown fear? 
When  nothing would happen before time O dear. 

तदबीर के दस्त-ए-रंगीं से तक़दीर दरख़्शाँ होती है 
क़ुदरत भी मदद फ़रमाती है जब कोशिश-ए-इंसाँ होती है 

Colourful hand of effort adds brightness to your fate. 
Nature offers helping hand with human toil O mate. 

मैं इज़्तेराब - ए-शौक़ कहूँ या जमाल-ए-दोस्त 
इक बर्क़ है जो कि कोंध रही है नक़ाब के में..... असग़र गोंडवी...... 

Should I do call it longing or beauty of her face. 
There's an electric spark inside veiled space. 

अदा-शनास भी थे अरस-ए-क़यामत में 
समझ के आप को रुख़ से नक़ाब उठाना था.....सफ़दर मिर्ज़ापुरी.....

There were many to recognise your style on doomspace. 
You should have considered it before lifting veil from face. 

ये इज़्तेराब देख कि अब दुश्मनों से भी 
कहता हूँ उन से मिलने की अब तुम दुआ करो..... मीर तक़ी मीर..... 

Look at my longing that even to foes I  say. 
For meeting with her, you too please pray. 

न मानूंगा नसीहत पर न सुनता मैं तो क्या करता
कि हर हर बात में नासेह तुम्हारा नाम लेता था..... मोमिन..... 

What could I do but to listen, though I won't agree. 
The preacher took your name in every talking spree. 

अगर मरते हुए लब पर न तेरा नाम आएगा 
तो मैं मरने से बाज़ आया मेरे किस काम आएगा... शाद अज़ीमाबादी... 

While dying, if on lips, there won't be your name. 
Then what good is death, I  retreat my name. 

हम क्या करें न तेरी अगर आरज़ू करें 
दुनिया में और भी कोई तेरे सिवा है क्या? 
..... हसरत मोहानी..... 

What else can I do, if not to desire you. 
In world, is there anyone else besides you. 

बस रहा है कि मेरी आँखों में वही जान-ए-बहार
जिस का हमरंग कोई फूल चमन भर में नहीं..... ताजवर नजीमाबादी..... 

In my eyes dwells, that life of spring spells. 
Whose look alike, isn't there in garden to like. 

गुज़ारी देखने में उस के सारी ज़िन्दगी मैंने 
मगर ये शौक़ है देखा नहीं गोया कभी मैंने..... नातिक़ लखनवी..... 

My life is gone, in watching her alone. 
But I still long, to see her for long. 

तिरा तबस्सुम फ़रोग़-ए-हस्ती तिरी नज़र एतबार-ए-मस्ती
बहार इक़रार कर रही है, शराब ईमान ला रही है..... अब्दुल हमीद अदम..... 

Lifting life is your smile, look causes frenzy in a while. 
Agreeable is all in spring, faith does the wine bring. 

ये आरज़ू थी तुझे गुल के रू-ब-रू करते
हम और बुलबुल-ए-बे-ताब गुफ़्तगू करते
..... आतिश..... 

It was a desire to confront you and a flower. 
Me and  impatient nightingale
talking sweet 'n sour. 

ने दिल को छू है सबात न हम को है
 ऐ' तिबार
किस बात पर चमन हवस-ए-रंग-ओ-बू करें 

Neither heart is stable, nor I have the belief. 
How can garden lust for colour and fragrance fief. 

तुम्हारी याद में डूबे कहाँ कहाँ से गए
हम अपने आप से बिछड़े तो सब जहाँ से गए..... सादिक़ा नवाब सहर..... 

Submerged in your memories, I went from place to place 
Departing with the self, from whole world I lost trace. 

पहले आती थी हाल-ए-दिल पे हँसी
अब किसी बात पर नहीं आती 
..... मिर्ज़ा ग़ालिब..... 

 I laughed at heart outright
But now my lips are tight. 

मौत का एक दिन मुअय्यन है 
नींद क्यूँ रात भर नहीं आती

The day of death is fixed. 
Why can't I sleep whole night? 

काबा किस मुँह से जाओगे 'ग़ालिब' 
शर्म तुम को मगर नहीं  आती

What a face for Kaabaa O 'Ghalib'? 
But you are ashamed of nothing in sight. 

चूम लेती हैं कभी लब कभी आरिज़-ए-गुल
तूने ज़ुल्फ़ों को बहुत सर पे चढ़ा रक्खा है 

They kiss your flowery cheeks and lips. 
Your tress has learnt from you heady tips. 

ऐ मौज-ए-बला इन को भी ज़रा दो चार  थपेड़े हल्के से
कुछ लोग अभी तक साहिल से तूफ़ाँ का नज़ारा करते हैं..... जज़्बी..... 

O wave of problems  to those, give a few shoves quite close. 
Still some people from shore, watch the storm power core. 

इक ज़ख़्म था जो वक़्त के हाथों से भर गया 
क्या पूछते हैं आप किसी भी मेहरबाँ की बात? 

It was a wound that got healed with the time. 
Why talk about the considerate man sublime? 

गर्दिश-ए-वक़्त भी आगे मुझे ले जा न सकी
तुम जहाँ छोड़ गए थे मैं वहीं हूँ अब तक

The tides of time have not changed my state. 
I am still at the place, where you left me mate. 

ये तस्वीरें ब-ज़ाहिर तो बहुत ख़ामोश रहती हैं 
मगर अहल-ए-नज़र देखें तो दिल की बात कहती हैं 

Apparently these murals keep a silent pose. 
But to those who watch, give a hearty dose. 

वो रंगीला हाथ मेरे दिल पे और उस की महक
शम'अ-ए-दिल बुझ सी गई रंग-ए-हिना के सामने..... मुनीर नियाज़ी..... 

That painted hand on heart fence, and then it's fragrance. 
Almost put out was heart lamp, against her hennaed stamp. 

मैं तो उस को देखते ही जैसे पत्थर हो गया 
बात तक मुँह से न निकली बेवफ़ा के सामने..... मुनीर नियाज़ी..... 

On seeing her alone, I was turned into stone. 
Nothing came out of lips, before infidel, talk slips. 

याद भी हैं ऐ 'मुनीर' उस शाम की तन्हाइयाँ
एक मैदाँ इक दरख़्त और तू ख़ुदा के सामने 

'Muneer'do you recollect, that eve' s solitude effect. 
Stray land and a tree, before God you were  free. 

अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें 
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें 

We may meet in dreams if now we part. 
As dry flowers in books from days of start. 

तू ख़ुदा है न मिरा इश्क़ फ़रिश्तों जैसा
दोनों इंसाँ हैं तो क्यों इतने हिजाबों में मिलें..... अहमद फ़राज़..... 

Neither you are God nor my love angelic. 
We are humans, why curtains keep apart. 

तू मिला है तो ये अहसास हुआ है मुझ को
मेरी ये उम्र मोहब्बत के लिए थोड़ी है

I realise now after  meeting you pal. 
This life for love is far too small. 

इक ज़रा सा ग़म-ए-दौराँ का भी हक़ है मुझ पर 
मैंने वो साँस भी तेरे लिए रख छोड़ी है

A claim of some pain of world exists. 
I have spared those breaths for you in all. 

हर एक घर का दरीचा सजा है गमलों से
तमाम दश्त कटे बस्तियाँ बनाने में 
..... जावेद उल्फ़त..... 

Planted pots decorate, every window O mate. 
Many jungles were razed, for  buildings to be raised. 

एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है
मैंने हर करवट सोने की कोशिश की

Night long, a dream has kept  me awake
In many turns, sleep I have tried to take. 

कुछ उसूलों का नशा था कुछ मुक़द्दस ख़्वाब थे 
हर ज़माने में शहादत के यही अस्बाब थे 
..... हसन नईम..... 

Intoxicated by principles and sacred dreams. 
Were every time, tools of being martyr, it seems. 

हम अपने इश्क़ की अब और क्या शहादत दें 
हमें हमारे रक़ीबों ने मो'तबर जाना 
..... आलमताब तिश्ना..... 

What else as a proof can I place for my love ? 
My rivals hold me in regard over and above. 

मैं भी यहाँ हूँ इस की शहादत में किस को लाऊँ 
मुश्किल ये है कि आप हूँ अपनी नज़ीर मैं 
..... फरहत अहसास..... 

Whom else to bring for a witness, as I am here. 
The trouble is that I am my 
own example here. 

दस्त-ए-जुनूँ ने फाड़ के फेंका इधर-उधर 
दामन अबद में है तो गरेबाँ अज़ल में है 
..... अहमद अली ख़ान क़लक़..... 

Hands of frenzy tore it, threw this way 'n that to probe. 
The hem is in beginning and 
till eternity, stretches robe. 

अज़ल से आज तक सज्दे किए और ये नहीं सोचा 
किसी का आस्ताँ क्यूँ है किसी का संग-ए-दर क्या है..... सबा अकबराबादी.....

Since eternity I prayed but had not thought.
 Why is stone of someone 's door and what? 

ख़ुद अपनी मस्ती है जिस ने मचाई है हलचल 
नशा शराब में होता तो नाचती बोतल 
..... आरिफ़ जलाली..

This is stirring is caused only by your own joy. 
Had wine intoxicated, bottle'd dance as a toy

अपनी मस्ती में बहता दरिया हूँ 
मैं किनारा भी हूँ भँवर भी हूँ 
..... तहज़ीब हाफ़ी..... 

I am a river in my own flow. 
I am ashore with whorl to show. 

'मीर' उन नीम-बाज़ आँखों में 
सारी मस्ती शराब की सी है 
..... मीर तक़ी मीर..... 

'Mir'! In those eyes half closed. 
Is ecstasy of wine over dosed. 

फ़लक देता है जिन को ऐश उन को ग़म भी होते हैं 
जहाँ बजते हैं नक़्क़ारे वहाँ मातम भी होता है..... दाग़ देहलवी..... 

Pleasure and pain are accorded to same person by skies. 
Where drums are beaten, there are always mourning cries. 

उठ गई हैं सामने से कैसी कैसी सूरतें 
रोइए किस के लिए किस किस का मातम कीजिए..... हैदर अली आतिश..... 

So many lovely faces have gone out of sight. 
Whom to mourn for and cry in whose plight

जो इक ख़ुदा नहीं मिलता तो इतना मातम क्यूँ 
यहाँ तो कोई मिरा हम-ज़बाँ नहीं मिलता 
..... कैफ़ी भोपाली..... 

Why mourn so much, if God isn't found. 
Speaking same language here isn't around. 


कितने संगीन हक़ाएक़ से निचोड़ा है लहू 
चंद ख़्वाबों के लिए चंद ख़यालों के लिए
..... आल-ए-अहमद सुरूर..... 

Blood was extracted from many hard facts. 
For some dreams and some thoughtful tacts. 

ख़मोशी से मुसीबत और भी संगीन होती है 
तड़प ऐ दिल तड़पने से ज़रा तस्कीन होती है..... शाद अज़ीमाबादी..... 

With silence, trouble becomes ever harder than before. 
Writhe O heart, comfort is achieved by it from each pore.

कोई हलचल है न आहट न सदा है कोई 
दिल की दहलीज़ पे चुप-चाप खड़ा है कोई..... ख़ुर्शीद अहमद जामी..... 

There's no hustling, light sound or voice. 
On heart gate he stands silently as choice.
...... 
एक तुम्हारा  होना क्या से क्या  कर देता है 
बे-ज़ुबान छत दीवारों को घर देता है
..... महेश्वर तिवारी..... 

What does your being do? You  can not know it too. 
These roofs 'n walls so dumb.  In shape of a home succumb. 

होंटों को रोज़ इक नए दरिया की आरज़ू 
ले जाएगी ये प्यास की आवारगी कहाँ 
...... वसीम बरेलवी..... 

A lust for lipping a new river daily to feed ! 
O roaming! Where' ll this thirst of desires lead? 

सौ मिलीं ज़िंदगी से सौग़ातें 
हम को आवारगी ही रास आई 
..... अली सरदार जाफ़री..... 

Hundreds of gifts did the  life offer. 
Roaming was  my desired. coffer. 

न जाने बर्क़ की चश्मक थी या शरर की लपक
ज़रा जो आँख झपक कर खुली, शबाब न था..... मीर अनीस..... 

I know not if it was electric arc or simply a fire spark. 
Within blinking of the eye, youth wasn't in body park. 

शबाब नाम है उन जाँ नवाज़ लम्हों का
जब आदमी को ये महसूस हो जवाँ हूँ मैं 
..... नेआज़ फ़तहपुरी...... 

Youth is the name of those moments so pleasant. 
When the feeling of being young is always  present. 

शबाब मिट चुका याद-ए-शबाब बाक़ी है 
है बू शराब की साग़र में अब शराब नहीं 
..... अख़्तर शीरानी..... 

The youth is over, it's memory persists. 
There's no wine in jug,but smell exists. 

सब को है तेरे जल्वा-ए-रंगीं की जुस्तजू 
ये कौन सोचता है कि ताब-ए-नज़र नहीं 
..... राक़िम लखनवी.....

Everyone is searching  colourful glimpse of your's. 
Who thinks that there's no
 power  to see of course. 

मुझे धोखा न देतीं हों वही तरसी हुई नज़रें 
तुम्हीं हो सामने या फिर वही तस्वीर-ए-ख़्वाब आई... आनंद नारायण मुल्ला... 

Am I being deceived by my craving eyes? 
Is it you or again a picture of dream 'n sighs? 

मैं हूँ वो नंग-ए-ख़ल्क़ कि कहती फिरे है ख़ाक 
इस को बना के क्यूँ मिरी मिट्टी ख़राब होने की..... ज़िया बेग़म ज़िया..... 

I am such a low being, dust goes places to tell my name. 
Why shaped him out of me 
and put my name to shame? 

होगा किसी दीवार के साए के तले 'मीर'
क्या काम मोहब्बत से उस आराम-तलब को..... मीर तक़ी मीर..... 

'Mir' is likely to be lying in the shade of a wall. 
He is idle, why would work for love to befall? 

वो तो बता रहा था कई रोज़ का सफ़र
ज़ंजीर खींच कर वो मुसाफ़िर उतर गया 
..... जावेद अख्तर..... 

He 'd travey many a day, or so did he say. 
One who pulled chain and got down the train. 

बहुत आसान है पहचान इस की
अगर दुखता नहीं तो दिल नहीं है 
..... जावेद अख्तर..... 

It's very easy just for anyone
 to find. 
If unhurt, it's not heart of any kind. 

दिल वो नगर नहीं है कि फिर आबाद हो सके
पछताओगे सुनो हो ये बस्ती उजाड़ के 
..... मीर तक़ी मीर..... 

Heart is not a city that can be  rehabilitated. 
Let me tell it, you 'll regret, if 
it is vacated. 

दिल की बर्बादी का क्या मज़कूर हो
ये नगर सौ मर्तबा लूटा गया 
..... मीर तक़ी मीर..... 

How ruined is the heart, why talk in vain? 
This city was plundered again  and again. 

हम सहल-तलब कौन से फ़रहाद थे लेकिन 
इस शहर में तेरे कोई हम सा भी नहीं 
है..... मीर तक़ी मीर..... 

I am idle, not workaholic Farhad of yore. 
In this city, there's none 
 like me anymore. 

जफ़ा के ज़िक्र पे तुम क्यूँ संभल के बैठ गए 
तुम्हारी बात नहीं, बात है ज़माने की

Why talk of infidelity has stirred you to core. 
It's tale of the world, not your's anymore. 

कुछ तो होते हैं मोहब्बत में जुनूँ के आसार 
और कुछ लोग भी दीवाना बना देते हैं 

Basic traits of insanity exist in love domain. 
People add a  bit more to make lover insane. 

मुझे दुश्मन से भी ख़ुद्दारी की उम्मीद रहती है 
किसी का भी हो सर क़दमों में सर अच्छा नहीं लगता..... जावेद अख्तर..... 

I expect self respect even from the foes. 
Be it anyone 's head, looks  no good on toes. 















मैं हूँ वो नंग-ए-ख़ल्क़ कि कहती फिरे है ख़ाक 
इस को बना के क्यूँ मिरी मिट्टी ख़राब होने की..... ज़िया बेग़म ज़िया..... 

I am such a low being, dust goes places to tell my name. 
Why shaped him out of me 
and put my name to shame? 

होगा किसी दीवार के साए के तले 'मीर'
क्या काम मोहब्बत से उस आराम-तलब को..... मीर तक़ी मीर..... 

'Mir' is likely to be lying in the shade of a wall. 
He is idle, why would work for love to befall? 

वो तो बता रहा था कई रोज़ का सफ़र
ज़ंजीर खींच कर वो मुसाफ़िर उतर गया 
..... जावेद अख्तर..... 

He 'd travey many a day, or so did he say. 
One who pulled chain and got down the train. 

बहुत आसान है पहचान इस की
अगर दुखता नहीं तो दिल नहीं है 
..... जावेद अख्तर..... 

It's very easy just for anyone
 to find. 
If unhurt, it's not heart of any kind. 

दिल वो नगर नहीं है कि फिर आबाद हो सके
पछताओगे सुनो हो ये बस्ती उजाड़ के 
..... मीर तक़ी मीर..... 

Heart is not a city that can be rehabilitated. 
Let me tell it, you 'll regret, if 
it is vacated. 

दिल की बर्बादी का क्या मज़कूर हो
ये नगर सौ मर्तबा लूटा गया 
..... मीर तक़ी मीर..... 

How ruined is the heart, why talk in vain? 
This city was plundered again and again. 

हम सहल-तलब कौन से फ़रहाद थे लेकिन 
इस शहर में तेरे कोई हम सा भी नहीं 
है..... मीर तक़ी मीर..... 

I am idle, not workaholic Farhad of yore. 
In this city, there's none 
 like me anymore. 

जफ़ा के ज़िक्र पे तुम क्यूँ संभल के बैठ गए 
तुम्हारी बात नहीं, बात है ज़माने की

Why talk of infidelity has stirred you to core. 
It's tale of the world, not your's anymore. 

कुछ तो होते हैं मोहब्बत में जुनूँ के आसार 
और कुछ लोग भी दीवाना बना देते हैं 

Basic traits of insanity exist in love domain. 
People add a bit more to make lover insane. 

मुझे दुश्मन से भी ख़ुद्दारी की उम्मीद रहती है 
किसी का भी हो सर क़दमों में सर अच्छा नहीं लगता..... जावेद अख्तर..... 

I expect self respect even from the foes. 
Be it anyone 's head, looks no good on toes. 

शीशा टूटे ग़ुल मच जाए 
दिल टूटे आवाज़ न आए 
..... हफ़ीज़ मेरठी..... 

सुर्ख़ियाँ अख़बार की गलियों में ग़ुल करती रहीं 
लोग अपने बंद कमरों में पड़े सोते रहे 
..... ज़ुबैर रिज़वी..... 


बुला रहा था कोई चीख़ चीख़ कर मुझ को 
कुएँ में झाँक के देखा तो मैं ही अंदर था 
..... मोहम्मद अल्वी..... 

रात भर ख़्वाब देखने वाले 
दिन की सच्चाइयों में चीख़ उठे 
..... नसीर अहमद नासिर..... 

दुनिया की बहारों से आँखें यूँ फेर लीं जाने वालों ने 
जैसे कोई लम्बे क़िस्से को पढ़ते पढ़ते उकता जाए..... नुशूर वाहिदी..... 

दुनिया की महफ़िलों से उकता गया हूँ या रब 
क्या लुत्फ़ अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया हो..... अल्लामा इक़बाल..... 

ले दे के अपने पास फ़क़त इक नज़र तो है 
क्यूँ देखें ज़िंदगी को किसी की नज़र से हम..... साहिर लुधियानवी..... 

फ़क़त निगाह से होता है फ़ैसला दिल का 
न हो निगाह में शोख़ी तो दिलबरी क्या है 
..... साहिर लुधियानवी..... 

ये आरज़ू भी बड़ी चीज़ है मगर हमदम 
विसाल-ए-यार फ़क़त आरज़ू की बात नहीं..... फ़ैज़ अहमद फ़ैज़..... 

नहीं जो महमिल-ए-लैला-ए-आरज़ू सर-ए-राह
तो अब फ़ज़ा में फ़ज़ा के सिवा कुछ और नहीं
नहीं जो मौज-ए-सबा में कोई शमीम-ए-पयाम
तो अब सबा में सबा के सिवा कुछ और नहीं...... जौन एलिया 

या इसी नज़्म में एक जगह कहता है:

“तुम्हारे रंग महकते हैं ख़्वाब में जब भी
तो उनको ख़्वाब में भी ख़्वाब ही समझते हैं”

दासताँ ख़त्म होने वाली है
तुम मेरी आख़री मोहब्बत हो

हम जो बातें जुनूँ में बकते हैं
देखना जाविदानियाँ होंगी

जौन ही तो है जौन के दरपय
मीर को मीर ही से ख़तरा है


धूम करना है तो ऐ वहशत तू ख़ातिर ख़्वाह कर,
शह्र गर्दी कब ‘तलक’ सहारा से भी कुछ राह कर”..... अमीर मीनाई..... 

फ़ित्ना साज़ी भी मेरे दिल की क़यामत होती,
गर तेरे कूचे की मिट्टी से बनाया जाता” 
..... दाग़ देहलवी..... 

“मेरे ज़ख़्मों प’ छिड़क कर वो नमक कहते हैं,
वो था तलवार का जौहर ये है जौहर अपना”..... जलील मानिकपुरी 

सियहकारी से जी भरता नहीं पर शर्म आती है,
कहाँ तक बोझ रखिए कातिब ए आमाल के सर पर”..... अमीर मीनाई..... 

सुन के वो हाल मेरा ग़ैर से फ़रमाते हैं,
आए हैं आप मुहब्बत का संदेसा ले कर।”
..... दाग देहलवी..... 

क़दम क़दम पे हवादिस ने रहनुमाई की 
रवाँ है जादा-ए-मंज़िल पे कारवान-ए-ख़याल..... याक़ूब उस्मानी..... 

हर तमन्ना दिल से रुख़्सत हो गई 
अब तो आ जा अब तो ख़ल्वत हो गई 
.. ख्वाजा अज़ीज़ - उल-हसनमज्ज़ूब.. 

All the desires have left my heart. 
Come now, it's privacy in the  part. 

है आदमी बजाए ख़ुद इक महशर-ए-ख़याल 
हम अंजुमन समझते हैं ख़ल्वत ही क्यूँ न हो..... मिर्ज़ा ग़ालिब..... 
 
हथेली से ठंडा धुआँ उठ रहा है 
यही ख़्वाब हर मर्तबा देखती हूँ.... 
..... फरीहा नक़वी..... 
 
 Cold smoke from hands is on the rise. 
This dream is seen every time on (demise) /as prize. 

हुए फूल ख़ुश्क चमन जला कहीं नाम को न तरी रही
यही अपने ज़ख़्म हरे रहे यही अपनी आँख भरी रही

Flowers dried out, garden was aflame, 
There was nothing wet even in name. 
Only my wounds remained green. 
Only my  eyes were wet, had sheen. 

दुश्मन के इरादे को करना है अगर ज़ाहिर 
तुम खेल वही खेलो अंदाज़ बदल डालो

If you want to show, what's the intent of foe?
Play game as before, change style to core. 

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