Wednesday, 15 May 2024

ताज महल. साहिर लुधियानवी

ताज तेरे लिए इक मज़हर-ए-उल्फ़त ही सही
तुझ को इश वादी-ए-रंगीं से अक़ीदत ही सही
मेरी महबूब! कहीं और मिला कर मुझ से

Taj may be a promise of love for you
This valley of colours you may regard too.
My beloved! Meet me somewhere else.

बज़्म-ए-शाही में ग़रीबों का गुज़र क्या मअनी
सब्त जिस राह पे हों सितवत-ए-शाही के निशाँ
उस पे उल्फ़त भरी रूहों का सफ़र क्या मअनी
मेरी महबूब! कहीं और मिला कर मुझ से

In this imperial gathering, poor have no place. 
All the way are imperial imprints to trace. 
How can loving souls ever find some space? 
My beloved! Meet me somewhere else 

मेरी महबूब! पस-ए-पर्दा--ए-तशहीर-ए-वफ़ा
तूने सितवत के निशानों को तो देखा होता
मुर्दा शाहों के मक़ाबिर से बहलने वाली
अपने तारीक मकानों को तो देखा होता
मेरी महबूब! कहीं और मिला कर मुझ से 

My love! Bebind curtain of exhibited loyalty 
Should have noticed imperial stamps, O you ! 
Lured by the tombs of dead emperors here
You should have seen our dark homes too. 
My beloved! Meet me somewhere else. 

अनगिनत लोगों ने दुनिया में मोहब्बत की है
कौन कहता है कि जज़्बे न थे सादिक़ उन के
लेकिन उन के लिए तशहीर का सामान नहीं 
क्यों कि वो लोग भी अपनी ही तरह मुफ़लिस थे
मेरी महबूब! कहीं और मिला कर मुझ से 

 Countless people have loved in the world. 
Who claims their feelings were not pure? 
But they lacked the material to show off. 
Because like us, they  were poor for sure. 
My beloved! Meet me somewhere else. 

ये इमारात-ओ-मक़ाबिर ये फ़सीलें ये हिसार 
मुतलक़-उल-हुक्म शहन्शाहों की अज़्मत के सुतूँ
सीना-ए-दहर के नासूर हैं कोहना नासूर
इन में शामिल है तिरे और मिरे अजदाद का ख़ूँ
मेरी महबूब! कहीं और मिला कर मुझ से 

These tomb buildings, boundaries of fort. 
Pillars of dictatorial glory which report. 
 Wounds, festering wounds on chest of time! 
With blood of our ancestors mingled sublime. 
My beloved! Meet me somewhere else. 

मेरी महबूब! उन्हें भी तो मोहब्बत होगी
जिन की सन्नाई ने बख़्शी है इसे शक्ल-ए-जमील
उन के प्यारों के मक़ाबिर रहे बे-नाम-ओ-नमूद
आज तक उन पे जलाई न किसी ने कन्दील
मेरी महबूब! कहीं और मिला कर मुझ से 

O my beloved! They must have loved too. 
Whose craft gave a thing of beauty to you. 
Graves of their loved ones are unknown. 
None has  ever kindled a candle there on. 
My beloved! Meet me somewhere else 

ये चमनज़ार ये जमना का किनारा ये महल
ये मुनक़्क़श दर-ओ-दीवार ये महराब ये ताक़
इक शहन्शाह ने दौलत का सहारा लेकर 
हम ग़रीबों की मोहब्बत का उड़ाया है मज़ाक़
मेरी महबूब! कहीं और मिला कर मुझ से 

These gardens, palaces on Jamuna bank. 
These carved walls, minerettes, the flank. 
Supported by money an emperor had done. 
Humiliated love of us poor, made public fun. 
My beloved! Meet me somewhere else. 







2 comments:

  1. Bahut khoob. Very closed to original

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  2. Ethereal, Maun saheb. God bless you.

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