Sunday, 17 March 2024

मंकुतिम्मा. प्रार्थना का प्रथम पद हिन्दी पद्यानुवाद

विष्णु विश्व के भीतर बाहर, अखिल सृष्टि में रहे समाय।
कारणब्रह्म व ब्रह्मातीत, देव प्रकृति को रहे खिलाय। 
 अनदेखे अनजाने से भी श्रद्धा प्रीति करे समुदाय। 
यह विचित्र है, इस विचित्रता के आगे दो शीश झुकाय।। 
      - - - - - - मंकुतिम्मा - - - - - - 



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