Wednesday, 3 July 2024

अष्टावक्र महागीता. एकादश प्रकरणः श्लोक संख्या ।। ३।।

आपदः सम्पदः काले दैवादेवेति निश्चयी।
तृप्तः स्वस्थेन्द्रियो नित्यं न वाञ्छति न शोचति।। ३।।

सम्पद आपद दैवयोग से मिलें समय अनुसार। 
जो जाने यह सत्य, वही हो पूर्ण तृप्त हर बार। 
जीते वह नर सभी इन्द्रियाँ, इच्छा रहे न एक। 
पाकर होय प्रसन्न न ,खो हों न विषाद अनेक।। ३।।

              हिन्दी पद्यानुवाद.... रवि मौन 

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