पूर्णेन्दुसुन्दरमुखादरविन्दनेत्रात्
कृष्णात्परं किमपि तत्वमहं न जाने।।
पीताम्बर घनश्याम तन, वंशी विभूषित हाथ।
बिम्बाफल से लाल होंठ हैं, पूनम का सा माथ।
कमल नेत्र हैं कृष्णचंद्र के, ऐसा निखरा रूप।
और न जानूँ तत्व धरा पर, मैं कोई अनुरूप।।
हिन्दी पद्यानुवाद..... रवि मौन....
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