Thursday, 21 March 2024

कग्गा त्रितीय प्रार्थना पद. हिन्दी पद्यानुवाद

है कि नहीं है नर अनजान, गहन तत्व ना दे संधान ।
स्वयं बनें जग, जड़ औ 'जीव, करें विहार सभी में आन ।
यह मंगलकर है सुंदर है, सत्य तुम्हारा, ध्यान अगर है।
अंतर्मन से जब निश्चित हो, शरण गहो हे भोलेराम ।।

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