Tuesday, 11 July 2023

AHMAD FARAZ.. GHAZAL.. QURBATON MEN BHI JUDAAI KE ZAMAANE MAANGE...

क़ुर्बतों में भी जुदाई के ज़माने मांगे
 दिल वो बे-मेहर कि रोने के बहाने मांगे

हम न होते तो किसी और के चर्चे होतेख़िल्क़त-ए-शहर तो कहने को फ़साने मांगे

यही दिल था कि तरसता था मरासिम के लिएअब यही तर्क-ए-तअल्लुक़ के बहाने मांगे


अपना ये हाल कि जी हार चुके लुट भी चुकेऔर मोहब्बत वही अंदाज़ पुराने मांगे

ज़िंदगी हम तिरे दाग़ों से रहे शर्मिंदाऔर तू है कि सदा आईना-ख़ाने मांगे

दिल किसी हाल पे क़ाने ही नहीं जान-ए-‘फ़राज़’मिल गए तुम भी तो क्या और न जाने मांगे

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