Friday, 2 June 2023

AHMAD FARAZ.. GHAZAL.. AB AUR KYA KISII SE MARASIM BADHAYEN HAM.....

अब और क्या किसी से मरासिम बढ़ाएँ हम 
ये भी बहुत है तुझ को अगर भूल जाएँ हम 

What more relations should I increase? 
It 'll be better for your memory to cease. 

सहरा-ए-ज़िंदगी में कोई दूसरा न था 
सुनते रहे हैं आप ही अपनी सदाएँ हम 

There was none else in the desert of life. 
I am listening to my own cries on lease. 

इस ज़िंदगी में इतनी फ़राग़त किसे नसीब 
इतना न याद आ कि तुझे भूल जाएँ हम 

Who has such lease from labour in life? 
Don't crowd memories or I forget these. 

तू इतनी दिल-ज़दा तो न थी ऐ शब-ए-फ़िराक़ 
आ तेरे रास्ते में सितारे लुटाएँ हम 

You weren't so grief struck parting night. 
 Let me shower stars on your path please. 

वो लोग अब कहाँ हैं जो कहते थे कल 'फ़राज़' 
हे हे ख़ुदा-न-कर्दा तुझे भी रुलाएँ हम

O 'Faraz'! Where are the men who 'd say?
God forbid, let's make you too weep please. 

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