ज़ख़्म खाएँ हैं हम ने यारों से
..... साहिर होशियारपुरी.....
Why others, should I moan.
I have been hurt by my own.
ऐश के यार तो अग़्यार भी बन जाते हैं
दोस्त वो हैं जो बुरे वक़्त में काम आते हैं
..... अज्ञात.....
Even rivals join in times of pleasure.
Friends help in bad times, are a treasure.
अब किसी से भी शिकायत न रही
जाने किस किस से गिला था पहले
..... निदा फ़ाज़ली.....
Now I have complaint against none.
I had trouble with many under sun.
गिला भी तुझ से बहुत है मगर मोहब्बत भी
वो बात अपनी जगह है ये बात अपनी जगह..... साहिर लुधियानवी.....
I have complaints against you and love as well .
Both have their own regions in which to dwell.
अर्ज़-ए-अहवाल को गिला समझे
क्या कहा मैं ने आप क्या समझे
..... दाग़ देहलवी.....
I told about my state, you took it for complaint O mate.
I said something else, you considered something else.
दाग़ दुनिया ने दिए ज़ख़्म ज़माने से मिले
हम को तोहफ़े ये तुम्हें दोस्त बनाने से मिले..... कैफ़ भोपाली.....
World gave wounds, people gave scars.
Befriending you, I got these gifts as stars.
कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है
ज़िंदगी एक नज़्म लगती है
...... गुलज़ार.....
It looks like a silent wound.
Life is a poem well tuned.
तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं
किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं
..... फ़ैज़ अहमद फ़ैज़.....
As healing of your memory wounds start.
I remember you to make the wounds smart.
घर में ख़ुद को क़ैद तो मैं ने आज किया है
तब भी तन्हा था जब महफ़िल महफ़िल था मैं..... शारिक़ कैफ़ी
I have imprisoned myself today in home.
I was alone when in parties I 'd roam.
क़ुर्बतें होते हुए भी फ़ासलों में क़ैद हैं
कितनी आज़ादी से हम अपनी हदों में क़ैद हैं..... सलीम कौसर.....
Even when near, distances appear.
How free we are, within limits so far.
इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही
मेरी वहशत तिरी शोहरत ही सही
..... मिर्ज़ा ग़ालिब.....
If not loved, let bewildered me be.
My frenzy brings some fame to thee.
घर की वहशत से लरज़ता हूँ मगर जाने क्यूँ
शाम होती है तो घर जाने को जी चाहता है..... इफ़्तिख़ार आरिफ़.....
I tremble by bewildered home but don't know why?
As evening befalls, a desire to
go home joins sigh.
ज़िक्र-ए-शब-ए-फ़िराक़ से वहशत उसे भी थी
मेरी तरह किसी से मोहब्बत उसे भी थी
..... मोहसिन नक़्वी.....
Mention of parting night evoked frenzy in her too.
Like me, there was love for someone, in her too.
छुप जाएँ कहीं आ कि बहुत तेज़ है बारिश
ये मेरे तिरे जिस्म तो मिट्टी के बने हैं
..... सबा इकराम.....
The rain is strong, let's hide somewhere.
After all our bodies are just earthenware.
नहीं है ना-उमीद 'इक़बाल' अपनी किश्त-ए-वीराँ से
ज़रा नम हो तो ये मिट्टी बहुत ज़रख़ेज़ है साक़ी..... अल्लामा इक़बाल.....
'Iqbaal' isn't hopeless with his instalment of desert.
O wine girl, in this soil, plants spring with wet effort.
दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है
मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है..... निदा फ़ाज़ली.....
This world is just a magical toy, new.
It's dirt if had, gold with loss in view .
दिल के दो हिस्से जो कर डाले थे हुस्न-ओ-इश्क़ ने
एक सहरा बन गया और एक गुलशन हो गया..... नूह नारवी.....
Love and beauty split in two parts, the heart.
One was desert, other was garden from start.
हैरत से तकता है सहरा बारिश के नज़राने को
कितनी दूर से आई है ये रेत से हाथ मिलाने को..... सऊद उस्मानी.....
Desert stares with wonder at the gift of rain.
To shake hand with sand, it crossed lot of terrain.
मैं वो सहरा जिसे पानी की हवस ले डूबी
तू वो बादल जो कभी टूट के बरसा ही नहीं..... सुल्तान अख़्तर.....
I am that desert, drowned in water lust.
You are the cloud that didn't ever burst.
करता हूँ एक ख़्वाब के मुबहम नुक़ूश याद
जब से खुली है आँख इसी मश्ग़ले में हूँ
..... इब्राहिम होश.....
I remember imprints of a dream obscure.
That's what with opening
eyes I endure.
मुबहम थे सब नुक़ूश नक़ाबों की धुँद में
चेहरा इक और भी पस-ए-चेहरा ज़रूर था..... अकबर हैदराबादी.....
In the mist of veils, were obscure trails.
There must be a face,
behind that face.
बोलते रहते हैं नुक़ूश उस के
फिर भी वो शख़्स कम-सुख़न है बहुत
..... नुसरत ग्वालियरी.....
Her engravings have a lot to talk.
But that person has little to talk.
मेरे माथे पे उभर आते थे वहशत के नुक़ूश
मेरी मिट्टी किसी सहरा से उठाई गई थी
..... क़मर अब्बास क़मर.....
Engraving of frenzy appears on my forehead.
My soil was picked from the desert instead.
मिरे जुनूँ का नतीजा ज़रूर निकलेगा
इसी सियाह समुंदर से नूर निकलेगा
..... अमीर क़ज़लबाश.....
Essentially my frenzy will reap it's fruit.
From this dark sea, glow will be in pursuit.
बक रहा हूँ जुनूँ में क्या क्या कुछ
कुछ न समझे ख़ुदा करे कोई
..... मिर्ज़ा ग़ालिब.....
In frenzy, I chatter this and that.
O God! Let none get any of that.
क्या क्या हुआ है हम से जुनूँ में न पूछिए
उलझे कभी ज़मीं से कभी आसमाँ से हम
.....असरार - उल-हक़ मजाज़.....
What I did in frenzy, please don't enquire.
With earth and sky, I was
on fire.
हमारी राह से पत्थर उठा कर फेंक मत देना
लगी हैं ठोकरें तब जा के चलना सीख पाए हैं .... नफ़स अम्बालवी.....
From my path, these stones need not be thrown.
I have stumbled and learnt to walk on my own.
ऐ मोहतसिब न फेंक मिरे मोहतसिब न फेंक
ज़ालिम शराब है अरे ज़ालिम शराब है
..... जिगर मुरादाबादी....
O supervisor, my own, please don't throw away.
O oppressor! It's wine, it's wine all the way.
कुचल के फेंक दो आँखों में ख़्वाब जितने हैं
इसी सबब से हैं हम पर अज़ाब जितने हैं
..... जाँ निसार अख़्तर.....
Whatever dreams are in eyes, crush and throw these lies.
All calamities that I suffer, have dreams as a buffer.
मैं ने अपनी ख़ुश्क आँखों से लहू छलका दिया
इक समुंदर कह रहा था मुझ को पानी चाहिए..... राहत इन्दौरी.....
I splashed blood from my dry eyes.
An ocean was asking for water ties.
ख़ुश्क ख़ुश्क सी पलकें और सूख जाती हैं
मैं तिरी जुदाई में इस तरह भी रोता हूँ
..... अहमद राही.....
These dry eyelashes get drier still.
After parting, this way I cry to spill.
मोहब्बत में इक ऐसा वक़्त भी दिल पर गुज़रता है
कि आँसू ख़ुश्क हो जाते हैं तुग़्यानी नहीं जाती..... जिगर मुरादाबादी.....
There's a time in love when in your heart.
Eyes dry out but flow of tears
keep smart.
जुगनू को दिन के वक़्त परखने की ज़िद करें
बच्चे हमारे अहद के चालाक हो गए
..... परवीन शाकिर.....
Testing moth in daytime is what they need.
Children of our age are clever indeed.
ज़िद हर इक बात पर नहीं अच्छी
दोस्त की दोस्त मान लेते हैं
..... दाग़ देहलवी.....
It isn't good to be stubborn every time.
Friends agree with friends every time.
इधर फ़लक को है ज़िद बिजलियाँ गिराने की
उधर हमें भी है धुन आशियाँ बनाने की
..... अज्ञात.....
The skies are adamant, 'll throw electric sparks.
Me too is determined to make nests in parks.
फेंक दे ख़ुश्क फूल यादों के
ज़िद न कर तू भी बे-वफ़ा हो जा
..... तौक़ीर तक़ी.....
Memory flowers are dry, throw these away..
Don't be stubborn, be faithless on your way.
समझे हैं अहल-ए-शर्क़ को शायद क़रीब-ए-मर्ग
मग़रिब के यूँ हैं जमा ये ज़ाग़ ओ ज़ग़न तमाम..... हसरत मोहानी.....
May be they so think, people of east are on death brink.
Crows and kites of west, have gathered here to rest.
दिल धड़कने का सबब याद आया
वो तिरी याद थी अब याद आया
..... नासिर काज़मी.....
The purpose of heart throb, I now recollect.
It was your memory, I can surely connect.
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