पाँव तो अपनी जगह हैं रास्ते अपनी जगह..... इफ़्तिख़ार इमाम सिद्दीक़ी....
Life and distances are in a race.
Feet and paths are there in place.
हम जो पहुँचे तो रहगुज़र ही न थी
तुम जो आए तो मंज़िलें लाए
..... ज़ेहरा निगाह.....
When I came even path wasn't there.
With you , even the goals came there.
हम अगर मंज़िलें न बन पाए
मंज़िलों तक का रास्ता हो जाएँ
.....अहमद फ़राज़.....
If I can not be a goal.
Let me be path to goal.
मंज़िलें न भूलेंगे राह-रौ भटकने से
शौक़ को तअल्लुक़ ही कब है पाँव थकने से..... अदीब सहारनपुरी .....
The travellers won't forget by roaming, the goal.
Deep longing 'n exhaustion have in it no role.
तुम ज़माने की राह से आए
वर्ना सीधा था रास्ता दिल का
..... बाक़ी सिद्दीक़ी.....
You had followed the world route.
Way to heart was straight O cute.
कोशिश भी कर उमीद भी रख रास्ता भी चुन
फिर इस के ब'अद थोड़ा मुक़द्दर तलाश कर..... निदा फ़ाज़ली.....
Make attempts, have hope and choose your way mate.
It's after doing all these, you search for the fate.
रास्ता सोचते रहने से किधर बनता है
सर में सौदा हो तो दीवार में दर बनता है
..... जलील आली.....
By thinking alone, you don't go ahead.
There's door through wall for frenzied head.
ज़ाहिद शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर
या वो जगह बता दे जहाँ पर ख़ुदा न हो
..... अज्ञात.....
O preacher let me sit in mosque and drink.
Or tell where God isn't
there, just think.
गिला भी तुझ से बहुत है मगर मोहब्बत भी
वो बात अपनी जगह है ये बात अपनी जगह..... नासिर सुल्तान काज़मी.....
There are a lot of complaints and love too.
Both things stand on their own with you.
बुरी सरिश्त न बदली जगह बदलने से
चमन में आ के भी काँटा गुलाब हो न सका..... आरज़ू लखनवी.....
Bad quality didn't change with change of site.
Even in garden, thorn couldn't be rose, right.
तहरीर से वर्ना मिरी क्या हो नहीं सकता
इक तू है जो लफ़्ज़ों में अदा हो नहीं सकता..... वसीम बरेलवी.....
By my writing, what can not be done.
It's you who in words, is left undone.
आँख रखते हो तो उस आँख की तहरीर पढ़ो
मुँह से इक़रार न करना तो है आदत उस की..... शहज़ाद अहमद.....
Read her eyes, if eyes you really possess.
Not saying yes, is her habit to impress.
ख़ुद ग़लत है जो कहे होती है तक़दीर ग़लत
कहीं क़िस्मत की भी हो सकती है तहरीर ग़लत..... इमाम बख़्श नासिख़.....
He is wrong, who talks about wrong fate.
How can be wrong, the writing of fate.
वरक़ वरक़ तुझे तहरीर करता रहता हूँ
मैं ज़िन्दगी तिरी तशहीर करता रहता हूँ
..... रईसुद्दीन रईस.....
I keep writing you page after page.
I make public your life at each stage.
इस उम्मीद पे रोज़ चराग़ जलाते हैं
आने वाले बरसों ब'अद भी आते हैं
..... ज़ेहरा निगाह.....
I keep alit lamps daily with the hope.
Return after years is always a scope.
कम से कम मौत से ऐसी मुझे उम्मीद नहीं
ज़िंदगी तू ने तो धोके पे दिया है धोका
..... फ़िराक़ गोरखपुरी.....
With death, I don't have such a hope.
O life with your deceits I can't cope.
अब तो इस राह से वो शख़्स गुज़रता भी नहीं
अब किस उम्मीद पे दरवाज़े से झाँके कोई..... परवीन शाकिर.....
That man doesn't even this route tread.
With what hope should one poke her head?
किसी से फिर मैं क्या उम्मीद रक्खूँ
मिरी उम्मीद तो यारब तू ही है
..... नादिर शाहजहांपुरी.....
From anyone how can I have hope?
O God ! It's only you, I can lay hope.
दिल दे तो इस मिज़ाज का परवरदिगार दे
जो रंज की घड़ी भी ख़ुशी से गुज़ार दे
..... दाग़ देहलवी.....
O God, this type of heart you accord.
Which can grief pleasantly discard.
हाँ ठीक है मैं अपनी अना का मरीज़ हूँ
आख़िर मिरे मिज़ाज में क्यूँ दख़्ल दे कोई
..... जौन एलिया.....
I am a patient of my own ego, it's true.
Why let others disturb in my mood too?
कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से
ये नए मिज़ाज का शहर है ज़रा फ़ासले से मिला करो...... बशीर बद्र.....
None 'll even shake hands if you embrace in heat.
It's a city of new mood, keep distance when you meet.
पहले इस में इक अदा थी नाज़ था अंदाज़ था
रूठना अब तो तिरी आदत में शामिल हो गया..... आग़ा शायर क़ज़लबाश.....
Earlier there was in it a coquettish style.
Getting angry is now your
habit since awhile.
हम तो तमाम उम्र तिरी ही अदा रहे
ये क्या हुआ कि फिर भी हमीं बेवफ़ा रहे
..... जमील मलिक.....
Life long I have been a copy of your own.
How is it that now to me, you disown.
हया से सर झुका लेना अदा से मुस्कुरा देना
हसीनों को भी कितना सहल है बिजली गिरा देना..... अकबर इलाहाबादी.....
Headbent, feeling shy, smile with style.
How easy is for damsels to execute in a while.
बदलते वक़्त ने बदले मिज़ाज भी कैसे
तिरी अदा भी गई मेरा बाँकपन भी गया
..... फ़हीम शनारा काज़मी.....
With changing times, there was change in mood.
I lost my innocence, your style became crude.
बच्चे फ़रेब खा के चटाई पे सो गए
इक माँ उबालती रही पत्थर तमाम रात
..... अज्ञात.....
Being deceived, children slept on the mat.
Mother kept boiling stones just like that.
तिरे वा'दों पे कहाँ तक मिरा दिल फ़रेब खाए
कोई ऐसा कर बहाना मिरी आस टूट जाए..... फ़ानी निज़ाम कानपुरी.....
How far can my heart with your false promises cope?
Make such an excuse that can shatter my hope.
ऐ मुझ को फ़रेब देने वाले
मैं तुझ पे यक़ीन कर चुका हूँ
..... अतहर नफ़ीस.....
O you! Who can deceive me.
I believe you, believe me.
हर इक शिकस्त-ए-तमन्ना पे मुस्कुराते हैं
वो क्या करें जो मुसलसल फ़रेब खाते हैं
..... राज़ मुरादाबादी.....
Those who can smile, on shattered desires all the while.
What should they do, who are constantly deceived by you.
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