Monday, 17 July 2023

BASHIR BADR.. GHAZAL..

मेरी आँखों में तिरे प्यार का आँसू आए 

कोई ख़ुशबू मैं लगाऊँ तिरी ख़ुशबू आए 

वक़्त-ए-रुख़्सत कहीं तारे कहीं जुगनू आए 

हार पहनाने मुझे फूल से बाज़ू आए 

मैं ने दिन रात ख़ुदा से ये दुआ माँगी थी 

कोई आहट न हो दर पर मिरे जब तू आए 

इन दिनों आप का आलम भी अजब आलम है 

तीर खाया हुआ जैसे कोई आहू आए 

उस की बातें कि गुल-ओ-लाला पे शबनम बरसे 

सब को अपनाने का उस शोख़ को जादू आए 

उस ने छू कर मुझे पत्थर से फिर इंसान किया 

मुद्दतों बा'द मिरी आँखों में आँसू आए

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