कि ये आँसू बहाने की भी तो मोहलत नहीं देते..... वसीम बरेलवी.....
With calamities so constant,
I have only this to lament.
Even for the tears to be shed,
these don't give time instead.
ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते
जो आज तो होते हैं मगर कल नहीं होते
..... अहमद फ़राज़.....
All the dreams as such, don't constantly touch.
Theose which are seen today, tomorrow lose sheen on way.
इस क़दर मुसलसल थीं शिद्दतें जुदाई की
आज पहली बार उस से मैं ने बेवफ़ाई की
अहमद फ़राज़
So persistent and this way,
were troubles of parting day.
Today to her first time, I was faithless not caring a dime.
जो लोग गुज़रते हैं मुसलसल रह-ए-दिल से
दिन ईद का उन को हो मुबारक तह-ए-दिल से
Those who constantly pass, through road to heart cross.
For day of Eid on their part,
I greet from bottom of heart.
उस से मिलना तो उसे ईद-मुबारक कहना
ये भी कहना कि मिरी ईद मुबारक कर दे
..... दिलावर अली आज़र.....
If her you happen to meet,
pass her my Eid greet.
Greet me Eid this way,
meet and make my day.
ये बे-ख़ुदी ये लबों की हँसी मुबारक हो
तुम्हें ये सालगिरह की ख़ुशी मुबारक हो
..... अज्ञात.....
A mindless smile as lips meet.
To you, happy anniversary greet
हसीन चेहरे की ताबिंदगी मुबारक हो
तुझे ये साल-गिरह की ख़ुशी मुबारक हो
अज्ञात
Fresh, lovely face is worth a meet.
To you, happy anniversary greet.
हम हुए तुम हुए कि 'मीर' हुए
उस की ज़ुल्फ़ों के सब असीर हुए
..... मीर तक़ी मीर.....
It's to 'Mir', I or you address.
All are captives of her tress.
आख़िर को रूह तोड़ ही देगी हिसार-ए-जिस्म
कब तक असीर ख़ुशबू रहेगी गुलाब में
..... आनिस मुईन
Finally, soul would break body close bonds.
How long fragrance can be in rose bonds?
ऐ जुनूँ फिर मिरे सर पर वही शामत आई
फिर फँसा ज़ुल्फ़ों में दिल फिर वही आफ़त आई..... आसी ग़ाज़ीपुरी.....
O frenzy it's once again, same calamity on head terrain.
Heart is entangled in tress, same trouble I need address.
छेड़ती हैं कभी लब को कभी रुख़्सारों को
तुम ने ज़ुल्फ़ों को बहुत सर पे चढ़ा रक्खा है..... ग़ौस ख़ाह मख़ाह हैदराबादी.....
At times it teases lips,
gives cheeks lovely tips.
Tress transgresses instead, you have put it on the head.
जब यार ने उठा कर ज़ुल्फ़ों के बाल बाँधे
तब मैं ने अपने दिल में लाखों ख़याल बाँधे..... मोहम्मद रफ़ी सौदा.....
When it was tress that my love, lifted and tied in knot above.
Then me too on my part,
set lacs of thoughts in heart.
बहुत मुश्किल है दुनिया का सँवरना
तिरी ज़ुल्फ़ों का पेच-ओ-ख़म नहीं है
..... असरार-उल-हक़ मजाज़.....
World is so difficult to dress.
It isn't your disheveled tress.
और इस से पहले कि साबित हो जुर्म-ए-ख़ामोशी
हम अपनी राय का इज़हार करना चाहते हैं...... सलीम कौसर......
Before it's proved on fence,
that I am guilty of silence.
Me too wants to press,
have an opinion to express.
दोस्ती जब किसी से की जाए
दुश्मनों की भी राय ली जाए
..... राहत इन्दौरी.....
When ever you want to be friends.
An opinion of foes ammends.
राय पहले से बना ली तू ने
दिल में अब हम तिरे घर क्या करते
..... परवीन शाकिर.....
You have a ready made view from start.
Now how can I get set in your heart?
मेरी ग़ुर्बत को शराफ़त का अभी नाम न दे
वक़्त बदला तो तिरी राय बदल जाएगी
..... निदा फ़ाज़ली.....
Don't name my exile,
as decency for a while.
As and when times change, your view may have a new range.
ये ए'तिमाद भी मेरा दिया हुआ है तुम्हें
जो मेरे मशवरे बे-कार जाने लग गए हैं
..... अज़हर फ़राग़.....
Your confidence has been given by me.
Now that my suggestions,
you oversee.
वतन की फ़िक्र कर नादाँ मुसीबत आने वाली है
तिरी बर्बादियों के मशवरे हैं आसमानों में
..... अल्लामा इक़बाल.....
Care about nation O innocent ! Still the trouble is nascent.
Opinion to ruin you,
is within high sky's view.
कौन सा जुर्म ख़ुदा जाने हुआ है साबित
मशवरे करता है मुंसिफ़ जो गुनहगार के साथ..... सलीम सिद्दीक़ी.....
Which crime God only knows, that this approval bestows.
That judge and the convict, seek opinions for verdict.
मैं जुर्म का ए'तिराफ़ कर के
कुछ और है जो छुपा गया हूँ
..... जौन एलिया.....
About the crime, I did endorse.
Concealed something of course.
जुर्म में हम कमी करें भी तो क्यूँ
तुम सज़ा भी तो कम नहीं करते
..... जौन एलिया.....
Why should I reduce the crime?
Sentence! You don't cut a
dime.
ज़िंदगी से बड़ी सज़ा ही नहीं
और क्या जुर्म है पता ही नहीं
..... कृष्ण बिहारी नूर.....
Bigger than the life, there's no sentence.
And you don't even know the offence.
आप ही की है अदालत आप ही मुंसिफ़ भी हैं
ये तो कहिए आप के ऐब-ओ-हुनर देखेगा कौन..... मंज़र भोपाली.....
This court is just your's,
you are judge of course.
Who can seek advice?
About your virtue 'n vice!
मुन्सिफ़ हो अगर तुम तो कब इंसाफ़ करोगे
मुजरिम हैं अगर हम तो सज़ा क्यूँ नहीं देते..... अहमद फ़राज़.....
When you have to decide,
how can you judge my side?
Why don't you penalize?
If my crime is that size !
मेरा क़ातिल ही मेरा मुंसिफ़ है
क्या मिरे हक़ में फ़ैसला देगा
..... सुदर्शन फ़ाकिर.....
My murderer is my judge.
In my favour will he fudge?
वो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन
उसे इक ख़ूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा..... साहिर लुधियानवी.....
A tale that can't be lead,
to a conclusion, instead.
Give it a lovely twist
and leave it in midst.
हथेली से ठंडा धुआँ उठ रहा है
यही ख़्वाब हर मर्तबा देखती हूँ
..... फरीहा नक़्वी.....
Awaiting the union is a matter of plight.
So I dream about him each night.
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