Tuesday, 25 April 2023

BASHIR BADR.. GHAZAL.. SABHII SE IN DINON ROOTHAA HUA SA LAGTA HOON...

सभी से इन दिनों रूठा हुआ सा लगता हूँ
मैं अपने आप को अब बेवफ़ा सा लगता हूँ 

 Cut off from everyone these days I appear.
Even to my own self, I look disloyal,
 I fear.

तमाम रात मैं गिरती हुई हवेली में 
दिलों से निकली हुई बद-दुआ सा लगता हूँ

Whole night in a falling mansion it seems. 
I'm like a curse from hearts, that tear 

मैं वो ख़ज़ाना हूँ हक़दार जिस की दुनिया है
हज़ारों हिस्सों में बाँटा हुआ सा लगता हूँ 

I am that treasure whose owner is the world. 
Divided in thousands of parts so dear. 

मिरी तलाश ब-दस्तूर अब भी जारी है
वो मिल गया है मैं खोया हुआ सा लगता हूँ 

Systematically I'm still being searched. 
He has been found, I'm still lost from here. 

 मिरी हँसी से उदासी के फूल खिलते हैं 
मैं सब के साथ हूँ लेकिन जुदा सा लगता हूँ 

When I laugh, flowers of sottows bloom. 
I'm with everyone, with none appear near. 

चमक रहा था वो चेहरा किसी की आँखों में 
मैं आईने में कोई दूसरा सा लगता हूँ 

Shining was that face in someone''s eyes. 
In the mirror, like someone else I appear. 

तमाम रात बरसती है रेत पर शबनम
मैं अपने चाँद से जब भी ख़फ़ा सा लगता हूँ 

Whole night there's a shower of dew on sand. 
Whenever I am angry with my moon, my dear ! 

Monday, 24 April 2023

भक्त के वश में हैं भगवान..... रवि मौन

जिन की महिमा गाते गाते शत शारद थक जायँ। 
रोते हिचकी ले ले कर वे नैनन नीर बहायँ।
आज यशोदा क्रुद्ध हुई हैं दण्डित होंगे लाल। 
ऊखल के भी भाग्य जगे हैं साथ बँधे गोपाल। 
प्रेम की डोरी है पहचान। 
भक्त के वश में हैं भगवान।। 

Saturday, 22 April 2023

दुर्गा सप्तश्लोकी... हिन्दी रूपान्तरण... रवि मौन

शिव उवाच
देवि त्वं भक्तसुलभे सर्वकार्यविधायिनी। 
कलौही कार्यसिद्ध्यर्थमुपायं ब्रूहि यत्नतः।। 

शिवजी ने कहा
कर्मों का विधान करती हो, सर्वसुलभ हो देवी। 
कहें किस तरह कलियुग में, सम्पन्न कार्य हों देवी? ।।

देव्युवाच
शृणु देव प्रवक्ष्यामि कलौ सर्वेष्टसाधनम्।
मया तवैव स्नेहेनाप्यम्बास्तुतिःप्रकाश्यते ।।

देवी ने कहा
स्नेह बहुत मुझ पर है हे हर कलयुग में सब भाँत। 
कार्य सभी सम्पन्न करें जो अम्बास्तुति कहलात।।




ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हि सा। 
बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति।। १।।

बलपूर्वक हर लें उस चित को, जिस में छाया है अभिमान। 
दुःख दरिद्रता भय हर लें जो, कौन और हैं आप समान? ।१। 
दुर्गेस्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः
स्वस्थैस्मृता मतिमतीव शुभांददासि। 
दारिद्र्यदुःखहारिणि का त्वदन्या
सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता।। २।।

स्मरण करें जब नर तो, भय का आर्द्रचित्त हो करें निदान। 
दुःख दरिद्रता भय हर लें ,जो और कौन है. आप समान?।२। 

सर्वमङगलमङगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते।। ३।।

मंगलमयी शिवा नारायणि ,अर्थसिद्ध भी हर प्रकार है। 
शरणागत वत्सला त्रिनेत्री ,गौरी तुम को नमस्कार है।३। 

शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे। 
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोस्तु ते।। ४।।

माँ शरणागत पीड़ित की, रक्षा में जुटती हर प्रकार है। 
दूर करें पीड़ा सब की, नारायणि तुम को नमस्कार है।४। 

सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते। 
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोस्तु ते।। ५।।

सर्वस्वरूपा सर्वेश्वरी, शक्ति सम्पन्ना सब प्रकार है। 
सभी भयों से रक्षा कीजे, दुर्गा देवी नमस्कार है।५। 

रोगानशेषानपहंसि तुष्टा
रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्। 
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां
त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति।। ६।।

कुपित होंय तो रहें कामना ,हों प्रसन्न तो रोग निदान। 
शरण आपकी हो विपन्न ना ,करें और को शरण प्रदान।६। 

सर्वाबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि। 
एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरिविनाशनम्।। ७।।

तीन लोक की हे अखिलेश्वरि ! हर लें बाधा हरें विकार। 
कार्य करें सब मेरे देवी और वैरियों का संहार।७। 






Thursday, 20 April 2023

नमो नमस्तत्त्वविबोधकाय नमो नमस्तत्त्वविदुत्तमाय.....

नमो नमस्तत्त्वविबोधकाय नमो नमस्तत्त्वविदुत्तमाय।
नमो नमस्तेऽखिलकर्मसाक्षिणे नमो नमस्ते गणनायकाय।। 
श्रीगणेशपुराण उपासनाखण्ड श्लोक 49


तत्वज्ञों में सर्वश्रेष्ठ हैं तत्वबोध करवाने वाले। 
नमस्कार सब कर्मों के साक्षी हे सब गण के रखवाले।।

हिन्दी पद्यानुवाद..... रवि मौन..... 

अश्वत्थामा का ब्रह्मास्त्र विफल...... रवि मौन.....

पाण्डव कुल के नाश हेतु ब्रह्मास्त्र किया व्यवहार। 
हरि ने चक्र सुदर्शन से  ही व्यर्थ किया वह वार।। 

पाण्डव बचे देख कर क्रोधित हुआ बहुत गुरुपुत्र।
चला उत्तरा गर्भ पर, मरे अभिमन्यु का पुत्र।। 

सूक्ष्म रूप धर हरि ने रोका ब्रह्म अस्त्र का तेज।
 जन्म परीक्षित का हुआ, हरि ने रखा सहेज।। 

शाप दिया अश्वत्थामा को, मृत्यु रहेगी दूर।
तरसोगे मरने को, कष्ट मिलें तुम को भरपूर।। 

तुम ने तो यह चाहा दूँ गर्भस्थ जीव को मार। 
किसी भाँति भी यह नहीं वीरोचित व्यवहार।।

भ्रूणनष्ट हो इसे न प्रभु ने कहा उचित व्यवहार। 
क्या होगा उन का जो इन को रहे निरन्तर मार? 

Wednesday, 19 April 2023

नमो नमोऽभक्तविभूतिहन्त्रे नमो नमो भक्तविमोचनाय.....

नमो नमोऽभक्तविभूतिहन्त्रे नमो नमो भक्तविमोचनाय।
नमो नमोऽभक्तविबन्धनाय नमो नमस्ते प्रविभक्तमूर्ते।। 
श्रीगणेशपुराण उपासनाखण्ड श्लोक 48

अलग अलग रूपों में हैं प्रभु सब जीवों में व्याप्त। 
कृपा आप की है तो मानव सब कुछ करते प्राप्त।। 
नाश करें ऐश्वर्य अभक्त के भव बन्धन में डालें। 
औ' भक्तों को भवबन्धन से सहजहिं आप निकालें।।

हिन्दी पद्यानुवाद..... रवि मौन..... 

Tuesday, 18 April 2023

ये क्या जगह है दोस्तो ये कौन सा दयार है हद-ए-निगाह तक जहाँ ग़ुबार ही ग़ुबार है हर एक जिस्म रूह के अज़ाब से निढाल है हर एक आँख शबनमी हर एक दिल फ़िगार है हमें तो अपने दिल की धड़कनों पे भी यक़ीं नहीं ख़ोशा वो लोग जिन को दूसरों पे ए'तिबार है न जिस का नाम है कोई न जिस की शक्ल है कोई इक ऐसी शय का क्यूँ हमें अज़ल से इंतिज़ार है

नमो नमः कारुणिकोत्तमाय नमो नमो ज्ञानमयाय तेऽस्तु।.....

नमो नमः कारुणिकोत्तमाय नमो नमो ज्ञानमयाय तेऽस्तु ।
नमो नमोऽज्ञानविनाशनाय नमो नमो भक्तविभूतिदाय।।
श्रीगणेशपुराण उपासनाखण्ड श्लोक 47

नमस्कार उत्तम करुणाकर नमन आपका ज्ञानस्वरूप।
नमस्कार अज्ञानविनाशक दें ऐश्वर्य भक्त के भूप।।

हिन्दी पद्यानुवाद..... रवि मौन..... 

Monday, 17 April 2023

नमो नमो वागविचारभूत नमो नमो विघ्ननिवारणाय ।श्लोक 46

नमो नमो वागविचारभूत नमो नमो विघ्ननिवारणाय ।
नमो नमोऽभक्तमनोरथघ्न नमो नमो भक्तमनोरथज्ञ ।।
श्रीगणेशपुराण उपासनाखण्ड श्लोक 46

हे अव्यक्त मनोरथ स्वामी, विश्व विधान कार्य में दक्ष।
नमस्कार हे संकटनाशक, दैत्य विनाश कार्य में दक्ष।। 

Sunday, 16 April 2023

गुरु पर छात्र की कृपा..... रवि मौन.....


निर्धन माता पुत्र को लाई गुरु के पास। 
आप इसे शिक्षा देंगे यह है मुझको विश्वास।। 

पति मेरे गुरुभाई भी थे और आपके मित्र। 
जब हालत बिगड़ी तो बोले इसे पढ़ाए मित्र।। 

और किसी के पाठन पर मुझको विश्वास नहीं है। 
वही पढ़ाए समय अधिक अब मेरे पास नहीं है।। 

तब तक तुम श्री कृष्णचंद्र की प्रतिदिन कथा सुनाओ। 
जागे हरि में प्रीत भागवत गा कर इसे सुनाओ।। 

बालक के घर से गुरु जी का घर था लेकिन दूर। 
जंगल रस्ते में घना पर माँ थी मजबूर।। 

माधव को तू याद कर वो दे देंगे साथ।
वही सहारा हैं जो आएँ सदा प्रेम के हाथ।। 

बालक ने जंगल में जाकर एक गुहार लगाई। 
हमको साथ खेलना है अब आ भी जाओ भाई।। 

प्रतिदिन माधव लेकर उसको आते गुरु के द्वार। 
बड़े प्रेम से बालक तकता उनको जाती बार।। 

कल गुरु के घर श्राद्ध है सब लाएँगे भेंट।
 मेरे भी मन में है मैं भी दूँ उन को कुछ भेंट।। 

माधव बोले मैं तुझ को भी दे दूँगा एक पात्र। 
उसमें होगा दही वही दे  देगा उनका छात्र।। 

गुरु के घर में चहल पहल थी रखे सभी उपहार। 
इक बर्तन में उलटो फिर तुम करो अतिथि सत्कार।। 

भर  गए बर्तन सारे पर नहीं रिक्त हुआ वह पात्र।
इसी पात्र से आज परोसो तुम सबको दधि छात्र।। 

जो खाए सो फिर फिर माँगे दधि का ऐसा स्वाद। 
बोले सारे, हमें रहेगा सदा दही यह याद।। 

गुरु ने भी खाया तो वे भी हो गए आत्म विभोर।
मिला कहाँ से तुझे दही यह दिखला दे वह ठौर।। 

बालक गुरु को साथ लिए आया जंगल के पास। 
माधव आए पर नहीं गुरु लख पाए, हुए उदास।। 

तेरे गुरु के हृदयस्थल में नहीं प्रेम का वास। 
ज्ञान भरा है किंतु दर्प का भी तो है अहसास।। 

मैं तो भूखा प्रेम का नहीं ज्ञान की चाह। 
कह दो गुरु से ये चले जाएँ अपनी राह।। 

पैर पकड़ कर बालक के तब गुरुजी जी भर रोए। 
उन ने भी तब देखे माधव दर्प भाव जब धोए।। 

तान सुनी फिर मुरलीधर की, देखा गौ का साथ। 
राधा देखीं, गोपी देखीं, गुरु ने नाया माथ।। 

बेटा तेरे कारण मैंने भी हरिदर्शन कीन्हा। 
धन्य तुम्हारे मात पिता जो प्रेम मार्ग यह चीन्हा।। 

वंशीविभूषितकरान्नवनीरदाभात् पीताम्बरदरुणबिम्बफलाधरोष्ठात्।.......

वंशीविभूषितकरान्नवनीरदाभात् पीताम्बरदरुणबिम्बफलाधरोष्ठात् ।
पूर्णेन्दुसुन्दरमुखादरविन्दनेत्रात्
 कृष्णात्परं किमपि तत्वमहं न जाने।।

पीताम्बर घनश्याम तन, वंशी विभूषित हाथ।
बिम्बाफल से लाल होंठ हैं, पूनम का सा माथ।
कमल नेत्र हैं कृष्णचंद्र के, ऐसा निखरा रूप।
और न जानूँ तत्व धरा पर, मैं कोई अनुरूप।।

हिन्दी पद्यानुवाद..... रवि मौन.... 

Saturday, 15 April 2023

नमो नमो वागविचारभूत नमो नमो विघ्ननिवारणाय.....

नमो नमो वागविचारभूत नमो नमो विघ्ननिवारणाय।
नमो नमोऽभक्तमनोरथघ्न नमो नमो भक्तमनोरथज्ञ।।
श्रीगणेशपुराण उपासनाखण्ड श्लोक 45

नमस्कार हे विघ्ननिवारक, वाणी कर न सके गुणगान।
नमन अभक्त मनोरथ नाशक, भक्ताकांक्षा लें पहचान।।

हिन्दी पद्यानुवाद..... रवि मौन..... 

Friday, 14 April 2023

मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्....

मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्री राम दूतं शरणं प्रपद्ये।। 

मन सी स्फूर्ति, वेग मारुत सा, हे जितेन्द्रिय, हे बुद्धिमान।
हे वानरपति! हे वायुपुत्र! हे रामदूत! शरणागत जान।।

हिन्दी पद्यानुवाद..... रवि मौन..... 

Thursday, 13 April 2023

नमो नमो विश्वभृतेऽखिलेश नमो नमो कारण कारणाय.....

नमो नमो विश्वभृतेऽखिलेश नमो नमो कारण कारणाय ।
नमो नमो वेदविदामदृश्य नमो नमः सर्ववरप्रदाय।। 
... श्रीगणेशपुराण उपासनाखण्ड श्लोक 44...

नमन विश्व भर्ता, पोषक, कारण के कारण हे गुणेश। 
नमस्कार हे वरदाता, अदृश्य वेदविद को अखिलेश।। 

हिन्दी पद्यानुवाद..... रवि मौन..... 

एक कहानी कभी पढ़ी थी आज आ रही ध्यान........ ....... रवि मौन.....

एक कहानी कभी पढ़ी थी आज आ रही ध्यान ।
एक सेठ दानी था पर उस के न हुई संतान। 
अपनी पत्नी का तक तक कर मुख पाता था कष्ट। 
किन्तु उसे दुःख न हो इस से कभी न बोला स्पष्ट। 
पत्नी बोली एक दिन कर लो और विवाह। 
शायद वो दे पाए तुम को शिशु, जीवन की चाह। 
पति-पत्नी दोनों दूजे दिन शिशु-गृह पहुँचे आन। 
सुन्दर सा इक बालक देखा, अपनाया निज मान। 
बीच बीच में सेठ वहाँ आता, देता था दान। 
कभी न लाया शिशु को, कहीं न ले घर को पहचान। 
जन्म-दिवस पर उस बालक के, घर में होती धूम। 
कभी न उस बालक की आँखें शिशु-गृह पाई चूम। 
वृद्धाश्रम में भी आता था सेठ कुशल व्यवहार। 
देख सभी होते प्रसन्न, करते थे उस को प्यार । 
वृद्धाश्रम के मैनेजर को हरि ने लिया बुलाय। 
मालिक ने शिशु-गृह चालक को यह भी दिया थमाय। 
पत्नी मर गई सेठ की, दोनों में था प्यार। 
लड़का हुआ जवान तो संभलाया व्यापार। 
उस का किया विवाह, भ्रमण, तीर्थाटन पर दे ध्यान। 
सुधर सके अगला जीवन, हरि का मानूँअहसान। 
बेटे को लगने लगा धन करते पितु नष्ट। 
वृद्धाश्रम पहुँचा दूँ इनको, घर में पाते कष्ट। 
वहाँ मिलें हम-उम्र सब, जाएँगे दिन बीत। 
दान प्रचुर मात्रा में दूँगा, पा जाएँगे प्रीत। 
मैनेजर ने देख सेठ को झटपट किया प्रणाम। 
आप जानते हैं इन को, लो क़िस्सा हुआ तमाम। 
 मुख के तिल से मैनेजर ने उसे लिया पहचान। 
हाँ मैं इन्हें जानता हूँ पर तुझे नहीं है ज्ञान। 
मेरे शिशु-गृह से ये तुम को ले आए थे गोद। 
प्रमुदित होते थे, तेरी बातें कर बहुत विनोद। 
जिसने तुम को दिया सभी कुछ, उसे रहे तुम छोड़। 
पैरों में आ गिरा पिता के, युवक सभी भ्रम तोड़। 
धन्यवाद कर मैनेजर का, पितु को घर ले आया। 
इस के बाद पिता को उसने श्रद्धा से अपनाया । 






Wednesday, 12 April 2023

नमो नमो भूतमयाय तेऽस्तु नमो नमो भूतकृते सुरेश.....

नमो नमो भूतमयाय तेऽस्तु नमो नमो भूतकृते सुरेश। 
नमो नमः सर्वधियां प्रबोध नमो नमो विश्वलयोद्भवाय।। 
... श्रीगणेशपुराण उपासनाखण्ड श्लोक 43...


नमस्कार सब जीवों में स्थित भूतसृष्टि कारण आधार।
बुद्धि - ज्ञान,लय, विश्वोत्पत्ति के कारण, प्रभु को नमस्कार।।

हिन्दी पद्यानुवाद..... रवि मौन..... 

नीलाम्बुजश्यामलकोमलाङ्गं सीतासमारोपितवामभागम्।

नीलाम्बुजश्यामलकोमलाङ्गं सीतासमारोपितवामभागम् ।
पाणौ महासायकचारुचापं नमामि नामं रघुवंशनाथम्।।

नील कमल सम श्याम और कोमल हैं जिनके अङ्ग। 
वाम भाग में सिया विराज रही हैं जिनके सङ्ग।
सुन्दर धनु है हाथ, अमोघ बाण सिमटें तूणीर।
हे रघुकुल के नायक ! नमन करें स्वीकृत रघुवीर।।

हिन्दी पद्यानुवाद..... रवि मौन..... 

Tuesday, 11 April 2023

नमो नमस्ते परमार्थरूप नमो नमस्तेऽखिलकारणाय। नमो नमस्तेऽखिलतारणाय सर्वेन्द्रियाणामधिवासिने नमः।।

नमो नमस्ते परमार्थरूप नमो नमस्तेऽखिलकारणाय।
नमो नमस्तेऽखिलतारणाय सर्वेन्द्रियाणामधिवासिने नमः।।... श्रीगणेशपुराण उपासनाखण्ड श्लोक 42...

नमस्कार परमार्थरूप हे अखिल सृष्टि के कारणरूप। 
भवसागर से तारणकर्ता नमस्कार भूतेन्द्रिय  भूप।।

हिन्दी पद्यानुवाद..... रवि मौन..... 

Monday, 10 April 2023

लक्ष्मीर्मेधा धरा पुष्टिर्गौरी तुष्टिः प्रभा धृतिः।. एताभिः पाहि तनभिरष्टाभिर्मां सरस्वति।।

लक्ष्मी, मेधा, धरा, पुष्टिर्गौरी, तुष्टिः, प्रभा, धृतिः। 
इनआठ स्वरूपों से मेरी रक्षा करें माँ सरस्वति।।

 हिन्दी पद्यानुवाद..... रवि मौन..... 


Saturday, 8 April 2023

शिष्या थी दस वर्ष की, ऋषि ने किया प्रणाम....... रवि मौन.....

शिष्या थी दस वर्ष की, ऋषि ने किया प्रणाम।
इन नेत्रों से देखोगी,जब आएँगे श्री राम।।
थे त्रिकालदर्शी मतङ्ग , मम निकट आ गया अन्त। 
जन्म नहीं अब तक हुआ, पर आएँ भगवन्त।। 
शबरी बूढ़ी हो गई, पर न डिगा विश्वास ।
फूल सजाए राह, रखे ताज़ा फल अपने पास।।
  झूटे फल कर भेंट, प्रेम से झर झर करते नैन।
मैत्री हो सुग्रीव से, ऋषिवर के थे बैन ।। 
प्रतीक्षा रत भीलन का मान। 
भक्त के वश में हैं भगवान।। 

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।


सब भूतों में शक्तिरूप स्थित,जीवन का आधार।
नमस्कार है नमस्कार, हे देवी बारम्बार ।।

हिंदी रूपांतरण  ़़‍़़‍ रवि‌मौन

Friday, 7 April 2023

श्यामा का जन्म दिन... रवि मौन...

मेरी प्यारी पगली रानी! 
कर ले जो भी मन में ठानी। 
जन्म दिवस पर तेरे आज। 
रखूँ कौन सा सर पर ताज? 
बच्चे तुझको करते प्यार। 
जन्मों से मुझ पर अधिकार। 
बहुएँ तेरी आलीशान। 
करती हैं तन मन क़ुर्बान। 
तीजी पीढ़ी की क्या बात? 
ये तो सबको देती मात। 
बहनें भैया भाभी तेरे। 
मन में हरदम रहते घेरे। 
जन्म दिवस पर आज सवेरे। 
रहे स्वस्थ यह दिल में मेरे। 
दूँ तुझ को क्या मैं आशीश? 
करें कृपा तुझ पर जगदीश! 

..... रवि मौन..... 


Thursday, 6 April 2023

नृग राजा दानी थे, करते थे गोधन का दान..... रवि मौन.....

नृग राजा दानी थे, करते थे गोधन का दान। 
दान की हुई गौ, राजा की गौशाला में आन।। 
मिली,भेंट की अन्य विप्र को, अपनी ही 
गौ मान । 
गौ के दोनों मालिक मिले, करी गौ की पहचान । 
जितनी चाहो, इस गौ के बदले, दे दूँगा दान। 
विप्रों ने गौ-विक्रय को, माना गौ का अपमान।। 
दोनों ने राजा के पास, दिया उस गौ को छोड़। 
नृप ने देह-त्याग की, आया यहीं कथा में  मोड़।। 
गिरगिट बन जन्मे नृग, था वह कूप द्वारिका पास। 
बच्चों ने देखा तो चाहा, कर लेंगे उल्लास।। 
नहीं निकाल सके, तो पहुँचे कृष्णचंद्र के द्वार। 
हरि का मात्र स्पर्श, कर गया गिरगिट का उद्धार।। 
दिव्य देह दे कर, केशव ने लिया सहज निश्वास। 
श्री हरि ने नृग राजा को,दे दिया स्वर्ग में वास।।

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्......

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा वसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।। 

सर्प गले में, गौर वर्ण, संसारसार, करुणावतार।
शिवा और शिव हृदयस्थल हों, मेरा नमन करें स्वीकार। ।

हिन्दी पद्यानुवाद..... रवि मौन..... 

Wednesday, 5 April 2023

गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारुभक्षणम्.....

गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारुभक्षणम् ।
उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि  विघ्नेश्वरपादपङ्कजम् ।।

भूतगणों से सेवित गजमुख,जम्बू, कपित्थ, जिन का प्रिय भोजन।
शोक विनाशक गौरीसुत गणेश ! हो स्वीकृत भक्त का नमन।। 

Tuesday, 4 April 2023

सशङ्खचक्रं सकिरीटकुण्डलं सपीतवस्त्रं सरसीरुहेक्षणम्......

सशङ्खचक्रं सकिरीटकुण्डलं सपीतवस्त्रं सरसीरुहेक्षणम् ।
सहारवक्षःस्थलकौस्तुभश्रियं नमामि विष्णुं शिरसा चतुर्भुजम् ।। 

शङ्ख, चक्र, कुण्डल, किरीट, पीताम्बर, गले में हार।
छाती पर कौस्तुभमणि, श्रीहरि नमन करें स्वीकार।।

हिन्दी पद्यानुवाद..... रवि मौन..... 

Monday, 3 April 2023

भक्त के वश में हैं भगवान.....

कृष्णा साड़ी फाड़ कर बाँधी, थामा रक्त
देखी ममता भक्त की कृष्ण हुए अनुरक्त
दुष्ट सभा में खींचता रहा द्रोपदी वस्त्र
साड़ी हुई अनंत तब चला कृष्ण का अस्त्र
भक्त के वश में हैं भगवान..... 


दुर्योधन ने दुर्वासा का किया बहुत सत्कार। 
मुनि को जान प्रसन्न, की उनसे एक गुहार।
भैया मेरे, वन में रहते हैं पत्नी के साथ। 
जाएँ वहाँ मध्याह्न में, भोजन में दें साथ। 
 पत्ता खाया कृष्ण ने, ले ली एक डकार।
इस से ही हो तृप्त अब, यह सारा संसार। 
दुर्वासा शिष्यों सहित, भागे वन की ओर। 
कृष्ण कृपा से द्रोपदी हो गई आत्म- विभोर। 
 यूँ रखा हरि ने उसका मान। 
भक्त के वश में हैं भगवान।। 


क्रोध नष्ट कर गया ज्ञान को अनुनय विनय न मानी। 
पृथ्वी पर तुम जियो मरोगे, वध करने की ठानी।
अम्बरीष  साकेत जाएँगे, मुनि का है जो शाप।
उसे ग्रहण कर, लूँगा मैं दस जन्म धरा पर आप।
चक्र सुदर्शन पीछे-पीछे दुर्वासा जी आगे। कहीं शरण जब मिल न सकी तो मानो ऋषिवर जागे।
भक्त कर देगा अभय प्रदान। 
भक्त के वश में हैं भगवान।। 

Sunday, 2 April 2023

A letter to the prime minister of India.....

मैं  एक चिकित्सक हूँ। अपनी बीमारी के दौरान एक ऐसी प्रक्रिया का पता चला जिस का उपयोग अपने देश में होता होगा मगर न सभी को इस के बारे में जानकारी रखते हैं और गले में न यह दवा के रूप में बिकती है । जो दवाएँ मिलती हैं उनका उपयोग सीमित है। उन्हें बच्चों और गर्भवती महिलाओं को नहीं दिया जा सकता। यह राष्ट्र हित में होगा कि उसका निर्माण हमारे देश में हो ताकि भारतीयों को यह सस्ते दामों पर उपलब्ध हो सके और इसका निर्यात भी किया जा सके। इस का पेटेंट बनवाने के लिए मैंने पढ़ा है किंतु न मेरे पास इसके संसाधन हैं न इसके ख़िलाफ़  उठने वाले कानूनी षड्यंत्रों से लड़ने का समय। मैं तो बस यही चाहता हूँ कि मेरा यह पेटेंट मेरा भी भला करे और राष्ट्रीय स्तर पर भी हितकारी हो।
क्या मैं माननीय प्रधानमंत्री महोदय से इस विषय में कुछ अपेक्षा कर सकता हूँ ?