पाणौ महासायकचारुचापं नमामि नामं रघुवंशनाथम्।।
नील कमल सम श्याम और कोमल हैं जिनके अङ्ग।
वाम भाग में सिया विराज रही हैं जिनके सङ्ग।
सुन्दर धनु है हाथ, अमोघ बाण सिमटें तूणीर।
हे रघुकुल के नायक ! नमन करें स्वीकृत रघुवीर।।
हिन्दी पद्यानुवाद..... रवि मौन.....
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