चल तू हरि के गाँव रे।
जहाँ कन्हैया संग हों गैया।
बंसी धुन पर रास रचैया।
भूला क्यों वो ठाँव रे?
मन बावरे! मन बावरे!
जग परिवर्तन शील कहाता।
पल पल रीता बीता जाता।
हरि दर्शन की छाँव रे!
मन बावरे! मन बावरे!
क्या पाएगा इस जीवन में।
इच्छाएँ उपजेंगी मन में।
हारेगा हर दाव रे।
मन बावरे! मन बावरे!
माया तो आनी जानी है।
फिर भी दुनिया दीवानी है।
मत कर इस का चाव रे।
मन बावरे! मन बावरे!
No comments:
Post a Comment