Friday, 4 August 2023

SAHIR LUDHIYANVI.. GHAZAL.. N TU ZAMIN KE LIYE HAI N AASMAN KE LIYE

न तू ज़मीं के लिए है न आसमाँ के लिए 

तिरा वजूद है अब सिर्फ़ दास्ताँ के लिए 

पलट के सू-ए-चमन देखने से क्या होगा 

वो शाख़ ही न रही जो थी आशियाँ के लिए 

ग़रज़-परस्त जहाँ में वफ़ा तलाश न कर 

ये शय बनी थी किसी दूसरे जहाँ के लिए

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