Friday, 18 October 2024

GHAZAL.. SIMIN USMANI... ANAA KI JANG HAI AUR NAAM HAI MOHABBAT KA.....

अना की जंग है और खेल है महब्बत का
वफ़ा का लफ़्ज़ भी लगता है नाम तोहमत का

It's a battle of egos and love game
Word chaste also reads like shame. 

न ही अहसास रहा और न ही आस रही
ग़रज़ की टूट गया पल में भरम चाहत का 

Neither there's feeling nor a desire
shattered in a moment is desire frame

किस से रूठें और अब किसे मनाए कोई 
जहाँ आबाद था वो घर न रहा उल्फ़त का

Who to sulk with, whom to cajole 
home of love isn't there in name. 

सदाएं दे के भला क्यों उसे बुलाएं हम
जिन्हें न पास है अब कुछ भी अपनी ग़ैरत का 

Why to call him and why should I? 
One who lost self respect as claim. 

आईना टूट गया दिल का भरम क्या रखिए 
हमें है वास्ता अब ख़ुद ही अपनी इज़्ज़त का

Mirror is broken, why doubt heart? 
My own respect is now in the game

ख़ुदा से माँग ली है हमने बस रज़ा उसकी
भला सवाल क्या अब उस से उसकी रहमत का

I have asked for His sweet will ! 
Why should I now His grace claim?

चले हैं राह-ए-हक़ पे अपना अलम लेकर हम
हमें अब काम क्या इस जहां की दौलत का

I am marching on the route of truth. 
World wealth won't draw me in game. 


1 comment:

  1. Thank you very much, Sir
    I am obliged getting space in your blog.

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