Saturday, 27 May 2023

SUUFI NAMA.. GHAZAL.. KAAMIL SHATTAARI. JALVAA-E-YAAR NE KUCHH AISI ADAA PAAI HAI. ...

जल्वा-ए-यार ने कुछ ऐसी अदा पाई है 
हर झलक एक नया दा'वा-ए-यकताई है 

Her glimpse has a style so unique.
Each view is a new attempt oblique. 

आप से मुझ को अगर रब्त नहीं है कोई 
ये कशिश क्या है यहाँ तक जो मुझे लाई है 

If no relation exists between us. 
What's drawn me here in physique. 

दो हयातों के है माबैन अजल का वक़्फ़ा 
मौत सुस्ताई हुई ज़ीस्त की अंगड़ाई है 

In between two lives, death prevails. 
Death is a twisted life so critique.

~ कामिल शत्तारी

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