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Monday, 5 February 2024

स्मृतियाँ बिखरी हैं तेरी मन में चारों ओर

स्मृतियाँ बिखरी हैं तेरी मन में चारों ओर।
जीवन भर होते रहें इन से सदा विभोर।
घुटनों के बल याँ चली वहाँ उठी तज हाथ। 
इंगित तब ही किया था मैं छोड़ूंगी साथ। 
धीरज उस दिन से रखें मन में मेरी मात। 
अश्रु न टपकें फिर कभी इन नयनों से तात। 

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