Monday, 3 July 2023

DAAGH DEHLAVI.. GHAZAL.. DIL KO KYA HO GAYA KHUDA JAANE.....

दिल को क्या हो गया ख़ुदा जाने 
क्यूँ है इतना उदास क्या जाने 

अपने ग़म में भी उस को सरफ़ा है
न खिला जाने वो न खा जाने

इस तजाहुल का क्या ठिकाना है
जान कर जो न मुद्दआ' जाने

कह दिया मैं ने राज़-ए-दिल अपना
उस को तुम जानो या ख़ुदा जाने

क्या ग़रज़ क्यूँ इधर तवज्जोह हो
हाल-ए-दिल आप की बला जाने

जानते जानते ही जानेगा
मुझ में क्या है अभी वो क्या जाने

क्या हम उस बद-गुमाँ से बात करें
जो सताइश को भी गिला जाने

तुम न पाओगे सादा-दिल मुझ सा
जो तग़ाफ़ुल को भी हया जाने

है अबस जुर्म-ए-इश्क़ पर इल्ज़ाम
जब ख़ता-वार भी ख़ता जाने

नहीं कोताह दामन-ए-उम्मीद
आगे अब दस्त-ए-ना-रसा जाने

जो हो अच्छा हज़ार अच्छों का
वाइ'ज़ उस बुत को तू बुरा जाने

की मिरी क़द्र मिस्ल-ए-शाह-ए-दकन
किसी नव्वाब ने न राजा ने

उस से उट्ठेगी क्या मुसीबत-ए-इश्क़
इब्तिदा को जो इंतिहा जाने

'दाग़' से कह दो अब न घबराओ
काम अपना बता हुआ जाने

    

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