Thursday, 13 June 2024

अष्टावक्र महागीता नवम् प्रकरणः चतुर्थ श्लोक संख्या


कोऽसौ कालो वयः किंवा यत्र द्वन्द्वानि
नो नृणाम्।
नान्युपेक्ष्य यथा प्राप्तवर्ती सिद्धिमवाप्नुयात्।। 4।।

हिन्दी पद्यानुवाद रवि मौन

कोई पल या स्थिति नहीं इस अनित्य संसार में।
जब न मानव फँसा हो इस द्वंद्व के व्यवहार में।
इस सत्य की करता उपेक्षा सिद्ध कहलाता वही।
जो भाग्य से उपलब्ध है स्वीकार कर पाता तभी।। 4।।

1 comment:

  1. अति उत्तम, बहुत खूब

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