Monday, 5 December 2022

SAHIR LUDHIANAVI.. GHAZAL..

मोहब्बत तर्क की मैं ने गरेबाँ सी लिया मैं ने 
ज़माने अब तो ख़ुश हो ज़हर ये भी पी लिया मैं ने 

I have left love and stitched torn robe. 
I have consumed poison, feel happy O globe! 

अभी ज़िंदा हूँ लेकिन सोचता रहता हूँ ख़ल्वत में 
कि अब तक किस तमन्ना के सहारे जी लिया मैं ने 

I am still alive but think in isolation. 
For which wish, have I lived this probe. 

उन्हें अपना नहीं सकता मगर इतना भी क्या कम है. 
कि कुछ मुद्दत हसीं ख़्वाबों में खो कर जी लिया मैं ने 

I can not seek her but isn't it enough. 
Lost in sweet dreams, I have lived to sob. 

बस अब तो दामन-ए-दिल छोड़ दो बेकार उम्मीदो 
बहुत दुख सह लिए मैं ने बहुत दिन जी लिया मैंने

Now leave hem of my heart O useless hopes!
I have suffered enough for  days on job. 

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