Thursday, 22 December 2022

REKHTA.. TODAY'S 5 +19 COUPLETS

चराग़ घर का हो महफ़िल का हो कि मंदिर का 
हवा के पास कोई मस्लहत नहीं होती 
..... वसीम बरेलवी.....

Lamp may be of gathering, temple or home,any kind. 
There's no business for the
 wind to have it in mind. 

इस आलम-ए-वीराँ में क्या अंजुमन-आराई 
दो रोज़ की महफ़िल है इक उम्र की तन्हाई..... सूफ़ी तबस्सुम..... 

This worldly desert and a group to throng! 
A meeting is of two days, alone life long. 

मोहब्बत करने वाले कम न होंगे 
तिरी महफ़िल में लेकिन हम न होंगे 
..... हफ़ीज़ होशियारपुरी..... 

Lovers won't be less in store.
In your group I will be no more. 

हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे 
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते 
..... राहत इन्दौरी..... 

Many travellers would have passed this way. 
Path stones could at least be swept away. 

मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी 
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी 
..... बशीर बद्र..... 

You are a traveller and me too. 
Again at a turn, we 'll meet too. 

आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा 
कश्ती के मुसाफ़िर ने समुंदर नहीं देखा 
..... बशीर बद्र.....

Stayed in eyes, didn't get into heart. 
 Boat traveller never saw sea apart. 

पाँव में लिपटी हुई है सब के ज़ंजीर-ए-अना
सब मुसाफ़िर हैं यहाँ लेकिन सफ़र में कौन है.....तौसीफ़ तबस्सुम..... 

Chain of ego is around all
 feet. 
All are travellers, who is on feet? 

ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा 
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा 
..... गुलज़ार..... 

This way, life was spent alone. 
With caravan, I travelled alone. 

अब जुदाई के सफ़र को मिरे आसान करो 
तुम मुझे ख़्वाब में आ कर न परेशान करो..... मुनव्वर राना..... 

Let my parting journey be at ease. 
Don't disturb me in dreams please. 

किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िल 
कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा 
..... अहमद फ़राज़..... 

Some found goal getting out of home. 
One like me, was life long on roam.

महरूमियों का अपनी न शिकवा हो क्यूँ हमें 
कुछ लोग पी के ही नहीं छलका के आए हैं..... रज़ा अमरोहवी..... 

Why on deprivation shouldn't I lament? 
Some not only drank, splashed content! 

इस महफ़िल-ए-कैफ़-ओ-मस्ती में इस अंजुमन-ए-इरफ़ानी में 
सब जाम-ब-कफ़ बैठे ही रहे हम पी भी गए छलका भी गए 
..... असरार - उल-हक़ मजाज़..... 

In this assembly of joy, in this enlightened group ploy. 
Others sat with cups in hand, I drank 'n overflowed grand. 

मैं ने अपनी ख़ुश्क आँखों से लहू छलका दिया 
इक समुंदर कह रहा था मुझ को पानी चाहिए..... राहत इन्दौरी..... 

I spilled blood from my dry eyes to it. 
Sea was asking from me for water, a bit. 

तिरी आरज़ू तिरी जुस्तुजू में भटक रहा था गली गली 
मिरी दास्ताँ तिरी ज़ुल्फ़ है जो बिखर बिखर के सँवर गई..... बशीर बद्र..... 

In your search and desire, lane roaming was on fire. 
My story is your tress, it got disheveled to redress. 

अपने सर इक बला तो लेनी थी 
मैं ने वो ज़ुल्फ़ अपने सर ली है 
..... जौन एलिया..... 

One calamity was to be on the head. 
I took her meeting with me, instead. 

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक 
कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक..... मिर्ज़ा ग़ालिब..... 

An age is needed to get effect of sigh. 
Who lives till meeting you is on a high. 

चूम लेती हैं कभी लब कभी आरिज़-ए-गुल
तूने ज़ुल्फ़ों को बहुत सर पे चढ़ा रक्खा है 

They kiss flowery cheeks, with lips they lock. 
Your tresses are really nasty, heady stock. 

उस ज़ुल्फ़ की तौसीफ़ बताई नहीं जाती
इक लंबी कहानी है सुनाई नहीं जाती 
..... जिगर जालंधरी..... 

Her tress has such a lot to 
 admire
You can't recite this  tale, entire. 

ऐ सालिक इंतिज़ार-ए-हज में क्या तू हक्का-बक्का है 
बगूले सा तो कर ले तौफ़ दिल पहलू में मक्का है..... वली उज़लत..... 

Awaiting haj, 'n confounded O traveller on your part? 
Perambulate as an air whorl, Mecca is aside heart. 

ये साबित है कि मुतलक़ का तअय्युन हो नहीं सकता 
वो सालिक ही नहीं जो चल के ता-दैर-ओ-हरम ठहरे..... हबीब मूसवी

It's proved that no one can
 ever fix the absolute.
O soofi ! Way to mosque 'n temple isn't resolute.

सालिक है गरचे सैर-ए-मक़ामात-ए-दिल-फ़रेब 
जो रुक गए यहाँ वो मक़ाम-ए-ख़तर में हैं 
..... पंडित जवाहर नाथ साक़ी..... 

O soofi ! Though journey of places is full of deceit. 
Those who stay here may
 well  face goal defeat. 

मैं सहरा जा के क़ब्र-ए-हज़रत-ए-मजनूँ को देखा था 
ज़ियारत करते थे आहू बगूला तौफ़ करता था..... वली उज़लत..... 

I had been to desert, visited Majnu's tomb dear. 
Perambulating were storms, 
 devotees were deer. 

नश्शा-ए-रंग से है वाशुद-ए-गुल 
मस्त कब बंद-ए-क़बा बाँधते हैं
..... मिर्ज़ा ग़ालिब..... 

Intoxicating colours make buds undress. 
When do the lunatics tie knots of dress? 

इन्हीं पत्थरों पे चल कर अगर आ सको तो आओ
मेरे घर के रास्ते में कोई कहकशां नहीं है 

Walk over these stones, if you can O cute! 
There's no milky-way  in my home route. 
















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