Tuesday, 11 July 2023

AHMAD FARAZ.. GHAZAL.. DIL TO WOH BARG-E-KHIZAN HAI KI HAWAA LE JAAE..

दिल तो वो बर्ग़े-ख़िज़ां है कि हवा ले जाए
ग़म वो आंधी है कि सहरा भी उड़ा ले जाए

कौन लाया तेरी महफ़िल में हमें होश नहीं
कोई आए तेरी महफ़िल से उठा ले जाए

और से और हुए जाते हैं मे’यारे वफ़ा
अब मताए-दिलो-जां भी कोई क्या ले जाए

जाने कब उभरे तेरी याद का डूबा हुआ चांद
जाने कब ध्यान कोई हमको उड़ा ले जाए

यही आवारगी-ए-दिल है तो मंज़िल मालूम
जो भी आए तेरी बातों में लगा ले जाए

दश्ते-गुरबत में तुम्हें कौन पुकारेगा ‘फ़राज़’
चल पड़ो ख़ुद ही जिधर दिल की सदा ले जाए

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