Saturday, 19 August 2023

श्री गणेशजी की आराधना... श्रीगणेशपुराण. ... शेषनाग द्वारा स्तुति

शेष उवाच
अनादिनिधनं देवं वन्देऽहं गणनायकं।। 
सर्व व्यापिनमीशानं जगत्कारणकारणम्।
सर्वस्वरूपं विश्वेशं विश्ववन्द्यं नमाम्यहम्।। 
गजाननं गणाध्यक्ष गरुडेशस्तुतं विभुम्। 
गुणाधीशं गुणातीतं गणाधीशं नमाम्यहम्।।
विद्यानामधिपं देवं देवदेवं सुरप्रियम्।
सिद्धिबुद्धिप्रियं सर्वसिद्धिदं भुक्तिमुक्तिदम्।। 
सर्वविघ्नहरं देवं नमामि गणनायकम्।

शेषजी बोले....

आदि अन्त से रहित जो गणनायक भगवान्।
करूँ वन्दना आप की सर्वव्याप्त ईशान।। 

जग के कारण के कारण हैं, जग के स्वामी आप।
वन्दित हैं सम्पूर्ण विश्व से, नमन करूँ, कर जाप।। 

गणाध्यक्ष हैं, हरिवन्दित हैं, सभी गुणों के स्वामी।
गुणातीत हैं, हे गणपति, सब विद्याओं के स्वामी।।

देवों के भी देव, देवताओं के अतिप्रिय नाथ। 
सभी सिद्धियाँ देने वाले, सिद्धि बुद्धि के नाथ।। 

विघ्नविनाशी, भुक्ति, मुक्ति को करते आप प्रदान। 
नमन करूँ मैं हे गणनायक, हे गणेश भगवान्।। 

हिन्दी पद्यानुवाद.... रवि मौन 

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