नमो नमोऽभक्तविभूतिहन्त्रे नमो नमो भक्तविमोचनाय।
नमो नमोऽभक्तविबन्धनाय नमो नमस्ते प्रविभक्तमूर्ते।।
श्रीगणेशपुराण उपासनाखण्ड श्लोक 48
अलग अलग रूपों में हैं प्रभु सब जीवों में व्याप्त।
कृपा आप की है तो मानव सब कुछ करते प्राप्त।।
नाश करें ऐश्वर्य अभक्त के भव बन्धन में डालें।
औ' भक्तों को भवबन्धन से सहजहिं आप निकालें।।
हिन्दी पद्यानुवाद..... रवि मौन.....
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