Saturday, 11 March 2023

AHMAD NADEEM PARVAAZI.. GHAZAL.. ZARAA ZARAA SI KAII KASHTIYAAN BANAA LENAA.....

ज़रा ज़रा सी कई कश्तियाँ बना लेना 
वो अब के आए तो बचपन रफ़ू करा लेना 

तमाज़तों में मिरे ग़म के साए में चलना 
अंधेरा हो तो मिरा हौसला जला लेना 

शुरूअ में मैं भी इसे रौशनी समझता था 
ये ज़िंदगी है इसे हाथ मत लगा लेना 

मैं कोई फ़र्द नहीं हूँ कि बोझ बन जाऊँ 
इक इश्तिहार हूँ दीवार पर लगा लेना 

रफ़ाक़तों का तवाज़ुन अगर बिगड़ जाए 
ख़मोशियों के तआवुन से घर चला लेना

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