Thursday, 16 May 2024

SONG/NAZM... SAAHIR LUDHIYANVI.. CHAKLE...


ये कूचे ये नीलाम घर दिलकशी के 
ये लुटते हुए कारवाँ ज़िंदगी के 
कहाँ हैं कहाँ हैं मुहाफ़िज़ ख़ुदी के 
सना-ख़्वान-ए-तक़्दीस-ए-मशरिक़ कहाँ हैं

These lanes auction house of sensuousware. 
These robbed carvans of life everywhere.
Where can the guardians of self pride dare?
Where are those who blare sanctity of east? 

ये पुर-पेच गलियाँ ये बे-ख़्वाब बाज़ार 
ये गुमनाम राही ये सिक्कों की झंकार 
ये इस्मत के सौदे ये सौदों पे तकरार 
सना-ख़्वान-ए-तक़्दीस-ए-मशरिक़ कहाँ हैं

These tortuous lanes for a dreamless mart. .
These nameless men tingling coins as art.
These traders of chastity on disputes to chart. 
Where are those who blare sanctity of east? 

तअफ़्फ़ुन से पुर नीम-रौशन ये गलियाँ 
ये मसली हुई अध खिली ज़र्द कलियाँ 
ये बिकती हुई खोखली रंग-रलियाँ 
सना-ख़्वान-ए-तक़्दीस-ए-मशरिक़ कहाँ हैं 

The rotten, ill lit dirty lane. 
Crushed, yellowish buds on wane. 
On sale, hollow pleasure bane. 
Where are those who blare sanctity of east? 

वो उजले दरीचों में पायल की छन छन 
तनफ़्फ़ुस की उलझन पे तबले की धन धन 
ये बे-रूह कमरों में खाँसी की ठन ठन 
सना-ख़्वान-ए-तक़्दीस-ए-मशरिक़ कहाँ हैं 

Sounds of anklets in windowless room
Intricate breaths and drums boom. 
Sounds of cough in a soul less room. 
Where are those who blare sanctity of east? 

ये फूलों के गजरे ये पीकों के छींटे 
ये बेबाक नज़रें ये गुस्ताख़ फ़िक़रे 
ये ढलके बदन और ये मदक़ूक़ चेहरे 
सना-ख़्वान-ए-तक़्दीस-ए-मशरिक़ कहाँ हैं

These bangle of flowers, these betel stains. 
These fearless looks 'n comments as rains. 
These decaying hectic bodies in lanes
Where are those who blare sanctity of east? 

ये गूँजे हुए क़हक़हे रास्तों पर 
ये चारों तरफ़ भीड़ सी खिड़कियों पर 
ये आवाज़े खिंचते हुए आँचलों पर 
सना-ख़्वान-ए-तक़्दीस-ए-मशरिक़ कहाँ हैं 

Echoed bold laughs from the pavements. 
Girl faces on windows as presents. 
On pulled corner of scarf are comments
Where are those who blare sanctity of east? 

ये भूकी निगाहें हसीनों की जानिब 
ये बढ़ते हुए हाथ सीनों की जानिब 
लपकते हुए पाँव ज़ीनों की जानिब 
सना-ख़्वान-ए-तक़्दीस-ए-मशरिक़ कहाँ हैं

These hungry looks that at girls stare. 
These hands reaching bossoms to bare
These feet boldly stepping up there. 
Where are those who blare sanctity of east? 

यहां पीर भी आ चुके हैं, जवां भी
तनोमंद बेटे भी, अब्बा, मियां भी
ये बीवी भी है और बहन भी है, मां भी
सना-ख़्वान-ए- तक़्दीस-ए-मशिक़ कहाँ हैं 

Old and young have all come here. 
Healthy sons, aging fathers come here
There's wife, sister and mother here
Where are those who blare sanctity of east? 

मदद चाहती है ये हव्वा की बेटी
यशोदा की हमजिंस, राधा की बेटी
पयम्बर की उम्मत, ज़ुलयखां की बेटी
सना-ख़्वान-ए-तक़्दीस-ए-मशरिक़ कहाँ हैं

Needs helping hand this daughter of Eve. 
Daughter of Radha, Yashoda as you perceive. 
Daughter of Julekha 'n others who in Prophet believe. 
Where are those who blare sanctity of east? 

 बुलाओ ख़ुदायान-ए-दीं को बुलाओ
ये कुचे, ये गलियां, ये मंजर दिखाओ
सना-ख़्वान-ए-तक़्दीस-ए-मशरिक़ को लाओ 
सना-ख़्वान-ए-तक़्दीस-ए-मशरिक़ कहाँ हैं

Call those who claim religions as their domains. 
Show these streets, the view of these lanes. 
Bring them who believe in eastern strains
Where are those who blare sanctity of east? 




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