Monday, 5 December 2022

FARHAT EHSAAS.. GHAZAL..

ख़ुदा ख़ामोश बंदे बोलते हैं 

बड़े चुप हों तो बच्चे बोलते हैं 

सुनो सरगोशियाँ कुछ कह रही हैं 
Whispers
ज़बाँ-बंदी में ऐसे बोलते हैं 

मोहब्बत कैसे छत पर जाए छुप कर 

क़दम रखते ही ज़ीने बोलते हैं 

नशे में झूमने लगते हैं मा'नी 

तो लफ़्ज़ों में करिश्मे बोलते हैं 

ये हम ज़िंदों से मुमकिन ही नहीं है 

जो कुछ मुर्दों से मुर्दे बोलते हैं 

हम इंसानों को आता है बस इक शोर 

तरन्नुम में परिंदे बोलते हैं 

ख़मोशी सुनती है जब अपनी आवाज़ 

तो सीनों में दफ़ीने बोलते हैं buried 

मैं पैग़मबर नहीं हूँ फिर भी मुझ में 

कई गुम-सुम सहीफ़े बोलते हैं 
Revelatory books
यही है वक़्त बोलो 'फ़रहत-एहसास' 

कि हर जानिब कमीने बोलते हैंmean 

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