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Sunday, 12 January 2025

अष्टावक्र महागीता एकादश प्रकरणः श्लोक संख्या ६

नाहं देहो न मे देहो बोधोऽहमिति निश्चयी ।
कैवल्यं इव सम्प्राप्तो न स्मरत्यकृतं कृतम्।। ६।।
अष्टावक्र महागीता एकादश प्रकरणः ज्ञानाष्टक 
श्लोक संख्या ६

हिन्दी पद्यानुवाद.    रवि मौन 

न तो मैं शरीर हूँ न ये शरीर मेरा है। 
मैं विशुद्ध बोध हूँ यही निश्चय मेरा है। 
देह होते हुए भी विदेह यह सत्पुरुष का नूर। 
कृत अकृत को भुला कर आकांक्षा से दूर।। ६।।


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