Monday, 13 May 2024

मैं अपने शहर में इक अजनबी हूँ

मैं अपने शहर में इक अजनबी हूँ
मिरे सब दोस्त जिनके साथ गुज़री 
मिरे जीवन की चौथाई सदी याँ 
मिरे ग़म और ख़ुशियाँ में रहेंगे 
यही अहसास था अभियान था यह
हुई तकलीफ़ जब ये भरम टूटा 
सलीब अपनी उठा कर अपने काँधे 
यहाँ जाना है हम सब को अकेले 
मैं अपने शहर में इक अजनबी हूँ 

No comments:

Post a Comment