किनारे से कभी अंदाज़ा-ए-तूफ़ाँ नहीं होता..... जगन्नाथ आज़ाद.....
Those who watch the storm, from the shore as a norm.
They can never guess,
or gale force assess.
ऐ मौज-ए-बला उन को भी ज़रा दो चार थपेड़े हल्के से
कुछ लोग अभी तक साहिल से तूफ़ाँ का नज़ारा करते हैं..... जज़्बी.....
O calamitous waves ! A few shoves to the naives.
Still some people on shore,
get a view of storm on roar.
बचा लिया मुझे तूफ़ाँ की मौज ने वर्ना
किनारे वाले सफ़ीना मिरा डुबो देते
..... मजरूह सुल्तानपुरी.....
By the stormy wave, I got a close save.
Or else people on the shore, 'd sink my boat to core.
एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तो
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो
...... राहत इन्दौरी.....
These are two sides of the same river, friends.
With life as well as death, behave like friends.
कश्तियाँ सब की किनारे पे पहुँच जाती हैं
नाख़ुदा जिन का नहीं उन का ख़ुदा होता है..... अमीर मीनाई.....
Boat of everyone reaches the shore.
In absence of boatsman, God holds oar.
भँवर से लड़ो तुंद लहरों से उलझो
कहाँ तक चलोगे किनारे किनारे
..... रज़ा हमदानी.....
Fight whorl, get involved with strong waves.
How long will you be on shore's close saves.
शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है
जिस डाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती है
..... बशीर बद्र.....
The pinnacle of fame, is a moment 's show game.
The branch on which you sit, can shatter in a little bit.
आईना क्यूँ न दें कि तमाशा कहें जिसे
ऐसा कहाँ से लाऊँ कि तुझ सा कहें जिसे
..... मिर्ज़ा ग़ालिब.....
Why not give a mirror and call the show.
Where from will I get one like you to go?
बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे
होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मिरे आगे
..... मिर्ज़ा ग़ालिब.....
The world is a children 's playground before me.
Day 'n night the spectacle is found before me.
एक मुद्दत से मिरी माँ नहीं सोई 'ताबिश'
मैं ने इक बार कहा था मुझे डर लगता है
..... अहसान ताबिश.....
' Taabish' ! Since long, my mom didn't get sleep.
I had said just once, I am afraid and can weep.
मुद्दत के बा'द उस ने जो की लुत्फ़ की निगाह
जी ख़ुश तो हो गया मगर आँसू निकल पड़े..... कैफ़ी आज़मी.....
A pleasant glimpse oblong, when passed after so long.
So pleased was the heart,
tears trickled on my part.
कोई नाम-ओ-निशाँ पूछे तो ऐ क़ासिद बता देना
तख़ल्लुस 'दाग़' है वो आशिक़ों के दिल में रहते हैं..... दाग़ देहलवी.....
If one asks my name and site,O envoy! You so alight.
'Daagh' is my pen name, on lover's heart is my claim.
आती है बात बात मुझे बार बार याद
कहता हूँ दौड़ दौड़ के क़ासिद से राह में
...... दाग़ देहलवी.....
I recollect times and again, what I wanted to say as main.
I run and tell the envoy, messages on way to the coy.
क़ासिद के आते आते ख़त इक और लिख रखूँ
मैं जानता हूँ जो वो लिखेंगे जवाब में
..... मिर्ज़ा ग़ालिब.....
Before messanger comes back, one more letter on the track.
I have knowledge sound, what
will be as answer found?
ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में
एक पुराना ख़त खोला अनजाने में
..... गुलज़ार.....
Fragrant people were met with in the tale/on trail.
Unknowingly, I had opened old mail.
क्या जाने क्या लिखा था उसे इज़्तिराब में
क़ासिद की लाश आई है ख़त के जवाब में..... मोमिन ख़ान मोमिन.....
I know not what was written to her in time dis-eased
Sent as an answer to letter was messanger deceased.
उन्हें अपने दिल की ख़बरें मिरे दिल से मिल रही हैं
मैं जो उन से रूठ जाऊँ तो पयाम तक न पहुँचे .... शकील बदायूनी.....
She is getting messages of her heart, as conveyed by my heart
If I get angry with her from now on, no message would have gone.
क़ासिद नहीं ये काम तिरा अपनी राह ले
उस का पयाम दिल के सिवा कौन ला सके..... ख़्वाजा मीर दर्द.....
O envoy it's not your job, go your own way O snob!
Her message but for heart,
who can from her impart?
वादा नहीं पयाम नहीं गुफ़्तुगू नहीं
हैरत है ऐ ख़ुदा मुझे क्यूँ इंतिज़ार है
..... लाला माधव राम जौहर.....
Neither promise nor message, not a talk in the passage.
It surprises me O Lord! Why I wait on self accord?
एक मुद्दत से न क़ासिद है न ख़त है न पयाम
अपने वादे को तो कर याद मुझे याद न कर..... जलाल मानिकपुरी.....
No envoy no letter, no message, what's the matter?
Remember promise of your own, if to me you disown.
रिहा कर दे क़फ़स की क़ैद से घायल परिंदे को
किसी के दर्द को इस दिल में कितने साल पालेगा..... एतबार साजिद.....
Release the wounded bird from confines of jail absurd.
How long will you sustain, in your heart someone 's pain?
नहीं इस खुली फ़ज़ा में कोई गोशा-ए-फ़राग़त
ये जहाँ अजब जहाँ है न क़फ़स न आशियाना..... अल्लामा इक़बाल.....
In this open atmosphere, no place for leisure is there.
This world is a strange place, neither jail nor garden to trace.
बुलबुल को बाग़बाँ से न सय्याद से गिला
क़िस्मत में क़ैद लिक्खी थी फ़स्ल-ए-बहार में..... बहादुर शाह ज़फ़र.....
Neither with gardener nor hunter laments nightingale.
In this spring time, it was destined to be in jail !
ज़ब्त करता हूँ तो घुटता है क़फ़स में मिरा दम
आह करता हूँ तो सय्याद ख़फ़ा होता है
..... क़मर जलालवी.....
If I try to tolerate, prison will suffocate.
And if I utter a sigh, huntsman asks why?
गए दिनों का सुराग़ ले कर किधर से आया किधर गया वो
अजीब मानूस अजनबी था मुझे तो हैरान कर गया वो ..... नासिर काज़मी.....
Finding traces of gone by days, where from he came and left which ways?
Strange, so used that stranger was, he left me surprised with no cause.
मानूस हो चला था तसल्ली से हाल-ए-दिल
फिर तू ने याद आ के ब-दस्तूर कर दिया
..... हसरत मोहानी.....
So used to solace had been state of heart.
Your memory came and set back each part.
इतना मानूस हूँ सन्नाटे से
कोई बोले तो बुरा लगता है
..... अहमद नदीम क़ासमी.....
So well versed am I with the silence.
Anyone' s voice makes me tense.
आशियाँ लुट गया गुलिस्ताँ जल गया अब क़फ़स से निकल कर किधर जाएँगे
इतने मानूस सैयाद से हो गए अब रिहाई मिलेगी तो मर जाएँगे
..... राज़ इलाहाबादी.....
Garden was on fire, looted home entire, now out of jail, where will be the trail?
With captivator now I am so much used, if set outside, life will be refused.
बस एक शाम का हर शाम इंतजार रहा
मगर वो शाम किसी शाम भी नहीं आई
..... अजमल सिराज.....
Only for an evening did I wait.
But that eve' wasn't in my fate.
इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश 'ग़ालिब'
जो लगाए न लगे और बुझाए न बने
Love isn't under control, Ghalib this passion is on roll.
Neither can you set it on, nor can you let it be gone.
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