Monday, 26 December 2022

REKHTA.. TODAY'S 5 +23 COUPLETS

कुछ नज़र आता नहीं उस के तसव्वुर के सिवा 
हसरत-ए-दीदार ने आँखों को अंधा कर दिया....हैदर अली आतिश .....

Nothing but her comes in view,
when she's in mental review. 
Longing to see her in kind, 
has turned my eyes blind. 

अजीब शय है तसव्वुर की कार-फ़रमाई
हज़ार महफ़िल-ए-रंगीं शरीक-ए-तन्हाई
..... पयाम फ़तेहपुरी..... 

Imagination is so strange, 
it brings within it's range. 
From the solitude to share, to thousand colour groups there. 

एक चेहरा है जो आँखों में बसा रहता है 
इक तसव्वुर है जो तन्हा नहीं होने देता 
..... जावेद नसीमी..... 

Well, there is a face, 
with eyes as it's base. 
In mind is her thought zone, 
which never leaves me alone. 

उन का ग़म उन का तसव्वुर उन की याद 
कट रही है ज़िंदगी आराम से 
..... महशर इनायती..... 

Her grief, memory and thought.
An ease to life, it has brought. 

कितना है बद-नसीब 'ज़फ़र' दफ़्न के लिए 
दो गज़ ज़मीन भी न मिली कू-ए-यार में 
..... बहादुर शाह ज़फ़र..... 

How ill-fated is 'Zafar' that for the burial of his remains?
Couldn't find two yards of space within the lover's lanes. 

कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता 
कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता 
..... निदा फ़ाज़ली .....

None ever gets the whole universe. 
Either land or sky is always adverse. 

जब मैं चलूँ तो साया भी अपना न साथ दे 
जब तुम चलो ज़मीन चले आसमाँ चले 
..... जलील मानिकपुरी..... 

Not even my shadow comes along, when I move.
 Even  the earth and sky, your motions approve. 


नई ज़मीन नयाआसमाँ नई दुनिया 
अजीब शय ये तसव्वुर ख़याल होता है
..... यगाना चंगेज़ी ..... 

A new world, new earth and new sky appear. 
Imagination is a strange thing that can steer


करूँगा क्या जो मोहब्बत में हो गया नाकाम 
मुझे तो और कोई काम भी नहीं आता 
..... ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर..... 

What 'll I do, if in love, I fail?
No other job can I ever avail. 

जादू है या तिलिस्म तुम्हारी ज़बान में 
तुम झूट कह रहे थे मुझे ए'तिबार था 
..... बेख़ुद देहलवी..... 

I believed you, even knowing that it was a lie. 
It's a miracle or magic, when you speak high. 

ये क्या तिलिस्म है क्यूँ रात भर सिसकता हूँ 
वो कौन है जो दियों में जला रहा है मुझे 
..... साक़ी फ़ारूक़ी..... 

What's this magic that I swoon whole night? 
Who is burning me in the lamps for light? 

हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन 
दिल के ख़ुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है..... मिर्ज़ा ग़ालिब..... 

Facts of heaven though, 
I just very  well know. 
To appease the heart,
 'Ghalib'! Move is smart. 

चला था ज़िक्र ज़माने की बेवफ़ाई का 
सो आ गया है तुम्हारा ख़याल वैसे ही 
..... अहमद फ़राज़..... 

About the faith loss, 
world was on a toss. 
For nothing, your name, appeared in the frame. 

आईने में वो देख रहे थे बहार-ए-हुस्न 
आया मिरा ख़याल तो शर्मा के रह गए 
..... हसरत मोहानी..... 

In mirror was looking that cutie, 
 On spring of her own beauty! 
When I got in her mind, 
she felt shy of a kind

कभी सहर तो कभी शाम ले गया मुझसे
तुम्हारा दर्द कई काम ले गया मुझसे
..... फ़रहत अब्बास शाह.....

At times did dawn it book,
 at times, the eve' it took. 
In many ways your grief, 
has used me in her fief. 

शब-ए-इंतिज़ार की कश्मकश में न पूछ कैसे सहर हुई 
कभी इक चराग़ जला दिया कभी इक चराग़ बुझा दिया 
..... मजरूह सुल्तानपुरी..... 

In the tussle of waiting night, don't ask how was dawn light? 
At times, a lamp was lit on,
at times a lamp was blown. 

ज़बाँ ज़बाँ पे शोर था कि रात ख़त्म हो गई 
यहाँ सहर की आस में हयात ख़त्म हो गई..... महताब ज़फ़र..... 

On every tongue was the noise, that night had lost it's poise. 
Here in the hope of dawn, 
my whole life has gone. 

कब ठहरेगा दर्द ऐ दिल कब रात बसर होगी 
सुनते थे वो आएँगे सुनते थे सहर होगी 
..... फ़ैज़ अहमद फ़ैज़..... 

O heart! When will pain stay? When will night end it's sway? 
It's heard that she 'd emerge,  that dawn was on it's verge. 

शाम से आँख में नमी सी है 
आज फिर आप की कमी सी है 
.....गुलज़ार .....

Eyes are a little moist since eve'. 
Today, your absence I reperceive. 

दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है 
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है 
..... फ़ैज़ अहमद फ़ैज़..... 

Hopeless isn't the heart, 
just useless on it's part. 
Long is the grief's eve', 
but still it's just an eve'! 

मुझे अब तुम से डर लगने लगा है 
तुम्हें मुझ से मोहब्बत हो गई क्या 
..... जौन एलिया..... 

Now I am afraid of you. 
Did I fall in love too ? 

दिल को तिरी चाहत पे भरोसा भी बहुत है 
और तुझ से बिछड़ जाने का डर भी नहीं जाता..... अहमद फ़राज़..... 

Your liking in this heart, 
is so confident a part. 
And the fear of losing you,
 always appears to be due. 

यही मिलने का समय भी है बिछड़ने का भी
मुझको लगता है बहुत अपने से डर शाम के बाद..... कृष्ण बिहारी नूर..... 

This is the time to meet, 
also to depart as a feat. 
With the self I am so afraid, 
when fairwell, eve' has bade. 

ये दाग़ दाग़ उजाला ये शब-गज़ीदा सहर 
वो इंतिज़ार था जिस का ये वो सहर तो नहीं..... फ़ैज़ अहमद फ़ैज़..... 

Bearing marks of chains is this light, 
this dawn being  hurt by night. 
What we had been waiting for, that dawn hadn't arrived so far. 

ये दश्त वो है जहाँ रास्ता नहीं मिलता 
अभी से लौट चलो घर अभी उजाला है 
..... अख़्तर सईद ख़ान..... 

This desert is such to say, where you don't find a way. 
From now on just get back,
 to home lighted is the track. 

अंधेरों को निकाला जा रहा है 
मगर घर से उजाला जा रहा है 
..... फ़ना निज़ामी कानपुरी..... 

Darkness is being told to take leave. 
But from home, light's going to leave. 

दिल की दहलीज़ पे जो शाम का साया उतरा
उफ़क़-ए-दर्द से सीने में उजाला उतरा
..... हसन आबिदी..... 

On the heart's foot strip, when  shade of eve' had a grip. 
From the horizon of pain, descended light to remain. 

दिल मुब्तला-ए-हिज्र रिफ़ाक़त में रह गया 
लगता है कोई फ़र्क़ मोहब्बत में रह गया 
..... नदीम भाभा..... 

So engrossed in depart, 
with you was the heart.
 May be a gap was there, 
in our love somewhere. 











No comments:

Post a Comment