Tuesday, 4 June 2024

एक कविता

बरसों के उस के प्यार को मन में सँवार कर। 
उस को गले लगा ले तनिक सा सिंगार कर।। 

मुस्कराहट हो, अदा हो, नाज़ हो, अंदाज़ हो। 
फूल हो या धुन हो, बचपन की कोई आवाज़ हो।। 

तेरे तरकश में बहुत से तीर हैं, कर ले विचार। 
जिस से साजन रीझ जाए 'मौन' वो तेरा सिंगार ।। 

इसे सालगिरह के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है। 

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