Thursday, 18 April 2024

समुद्र मंथन

कच्छप बन कर पीठ पर लें मंदर गिरि भार
किया मोहिनी रूप से फिर हरि ने श्रृंगार
देवन को अमृत मिला असुरों को मुस्कान 
वितरण श्री हरि कर रहे बैठ सुर असुर आन
राहु - केतु संदेह कर देवन के बैठे संग
अमृत उतरा गले तक शीश किए हरि भंग 

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