Wednesday, 21 December 2022

SHAHARYAAR.. GHAZAL.. DIL MEN RAKHTAA HAI NA PALKON PE BITHAATAA HAI MUJHE.....

दिल में रखता है न पलकों पे बिठाता है मुझे 
फिर भी इक शख़्स में क्या क्या नज़र आता है मुझे 

Neither in heart nor on eyes does he steer me. 
Even then in a person, what does appear, see. 

रात का वक़्त है सूरज है मिरा राह-नुमा 
देर से दूर से ये कौन बुलाता है मुझे 

It's night time and my guide is the sun. 
From far, very far, who is calling dear me. 

मेरी इन आँखों को ख़्वाबों से पशेमानी है 
नींद के नाम से जो हौल सा आता है मुझे 

These eyes of mine are ashamed of dreams. 
In the name of sleep,  fear is near me. 

तेरा मुंकिर नहीं ऐ वक़्त मगर देखना है 
बिछड़े लोगों से कहाँ कैसे मिलाता है मुझे 

I don't believe you O time, but want to see 
How, long lost people, can you bring near me? 

क़िस्सा-ए-दर्द में ये बात कहाँ से आई 
मैं बहुत हँसता हूँ जब कोई सुनाता है मुझे

Where from did it get into my grief lore?
I laugh when someone makes hear me. 

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