न जाने किस गली में ज़िन्दगी की शाम हो जाए..... बशीर बद्र......
Let the glow of your memories be ever with me.
Who knows, which lane marks the eve' of life?
दिल ना-उम्मीद तो नहीं नाकाम ही तो है
लंबी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है
..... फ़ैज़ अहमद फ़ैज़.....
Hopeless isn't the heart,
just useless on it's part.
Though long is grief eve',
but it is still an eve !
चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है
हम को अब तक आशिक़ी का वो ज़माना याद है..... हसरत मोहानी .....
Silently whole day and night, shedding tears in memory plight.
I remember it even now,
period of love every how.
वो कोई दोस्त था अगले दिनों का
जो पिछली रात से याद आ रहा है
..... नासिर काज़मी.....
He was a good friend of old times.
Night's gone yet memory bell chimes.
जी ढूँडता है फिर वही फ़ुर्सत के रात दिन
बैठे रहें तसव्वुर-ए-जानाँ किए हुए
..... मिर्ज़ा ग़ालिब.....
Still in search is the heart,
day 'n night of rest on it's part.
Imagining about sweetheart, sitting out from the start.
चश्म पुर-नम ज़ुल्फ़ आशुफ़्ता निगाहें बे-क़रार
इस पशीमानी के सदक़े मैं पशीमाँ हो गया ..... जिगर मुरादाबादी.....
Teary eyes in distress, distressed is the tress.
Your reprisal in remorse,
I am repentant of course.
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