Saturday, 15 June 2024

अष्टावक्र महागीता नवम् प्रकरणः शलोक संख्या छः

कृत्वा मूर्तिपरिज्ञानं चैतन्यस्य न किं गुरुः।
निर्वेदसमतायुक्तया यस्तारयति संसृतेः।। ६।।

हिन्दी पद्यानुवाद....... रवि मौन 

जान कर चैतन्य को विवेक से करे हर विधि।
त्याग, समता, युक्ति से पार करे संसार निधि।
क्या वह गुरु नहीं? सच्चे अर्थों में वही। 
ऐसा ही समद्रष्टा, त्यागी गुरु है वही।। ६।।

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